मरने के 50 साल बाद भी अमर हैं मधुबाला

  • प्रदीप सरदाना
  • वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक, बीबीसी हिंदी के लिए
मधुबाला

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हम यदि भारतीय सिनेमा के सवाक युग के पिछले 88 बरसों को ध्यान से देखें तो इस दौरान देविका रानी से सारा खान तक बहुत सी शानदार अभिनेत्रियाँ देखने को मिलती हैं. लेकिन अब तक की तमाम बेहतरीन अभिनेत्रियों में से यदि मुझे किसी एक सबसे बेहतरीन अभिनेत्री को चुनने को कहा जाए तो मैं निसंदेह कहूँगा -मधुबाला.

हालांकि, आज मधुबाला को गुजरे हुए पूरे 50 साल हो गए हैं. जी हाँ 50 साल यानी आधी सदी. फिर भी मधुबाला का जादू आज भी सिर चढ़कर बोलता है.

अब जब बहुत सी मिस इंडिया, मिस एशिया, मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स तक फिल्मों में कदम रख एक लोकप्रिय नायिका के रूप में विख्यात हो चुकी हैं. साथ ही ऐसी भी कुछ अभिनेत्रियाँ हैं जिन्हें अपने अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्म फेयर जैसे ढेरों पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

लेकिन, ऐसी कई सुंदर और पुरस्कार विजेता अभिनेत्रियों में से कुछ तो आज जीते जी गुमनामी में खो चुकी हैं. लेकिन मधुबाला जिन्हें न कभी कोई सौन्दर्य प्रतियोगिता नहीं जीती और जिन्हें न कभी सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का कोई पुरस्कार मिला वह अपने मरने के 50 साल बाद भी अमर हैं.

सच भारतीय सिनेमा ने चाहे एक से एक खूबसूरत और अच्छी से अच्छी अभिनेत्रियाँ दी हैं लेकिन मधुबाला जैसी दिलकश अभिनेत्री कोई और नहीं है. बात सौन्दर्य की हो या अभिनय की मधुबाला का आज भी कोई सानी नहीं है. यही कारण है कि हम मधुबाला को उनके रहते जितना याद करते थे, उनके बाद उन्हें उससे भी कहीं ज्यादा शिद्दत से याद कर रहे हैं.

यह किसी चमत्कार से कम नहीं कि जब 50 साल में कई इतिहास मिट जाते हैं. बड़े से बड़े राज नेताओं, क्रिकेटर्स और सितारों को भुला दिया जाता है लेकिन मधुबाला को आज भी सभी दिल से याद करते हैं.

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हॉलीवुड ने भी माना मधु को वीनस

मधुबाला की लोकप्रियता, सुंदरता और अभिनय प्रतिभा की गूंज तब भी हॉलीवुड तक गूंजती थी जब सन 1940-50 और 60 के दशक में वह फिल्मों में काम कर रही थीं. मधुबाला के सौन्दर्य को देख हॉलीवुड ने तब कभी उनकी तुलना उस समय की विश्व प्रसिद्द अभिनेत्री मर्लिन मुनरो से की. तो कभी उन्हें वीनस ऑफ़ इंडियन सिनेमा कहा.

मधुबाला से पहले देविका रानी, दुर्गा खोटे, नूरजहाँ और सुरैया जैसी अभिनेत्रियाँ अपने सौन्दर्य, अभिनय और गायन से हिंदी सिनेमा में अपनी धाक जमा चुकी थीं. साथ ही मधुबाला से कुछ पहले या कुछ बाद में आई उनकी समकालीन अभिनेत्रियों में नलिनी जयवंत, कामिनी कौशल, मीना कुमारी, नर्गिस, गीता बाली, निम्मी, वैजयन्ती माला, नूतन और वहीदा रहमान जैसी अभिनेत्रियाँ आती हैं.

ये सभी अभिनेत्रियाँ देश की लोकप्रिय और यादगार अभिनेत्रियाँ रही हैं और अपने अभिनय से उन्होंने भारतीय सिनेमा को भव्य सम्पन्नता दी है.

