सेंसरबोर्ड के ख़िलाफ़ निर्देशकों का मोर्चा
- सुनीता पांडेय
- मुंबई से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

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सेंसर बोर्ड की बढ़ती सख़्तियों के ख़िलाफ़ बॉलीवुड में असंतोष के स्वर तेज होने लगे हैं.
मुंबई में चल रहे मामी फ़िल्म फ़ेस्टिवल में शिरकत कर रहे विशाल भारद्वाज, शूजित सरकार और ज़ोया अख़्तर जैसे निर्देशकों ने सेंसर बोर्ड की कार्यशैली पर कड़ा प्रहार किया.
इन फ़िल्म निर्देशकों ने सरकार से सेंसर बोर्ड को पूरी तरह ख़त्म करने की मांग की है.
विशाल भारद्वाज के मुताबिक़, "सेंसर बोर्ड बॉलीवुड को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में सबसे बड़ी बाधा साबित हो रहा है. इसलिए बेहतर यही होगा कि बोर्ड को पूरी तरह भंग कर दिया जाए."
सेंसर बोर्ड से खासे नाराज़ दिख रहे शूजित सरकार का कहना है, " फ़िल्ममेकर्स सेंसर बोर्ड के लिए नहीं बल्कि दर्शकों के लिए फ़िल्में बनाते हैं. इसलिए दर्शक खुद ही तय करें कि उन्हें क्या देखना है क्या नहीं?"
सरकार ने सेल्फ रेगुलेटरी की वकालत करते हुए कहा कि आज का दर्शक सेंसर बोर्ड के मुक़ाबले ज्यादा बेहतर तरीके से अपनी पसंद का चुनाव कर सकता है.
इन निर्देशकों से सहमति जताते हुए ज़ोया अख़्तर ने भी सेंसर बोर्ड की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए.
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सेंसर बोर्ड के सदस्य और इंडियन मोशन पिक्चर्स के वाइस प्रेसिडेंट अशोक पंडित ने इन निर्देशकों की मांग से असहमति जताते हुए कहा, "समस्या सेंसरबोर्ड के कारण नहीं है, बल्कि ज़रूरत इस बात की है कि इसकी बागडोर किसे सौंपी जाए?''
बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष पहलाज निहलानी की आलोचना करते हुए पंडित ने कहा, "इस कुर्सी पर उन्हें ही बैठाया जाए जो इसके काबिल हों."
पंडित ने सेंसर की अनिवार्यता पर जोर देते हुए कहा, "श्याम बेनेगल कमिटी की सिफारिशों को लागू किया जाए, ताकि फ़िल्ममेकर्स की नाराज़गी दूर हो सके."