भारत का कितना साथ देगा रूस?
- अनुराधा चिनॉय
- वरिष्ठ विश्लेषक, जेएनयू

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा में ब्रिक्स शिखर बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का स्वागत किया.
गोवा में हो रही ब्रिक्स की सालाना बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की मुलाक़ात हुई.
उम्मीद है कि मुलाक़ात के दौरान ख़ासतौर से रक्षा, सामरिक और आर्थिक मुद्दों पर बात होगी.
राष्ट्रपति पुतिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ठोस रणनीतिक साझेदारी जारी रखने का भरोसा दिलाएंगे.
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बावजूद रूस और पाकिस्तान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास जारी है. इसको लेकर भारत पहले से ही चिंतित है.
उड़ी में 18 भारतीय सेना के जवानों की हत्या के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले महीने तनाव बढ़ गया था. इसकी प्रतिक्रिया में भारत ने बदले की कार्रवाई करने का दावा किया है.
पुतिन प्रधानमंत्री मोदी को इस बात के लिए आश्वस्त करने की कोशिश करेंगे कि इस सैन्य अभ्यास से भारत और रूस के संबंध पर असर नहीं पड़ेगा. वे यह भरोसा दिलाएंगे कि यह अभ्यास केवल रूस की बहुमार्गी नीति को दिखाता है.
इसके तहत रूस एक साथ कई देशों से अपने संबंध मज़बूत बनाता है और इन देशों के साथ संबंधों की वरीयता का भी ख्याल रखता है.
भारत का स्थान इस वरीयता सूची में सबसे ऊपर है. चरमपंथ को लेकर रूस और भारत का संयुक्त नज़रिया और चिंताएं दोनों देशों के संयुक्त बयान के तौर पर बैठक के बाद सामने आएगा.
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ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में व्लादीमिर पुतिन और नरेंद्र मोदी
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका समर्थित शांति समझौते के संदर्भ में चरमपंथ का मुद्दा कुछ और ही मायने रखता है.
शांति समझौते के कारण गुलबदीन हिकमतयार अफ़ग़ानिस्तान की राजनीति के केंद्र में आ गए हैं.
यह सौदा मुजाहिदीन समर्थित तालिबान के साथ समझौते का प्रतीक है. मुजाहिदीन समर्थित तालिबान भारत और रूस दोनों का दुश्मन है.
सुरक्षा से जुड़े दूसरे सामरिक मुद्दे सीरिया की परिस्थितियों से जुड़े हुए हैं. भारत सीरिया में युद्ध नहीं शांति चाहता है और बातचीत के पक्ष में है. अगर यह बात भारत, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका के साथ किसी बैठक में तय होती है तो रूस इससे ख़ुश होगा.
रूस और भारत के बीच होने वाले रक्षा सौदे के तहत दोनों देश फाइटर जेट विमान बनाने वाले हैं. इसके बावजूद कि भारत दूसरे देशों के साथ अपनी सुरक्षा संबंधी नीतियों का विस्तार कर रहा है, रूस भारत को हथियार, परमाणु पनडुब्बी समेत दूसरे कई साज़ो-सामान की आपूर्ति करने वाला मुख्य देश बना रहेगा.
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यह बैठक चूंकि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौक़े पर हो रही है इसलिए इसे ख़ास बैठक माना जा रहा है.
यह ब्रिक्स के प्रभाव के साल दर साल बढ़ते जाने का सबूत है.
इस साल ब्रिक्स की अध्यक्षता भारत कर रहा है जबकि पिछले साल रूस ने की थी. इस साल ब्रिक्स को सशक्त बनाने की गतिविधियां ख़ूब हुईं. भारत सरकार ने समाज के कई पहलुओं को लेकर कई सारे आयोजन किए हैं.
ब्रिक्स देशों के कृषि मंत्रियों और सुरक्षा प्रमुखों की बैठकों के अलावा फ़िल्म फेस्टिवल, अकादमिक जगत और सिविल सोसायटी की गतिविधियां भी बढ़ी हैं. ब्रिक्स संस्थागत संबंधों को मज़बूत बनाने की दिशा में प्रयासरत है. इसके तहत ही ब्रिक्स बैंक की स्थापना होने जा रही है.
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भारत और रूस दोनों ही देश ब्रिक्स को लेकर प्रतिबद्ध है क्योंकि इन दोनों ही देशों का मक़सद एक बहुध्रुवीय दुनिया बनाना है. ऐसी दुनिया जहां दूसरे विकासशील देशों की भी दावेदारी हो.
इस संदर्भ में भारत और रूस के रिश्तों का मज़बूत होना काफ़ी मायने रखता है. दोनों ही देश आपसी संबंधों को और व्यापक बनाने में लगे हैं. रूस चीन के क़रीब हो गया है जैसे कि भारत अमरीका के.
दोनों ही देश इस बात को समझते हैं कि वैश्विक दुनिया में आपसी संबंधों की पुरानी निर्भरता नहीं चलेगी और आपसी संबंधों की नई संभावनाएं जाग उठी हैं.
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इसके तहत हर एक देश दूसरे देश के हितों को बिना नुक़सान पहुंचाए उसके अलावा भी दूसरे देशों के साथ संबंध रख सकता है.
इसलिए रूस का चीन के साथ रिश्ता और भारत का अमरीका के साथ रिश्ता भारत और रूस के रिश्ते को नुक़सान नहीं पहुंचाएगा.
रूस और भारत का संबंध ब्रिक्स की नींव है और दोनों ही देश इस बात को समझते हैं.
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