मीना कुमारी और नर्गिस को तो मधुबाला के टक्कर की अभिनेत्री माना जाता रहा है. लेकिन मधुबाला के सौन्दर्य और उनकी अदाओं के मुकाबले में ये दो महान अभिनेत्रियाँ भी कुछ उन्नीस ठहरती हैं.

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पिछले 40 बरसों में इस फ़िल्मी दुनिया को काफी करीब से देखने पर भी मुझे यह अहसास कई बार हुआ है कि नई अभिनेत्रियों से जब भी मैं उनकी आदर्श अभिनेत्री का नाम पूछता हूँ तो उनमें अधिकतर अभिनेत्रियाँ पहले नंबर पर मधुबाला और फिर मीना कुमारी का नाम लेती हैं.

फिर ऐसी कई अभिनेत्रियाँ ही नहीं, अनेक ऐसे सिने प्रेमी भी मानते हैं कि मधुबाला आज भी लाजवाब हैं.

जबकि पिछले 50 बरसों में उपरोक्त अभिनेत्रियों के अलावा मधुबाला के रहते या उनके बाद नंदा, माला सिन्हा, सायरा बानो, साधना, मुमताज़,शर्मीला टैगोर, हेमा मालिनी, रेखा, जया बच्चन, स्मिता पाटिल, शबाना आज़मी,जीनत अमान, श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, जूही चावला, उर्मिला मतोंडकर, प्रियंका चोपड़ा, काजोल,ऐश्वर्या राय, करिश्मा कपूर, रवीना टंडन, करीना,कटरीना, प्रीटी जिंटा, रानी मुखर्जी, विद्या बालन, कंगना और अब तापसी पन्नू व सारा खान तक अनेक अभिनेत्रियाँ आकर अपने अभिनय और सौन्दर्य का प्रदर्शन कर सिनेमा वर्ल्ड में अपनी ख़ास जगह बना चुकी हैं.

लेकिन, यह निश्चय ही चौंकाने वाला है कि इस सबके बावजूद मधुबाला आज भी शिखर पर हैं.

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माधुरी से होती है मोहक मुस्कान की मल्लिका की तुलना

मधुबाला की तुलना कई बार माधुरी दीक्षित से ज़रुर होती रही है. उसका पहला बड़ा कारण है मोहक मुस्कान की मल्लिका मधुबाला की मिलियन डॉलर्स स्माइल. यूँ तो मधुबाला का चाँद सा चेहरा, उनकी मदमाती आँखें, उनकी नटखट नाक, संगमरमर सा बदन. लेकिन उनकी हंसी, उनकी मुस्कराहट तो सभी पर भारी पड़ती है. मानो मोतियों सी खिलखिलाती या झरने सी खनखनाती मुस्कराहट के मुहावरे मधुबाला की हंसी को देख कर ही गढ़े गए हों.

कुछ-कुछ ऐसी मुस्कराहट माधुरी दीक्षित में भी देखने को मिलती है. यूँ माधुरी की हंसी में यदि वह कभी ज्यादा जोर से हंसती हैं तो उनके मसूड़े दिखाई देने लगते हैं. हालांकि माधुरी तब भी सुंदर लगती हैं, उनकी वह बड़ी खिलखिलाहट भी गज़ब की है. साथ ही माधुरी दीक्षित की शक्ल भी कभी-कभी मधुबाला से मिलती प्रतीत होती है और वह अभिनेत्री तो कमाल की हैं ही. लेकिन कुल मिलकर मधुबाला के मुकाबले में माधुरी भी कुछ पीछे हैं.

यूँ आज के दौर की उच्चकोटि की अभिनेत्री माधुरी दीक्षित अपनी तुलना मधुबाला से होने पर खुद को धन्य मानती हैं. एक बार जब मैंने ही माधुरी से कहा था कि मधुबाला के बाद मुझे आप उसी श्रृंखला की अगली अभिनेत्री के रूप में दिखाई देती हैं जैसी मधुबाला थीं. यह सुन माधुरी अपनी चिर परिचित आकर्षक मुस्कान बिखेरते हुए बोली थीं-"मेरे लिए इससे बड़ा कंप्लीमेंट और कोई नहीं हो सकता, यदि मेरी तुलना ग्रेट ग्रेट एक्ट्रेस मधुबाला से की जाए."

