ऐड गुरु और थिएटर आर्टिस्ट एलेक पद्मसी का निधन

एलेक पद्मसी भारतीय विज्ञापन जगत के उन चुनिंदा लोगों में शुमार थे जिन्होंने भारतीय विज्ञापनों की दुनिया को एक वैश्विक पहचान दी.
उनके सबसे यादगार विज्ञापनों में 'हमारा बजाज' और 'लिरिल गर्ल' जैसे विज्ञापन शामिल हैं जो आज भी लोगों के ज़हन में अपनी जगह बनाए हुए हैं.
आज़ाद सोच और जवां अंदाज़ के साथ ज़िंदगी जीने वाले एलेक पद्मसी ने 90 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया.
सोशल मीडिया पर उनकी मौत की ख़बर आने के बाद मनोरंजन क्षेत्र से लेकर राजनीति और पत्रकारिता जगत के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि देना शुरू कर दिया है.
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पद्मसी को याद करते हुए लिखा है, "हमारे विज्ञापन जगत की सबसे महान व्यक्ति, क्रिएटिव गुरू और थिएटर पर्सनालिटी एलेक पद्मसी की मौत के बारे में जानकर बेहद दुख हुआ. मेरी संवेदना उनके परिवार, दोस्तों और सहयोगियों के साथ है."
अभिनेता बोमन ईरानी ने भी पद्मसी को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा है, "ए़ड गुरु और थिएटर की दुनिया के महारथी पद्मसी की मौत की ख़बर सुनकर बेहद दुखी हूं. थिएटर की दुनिया में मुझे पहला ब्रेक उन्होंने ही दिया. उन जैसा अब कोई नहीं होगा."
कौन थे एलेक पद्मसी?
साल 1928 में एक गुजराती परिवार में पैदा होने वाले एलेक पद्मसी को विज्ञापन की दुनिया का पितामह कहा जाता था.
'एडवरटाइज़िंग मैन ऑफ़ द सेंचुरी' कहे जाने वाले एलेक पद्मसी को साल 1999 में पद्मश्री सम्मान से भी नवाज़ा गया.
एडवरटाइज़िंग क्षेत्र से जुड़े लोग बताते हैं कि अस्सी के दशक में एडवरटाइज़िंग क्षेत्र के लोगों के बीच एक चुटकुला प्रचलित था.
कहा जाता था कि अगर आपको गॉड तक पहुंचना है तो पोप के पास जाना ही होगा.
इस जोक के पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है.
कहा जाता है कि अस्सी के दशक में एलेक को 'गॉड' कहा जाता था और उनकी एक सेक्रेटरी भी हुआ करती थीं जिनका उपनाम पोप होता था.
विज्ञापन जगत में एक लंबा समय गुजारने वाले एलेक पद्मसी कहते थे कि आइकॉनिक ब्रांड्स वो होते हैं जो कंपनियों के ख़त्म होने के बाद भी लोगों के ज़हन में बने रहते हैं.
एलेक पद्मसी ऐसे ही 100 ब्रांड्स को अस्तित्व में लेकर आए.
उन्होंने अपंग बच्चों पर एक शॉर्ट फ़िल्म 'स्टोरी ऑफ़ होप' भी बनाई जिसे विज्ञापन की दुनिया के ऑस्कर अवॉर्ड कहे जाने वाले इंटरनेशनल स्लियो हॉल ऑफ़ फेम में शामिल किया गया.
विज्ञापन की दुनिया में ये सम्मान पाने वाले एलेक पद्मसी अकेले भारतीय थे.
दो ज़िंदगियां जीने वाले पद्मसी
एलेक पद्मसी को विज्ञापन की दुनिया का बेताज बादशाह कहा जाता है.
लेकिन उन्होंने थिएटर और सिनेमा की दुनिया में भी ऐसा काम किया जिससे लोग हैरत में पड़ जाते हैं.
विज्ञापन की दुनिया में लिंटास इंडिया जैसी कंपनी को बुलंदियों पर पहुंचाने के साथ-साथ उन्होंने ब्रितानी निर्देशक रिचर्ड एटनबरो की फ़िल्म 'गांधी' में मुहम्मद अली जिन्ना का किरदार निभाया. इस फ़िल्म को साल 1983 में 8 ऑस्कर अवॉर्ड्स मिले थे.
रॉयल एकेडमी ऑफ़ ड्रेमेटिक आर्ट, लंदन से थिएटर की पढ़ाई करने वाले एलेक पद्मसी ने इविटा और जीसस क्राइस्ट सुपरस्टार, तुग़लक और ब्रोकेन इमेजेज़ जैसे प्रसिद्ध नाटकों का निर्देशन किया है.
