तीन तलाक़ पर बहस चाहती है सरकार : नायडू

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केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा है कि सरकार तीन तलाक़ के मुद्दे पर बहस कराना चाहती है लेकिन लोगों पर कुछ भी थोपा नहीं जाएगा.
नायडू ने शुक्रवार को कहा, "तीन तलाक़ को समान नागरिक संहिता से जोड़ा जा रहा है लेकिन मुख्य मुद्दा लैंगिक न्याय, भेदभाव न किए जाने और महिलाओं के सम्मान का है."
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गुरुवार को कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) भारत के लिए सही नहीं है और संविधान भारतीय नागरिकों को मज़हब की आज़ादी देता है.
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इसके पहले मोदी सरकार ने लैंगिक समानता और संविधान के बुनियादी ढांचे का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में मुसलमानों के 'तीन तलाक़' और बहुविवाह का विरोध किया था.
नायडू ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को समान नागरिक संहिता के मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा, "इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को क्यों घसीटा जा रहा रहा? अगर आप राजनीतिक बयानबाजी करना चाहते हैं तो अपनी पसंद की पार्टी में शामिल हो जाइये."
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उधर, समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार को कहा कि समान नागरिक संहिता का मुद्दा धार्मिक नेताओं पर छोड़ देना चाहिए.
मुलायम सिंह यादव ने कहा, "मैं इस बारे में ज्यादा नहीं कहूंगा लेकिन इस पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए. समान नागरिक संहिता का मुद्दा धार्मिक नेताओं पर छोड़ देना चाहिए. देश और इंसानियत के मुद्दे पर सभी को एकजुट होना चाहिए."
कुछ दिन पहले विधि आयोग ने तीन तलाक़ और समान नागरिक संहिता पर आम लोगों की राय मांगी है जिसका अल्पसंख्यक समुदाय का एक हिस्सा विरोध कर रहा है.
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