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दिल्ली के मैडम तुसाद म्यूज़ियम में मधुबाला का वैक्स स्टैच्यू

दिल्ली के मैडम तुसाद में भी मधुबाला

मधुबाला आज भी कितनी लोकप्रिय हैं इसकी मिसाल गूगल सर्च इंजन भी बताता है. यहाँ तक की गत 14 फरवरी को मधुबाला के जन्म दिन पर भी गूगल ने अपना डूडल मधुबाला को समर्पित किया था.

मधुबाला की लोकप्रियता आज भी चरम पर है. इस बात की मिसाल नयी दिल्ली के मैडम तुसाद के उस संग्रहालय से भी मिलती है जहाँ पुराने दौर की तमाम अभिनेत्रियों में सिर्फ एक ही अभिनेत्री का मोम का पुतला लगा हुआ है और वह है -मधुबाला.

इस संग्रहालय में कुछ समय पहले मधुबाला का पुतला लगाने पर मर्लिन एंटरटेनमेंट इंडिया के निदेशक और महाप्रबंधक ने कहा था- "मैडम तुसाद दिल्ली में मधुबाला का पुतला लगाकर हम बहुत प्रसन्न हैं. मधुबाला के आज भी देश दुनिया में अरबों प्रशंसक हैं. आज भी जब लोग उनके इस पुतले को देखने यहाँ आयेंगे तो उनके साथ सेल्फी लेने के लिए मचल उठेंगे."

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20 सुपरहिट फिल्में

मधुबाला ने यूँ सन 1942 से 1962 के अपने 20 बरस के करियर में कुल लगभग 70 फिल्मों में काम किया. लेकिन, इन फिल्मों में से सिर्फ 20 फ़िल्में ही हिट -सुपर हिट थीं. बाकी फिल्मों में कुछ औसत रहीं कुछ फ्लॉप. यानी अपनी सिर्फ 20 फिल्मों की ही बदौलत मधुबाला आज भी करोड़ों दिलों की रानी बनी हुई हैं. देश की सबसे महान अभिनेत्री बनी हुई हैं.

दिल्ली में 14 फरवरी 1933 को जन्मीं मधुबाला का असली नाम मुमताज़ जहाँ देहलवी था. अपने वालिद अताउललाह खान और वालिदा आयशा बेगम की 11 संतानों में मुमताज़ का नंबर पांचवां था. लेकिन मुमताज अपने बचपन से ही बला की सुंदर थीं, साथ ही गीत संगीत में भी काफी दिलचस्पी रखती थीं.

मुमताज सिर्फ 9 बरस की थीं कि उन्हें फिल्म 'बसंत' में नायिका की बेटी की भूमिका मिल गई. बेबी मुमताज के नाम से कुछ फ़िल्में करने वाली मुमताज की चुंबकीय सुंदरता देख इन्हें देविका रानी ने मधुबाला नाम दे दिया.

यूँ देविका रानी इन्हें 'ज्वारभाटा' फिल्म में पेश करना चाहती थीं. लेकिन हालात कुछ ऐसे बने कि फिल्मकार केदार शर्मा ने सन 1946 में अपनी फिल्म 'नील कमल' में इन्हें नायिका बनाकर राज कपूर के साथ प्रस्तुत कर दिया. वह फिल्म तो नहीं चली. लेकिन इनका काम और रूप देख इन्हें उस दौर के सभी चर्चित नायकों के साथ फ़िल्में मिलने लगीं. जिनमें सन 1949 में प्रदर्शित कमाल अमरोही की 'महल' की सफलता ने मधुबाला को स्टार बना दिया.

मधुबाला ने अशोक कुमार, राज कपूर, महिपाल, जयराज, रहमान, मोतीलाल, सुरेन्द्र, करण दीवान, प्रदीप कुमार, भारत भूषण, देव आनंद, प्रेमनाथ, सुनील दत्त, शम्मी कपूर, किशोर कुमार और दिलीप कुमार के साथ भी काम किया.