अपनी किताब द डबल लाइफ़ - माइ एक्साइटिंग ईयर्स इन थिएटर एंड एडवरटाइज़िंग में इसका ज़िक्र करते हुए लिखते हैं कि कई लोग आश्चर्यचकित होकर पूछते हैं कि उन्होंने आख़िर दो अलग-अलग क्षेत्रों में फुल-टाइम काम कैसे किया.
वह लिखते हैं, "मैंने अपनी युवा ज़िंदगी का ज़्यादातर हिस्सा (एडवरटाइज़िंग कंपनी) लिंटास को खड़ा करने में लगाया है. और इसी दौरान मैंने पचास फुल-लेंग्थ नाटकों का निर्देशन और प्रोडक्शन किया."
"थिएटर मेरे लिए प्राणवायु की तरह है लेकिन मुझे ये भी स्वीकार करना होगा कि ये घर चलाने के लिए पैसा नहीं देता, ऐसे में वो कौन सा पेशा है जिसमें आपको लिखने, तस्वीरें खींचने और अपनी कल्पना को हक़ीक़त में बदलने के बदले में पैसे मिल सकते हैं?, ये एडवरटाइज़िंग सेक्टर में ही हो सकता है."
जब सोनिया गांधी को कहा 'महारानी'
थिएटर और सिनेमा जगत में ऐसे लोगों को उंगलियों पर गिना जा सकता है जो बेख़ौफ़ होकर किसी भी मुद्दे पर अपनी राय रख सकते हैं.
खुद को ओल्ड मैन यानी बूढ़ा आदमी कहे जाने पर ऐतराज़ करने वाले एलेक ऐसे ही कुछ लोगों में शुमार थे.
एक इंटरव्यू में अपने नाटक इविटा पर बात करते हुए वह कहते थे, "हमारा एक नाटक इविटा काफ़ी पॉपुलर हुआ. तब वह इंदिरा गांधी के बारे में हुआ करता था. लेकिन अब जब मैं इविटा को दोबारा लेकर आऊँगा तो ये कहानी इंदिरा गांधी की जगह सोनिया गांधी के बारे में होगी या जयललिता के बारे में."
वहीं, नैतिकता के मुद्दे पर भी वह खुलकर अपनी राय दिया करते थे.
अमरीकी डेटिंग वेबसाइट एशले मेडिसन के हैक होने के बाद एक टीवी डिबेट में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा था कि इस तरह की वेबसाइट ने कई घरों को टूटने से बचाया है क्योंकि शादी एक बहुत ही पुराना और घिसा पिटा आइडिया है.
जब एटनबरो ने मांगे दस हज़ार पाउंड
सिनेमा के क्षेत्र में उनके योगदान को गांधी फ़िल्म से ही आंका जा सकता है. इसके बाद उन्होंने शायद ही किसी फ़िल्म में काम किया हो.
बॉलीवुड हंगामा नाम की वेबसाइट को दिए एक इंटरव्यू में एलेक ने रिचर्ड एटनबरो के साथ काम करने के अनुभव को साझा किया था.
इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "जब मैं गांधी फ़िल्म पर काम कर रहा था तो एक दिन मैं सेट पर दस मिनट लेट पहुंचा तो रिचर्ड ने घड़ी की ओर देखते हुए मुझसे कहा, 'एलेक आप दस मिनट लेट हैं?"
"इस पर मैंने माफ़ी मांगते हुए कहा माफ़ कीजिए...तो रिचर्ड ने मुझसे कहा कि 'आपको पता कि मुझे इस फ़िल्म पर प्रति मिनट हज़ार पाउंड के हिसाब से ख़र्च करना पड़ रहा है. ऐसे में आपको मुझे दस हज़ार पॉउंड देने होंगे.' बदले में मैंने कहा कि अरे आप तो मुझे 500 पाउंड भी नहीं दे रहे हैं और दस हज़ार मांग रहे हैं..."
फ़िल्म इंडस्ट्री ने ज्वॉइन करने पर उन्होंने कहा था कि जब उन्होंने गांधी फ़िल्म की शूटिंग की तो उन्हें एक डायलॉग बोलने में एक घंटे का समय लगा और तभी उन्होंने सोच लिया कि उन्हें फ़िल्म एक्टर नहीं बनना.
खुद को रोमांटिक शख़्स कहने वाले पद्मसी ने इसी खुशमिज़ाजी और बेख़ौफ़ अंदाज में इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
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