दिलीप कुमार फिर दिखेंगे सिनेमा घरों के पर्दे पर

91 साल के दिलीप कुमार बरसों पहले फ़िल्मों में काम करना बंद कर चुके हैं. लेकिन उनके प्रशंसकों को उनकी एक ऐसी फ़िल्म बड़े पर्दे पर देखने को मिल सकती है जो आज तक किसी के सामने नहीं आई.
90 के दशक में बनी इस फ़िल्म के प्रिंट्स ग़ायब हो गए थे लेकिन इसके निर्देशक को दोबारा इसके प्रिंट्स मिले और अब वो इसे रिलीज़ करने की योजना बना रहे.
(दिलीप कुमार की अनदेखी तस्वीरें)
दो दशकों से भी ज़्यादा समय से लापता दिलीप कुमार की इस फ़िल्म का नाम है 'आग का दरिया' है जिसमें दिलीप कुमार के अलावा रेखा, पद्मिनी कोल्हापुरे, दिवंगत अमरीश पुरी और अमृता सिंह जैसे सितारे हैं.
'आग का दरिया' का निर्देशन मशहूर कन्नड़ फ़िल्मकार वीएस राजेंद्र बाबू ने किया था. वो इससे पहले 'मेरी आवाज़ सुनो', 'शरारा' और 'एक से भले दो' जैसी हिंदी फ़िल्में बना चुके हैं.
क्यों रुकी फ़िल्म?
बीबीसी से बात करते हुए निर्देशक राजेंद्र बाबू ने बताया, "साल 1991-92 के दौरान हमने फ़िल्म की शूटिंग की. ये उस दौर की सबसे महंगी फ़िल्मों में से एक थी और इसकी लागत उस वक़्त क़रीब पांच करोड़ रुपए थी."
फ़िल्म की रिलीज़ रुकने के बारे में वो कहते हैं, "रिलीज़ के वक़्त फ़िल्म वित्तीय मुश्किलों में फंस गई और इसके निर्माता आर वेंकटरमण को अदालत के चक्कर भी लगाने पड़े. इसी दौरान उनका निधन हो गया और फ़िल्म की रिलीज़ ही रुक गई."
(क्या कहती हैं दिलीप कुमार के बारे में सायरा बानो)
राजेंद्र बाबू ने बताया कि फ़िल्म को लेकर फ़िलहाल किसी तरह की क़ानूनी समस्या नहीं है और इस वजह से इसे रिलीज़ किया जा सकता है.
कैसे मिला प्रिंट?
लेकिन फ़िल्म को रिलीज़ करने में सबसे बड़ी समस्या थी इसके प्रिंट्स.
(पेशावर में मना दिलीप कुमार का जन्मदिन)
राजेंद्र बाबू ने कहा, "हम सब इस फ़िल्म के बारे में भूल चुके थे. लेकिन पिछले दिनों मैं हेमा मालिनी की बेटी अहाना की शादी में गया, जहां सायरा जी भी मुझसे मिलीं और उन्होंने दिलीप साहब के सामने पूछा कि आग का दरिया का क्या हुआ. मैंने बैंगलोर आकर जब फ़िल्म के प्रिंट्स खोजे तो वो खस्ताहाल थे. फिर मुझे याद आया कि हमने फ़िल्म बनने के बाद उसके प्रिंट्स सिंगापुर के एक डिस्ट्रीब्यूटर को भेजे थे."
राजेंद्र बाबू ने बताया कि उन्होंने सिंगापुर के उस वितरक से संपर्क साधा और पाया कि उनके पास 'आग का दरिया' के प्रिंट्स बिलकुल सही हालत में रखे हैं.
फ़िलहाल फ़िल्म के प्रिंट्स को डिजिटल करने की प्रक्रिया जारी है और इसके बाद पोस्ट प्रोडक्शन करके राजेंद्र बाबू की योजना फ़िल्म को रिलीज़ करने की है.
कैसे आए दिलीप कुमार फ़िल्म में?
दिलीप कुमार से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए निर्देशक राजेंद्र बाबू बताते हैं, "मुझे हेमा मालिनी ने पहली बार दिलीप साहब से मिलवाया था. उन्होंने मेरे बारे में बताया और दिलीप साहब ने मुझे घर बुलाया. मैं उनके घर फ़िल्म की कहानी लेकर गया."
वो बताते हैं, "कहानी सुनने के बाद उन्होंने कुछ नहीं कहा और मैं वापस आ गया. उसके बाद शाम को मुझे फ़ोन आया कि दिलीप साहब मुझसे मिलना चाहते हैं. मैं उनसे फिर मिला तो उन्होंने बताया कि उन्हें फ़िल्म की कहानी पसंद है."
(यूं मना दिलीप कुमार की सालगिरह का जश्न)
फ़िल्म में दिलीप कुमार ने एक एयरफ़ोर्स ऑफ़िसर का रोल निभाया है और रेखा ने उनकी पत्नी का किरदार निभाया है और पद्मिनी कोल्हापुरे उनकी बेटी के रोल में हैं.
फ़िल्म में अमृता सिंह ने एक आइटम नंबर भी किया है. ये एक पारिवारिक कहानी है जिसमें दिखाया गया है कि कैसे एक ईमानदार अफ़सर का परिवार कैसे सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार से लड़ता है.
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