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दिलीप कुमार के साथ तो मधुबाला का लम्बा इश्क भी रहा. दिलीप कुमार ने अपने इस प्यार को खुले शब्दों में स्वीकारा भी. जबकि दिलीप कुमार से इनकी शादी नहीं हो पायी. जिसका सबसे बड़ा कारण था मधु के वालिद का विरोध. तब निराश होकर मधुबाला ने सन 1960 में किशोर कुमार से निकाह कर लिया.

मधुबाला के करियर में सबसे ज्यादा सुपर हिट फ़िल्में भी दिलीप कुमार और किशोर कुमार के साथ आयीं. जिनमें 'मुग़ल ए आज़म' तो देश की आज भी ऐसी ही शिखर की फिल्म बनी हुई है जैसे मधुबाला शिखर की नायिका. उसके अलावा इनकी तराना, अमर और संगदिल जैसी फ़िल्में भी दिलीप कुमार के साथ थीं.

उधर किशोर कुमार के साथ चलती का नाम गाड़ी, महलों के ख्वाब, झुमरू और हाफ टिकट जैसी फिल्मों में किया गया मधु का अभिनय आज भी प्रभाव छोड़ता है.

मधुबाला की अन्य यादगार फिल्मों में हावड़ा ब्रिज, बरसात की रात, गेट वे ऑफ़ इंडिया, मिस्टर या मिसेज, शीरी फरिहाद, यहूदी की लड़की, काला पानी, जाली नोट, पासपोर्ट, कल हमारा है, इंसान जाग उठा, दो उस्ताद और फाल्गुन मुख्य हैं.

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दिल ने दिया धोखा

मधुबाला की जिंदगी के खूबसूरत सफ़र की सबसे बड़ी त्रासदी रही उनका दिल. उनका दिल यूँ तो बहुत कोमल और सुंदर था. लेकिन जैसे चाँद में भी दाग है ऐसे ही उनके चाँद जैसे दिल में भी एक दाग, एक छेद था. जिसका पता उन्हें फिल्म 'मुग़ल ए आज़म' की शूटिंग के दौरान 1950 के दशक के मध्य में ही लग गया था.

लेकिन अपने बड़े परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियां संभाल रहीं और अपने करियर की बुलंदियों पर रहते हुए उन्होंने अपनी इस गंभीर बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया. जिस कारण यह रोग और भी असहज हो गया.

उधर मधुबाला ने प्रेम नाथ, दिलीप कुमार और किशोर कुमार तक जिससे भी प्यार किया उससे अंततः मधु को निराशा ही मिली. या यूँ कहें सभी ने इन्हें धोखा ही दिया.

किशोर कुमार ने मधुबाला से शादी तो कर ली लेकिन उन्होंने मधुबाला की बढ़ती असहनीय बीमारी के दिनों में उन्हें अपने साथ न रखकर अलग रहने को भेज दिया. यहाँ तक कि किशोर, मधुबाला का हाल पूछने के लिए भी दो-चार महीनों में एक बारही उनके पास जाते थे. जबकि इस मुश्किल दौर में मधुबाला को अपने पति किशोर के साथ की सबसे ज्यादा जरुरत थी. इस सबसे मधुबाला और भी विचलित और दुखी रहने लगी थीं.

फिल्मों में काम करने की ताकत उनके शरीर में अब नहीं बची थी. ऐसे में वह शादी के बाद यूँ तो 9 बरस तक ज़िंदा रहीं लेकिन अपने अंतिम बरसों में ताजमहल सी सुंदर मधुबाला एक खंडहर सी बन गयी थीं. उनका शरीर हड्डियों का ढांचा बन गया था, अपनी ऐसी ही बदहवास हालात में सौन्दर्य की देवी ने 23 फरवरी 1969 को 36 बरस की उम्र में दम तोड़ दिया.

फिर भी यह उस मधुबाला की ताकत है, उनके रूप और अभिनय का करिश्मा कि उनका नाम और काम आज भी महक रहा है.

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