'ओम पुरी जैसे कलाकार कम हुए'
- रीटा गांगुली
- पूर्व एक्टिंग प्रोफ़ेसर, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय

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मैं करीब 2,000 छात्रों को एक्टिंग सिखा चुकी हूं. अपने छात्रों में मैं अनीता कंवर को सबसे ऊपर रखूंगी लेकिन ओम पुरी बिल्कुल सबसे बेहतरीन कलाकारों में से थे.
जब ओमपुरी एनएसडी (राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय) में आए तो वो निहायत ही मामूली शक्ल के थे लेकिन उनमें लगन और कुछ कर गुज़रने की इच्छा थी. बचपन में बीमार पड़ने के कारण उनके चेहरे पर दाग थे. इसलिए वो रोमांटिक हीरो नहीं बन पाए.
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उस वक्त नए तरह के सिनेमा का माहौल नहीं था. आम तौर पर फ़िल्मों में लंबे, खूबसूरत लोग कामयाब होते हैं.
ओमपुरी ने साबित कर दिया कि अगर आपके मन में लगन हो, अपने काम को लेकर इज़्ज़त हो तो आप कुछ भी कर सकते हैं.
वैस हम हर बैच में 20 लोगों को लेते हैं लेकिन उस साल (1973) 25-26 लोगों का बड़ा बैच आया था. उस बैच में सभी लोग हीरा निकले जैसे नसीर, जसपाल, सरोजा, ज्योति देशपांडे और देवराज अंकुर.
पहली बार जब रबींद्रनाथ टैगौर का लिखा चंडाली नाटक पेश हुआ, ओम ने उसमें लीड आनंद की भूमिका निभाई थी. तब मुझे ओम पुरी की लगन नज़र आई.
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उस नाटक का मुख्य संदेश था कि पानी की कोई जाति नहीं होती. ओम पुरी को ये रोल करने में परेशानी हुई थी क्योंकि वो बांग्ला में था. बांग्ला बोलते वक्त वो कई बार अटक जाते थे.
बांग्ला बोल नहीं पाने के कारण वो रो पड़ते और कहते, 'मैडम आपने मुझे कहां फंसा दिया, मैं तो नहीं बोल सकता हूं.'
उनमें एक अच्छी बात थी कि उनमें लगन थी. वो ज़िद पर आ जाते थे तो कर लेते थे.
अगर आपको कलाकार बनना है तो आपको अपक्षपाती बनना होगा. एक खाली जग होगा, उसी में तो पानी भरा जाएगा न. पानी अगर पहले से भरा है तो फिर और पानी कैसे भरेंगे. फिर तो पानी निकल जाएगा. मैं उन्हें खाली होने का तरीका सिखाती थी. हमारे यहां कैरेक्टर को पात्र बोला जाता है.
दूसरे लोग थिएटर में वापस आए, लेकिन ओमपुरी कभी वापस नहीं आए. उन्होंने फ़िल्म ही की. वो हर रोल के बारे में सोचते थे और वो तभी होता है जिसे आपको काम पर यकीन हो और शिद्दत के साथ हर चीज़ करना चाहते हों.
मेरी आखिरी मुलाकात हाल ही लखनऊ में हुई थी जहां ओम पुरी शूट कर रहे थे. हमने घंटों पुरानी बातें याद की. उन्होंने हंसकर कहा, जितने लोगों ने आपसे मार खाई वो कामयाब बने. ओम पुरी जैसा तो कोई नहीं था.
ओम पुरी उन कलाकारों में से जिन्होंने विदेश में काम किया और कामयाबी हासिल की. ओमपुरी जैसा कलाकार मैंने आजतक नहीं देखा.
(बीबीसी संवाददाता विनीत खरे से बातचीत पर आधारित)