ठाणे में बैठकर अमरीकियों को ऐसे ठगा
- सुशांत एस मोहन
- बीबीसी संवाददाता

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मुंबई के पास ठाणे में पुलिस ने चार अक्तूबर को बहुत बड़े पैमाने पर नौ कॉल सेंटरों पर छापे मारे और 70 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया.
पुलिस ने बताया कि सैकड़ों करोड़ की ठगी का मामला सामने आया है और इस ठगी के शिकार अमरीकी नागरिक हुए हैं.
ये बहुत चौंकाने वाली बात थी कि भारत में बैठे लोग अमरीकियों को इतने बड़े पैमाने पर कैसे झाँसा दे सकते हैं?
पुलिस अधिकारियों ने बीबीसी को बताया कि इतनी बड़ी धोखाधड़ी ऐसे की जा रही थी--
मीरा रोड और अहमदाबाद में चल रहे इन कॉल सेंटरों से अमरीका फ़ोन किया जाता था और वहां के नागरिकों से कहा जाता कि यह कॉल अमरीकी टैक्स विभाग आईआरएस यानी इंटरनल रेवेन्यू सर्विस की ओर से है.
भारत में कॉल सेंटर्स के पास अमरीकी नंबर लेने की सुविधा है या फिर ऐसे सॉफ़्टवेयर हैं जो कॉलर आइडी पर अमरीकी नंबर दिखाते हैं.
अमरीकी नागरिकों को उसकी टैक्स गड़बड़ियों का हवाला देकर, डराया जाता था, कॉल सेंटर को ऐसे लोगों के बारे में जानकारी कुछ अमरीकी एजेंट दिया करते थे.
पुलिस अधिकारी ने बीबीसी को बताया, "टैक्स चोरी की ग़लती जाने-अनजाने में किसी से हो सकती है. जब भारत में लोग इनकम टैक्स के नाम से इतना डरते हैं तो अमरीका में तो टैक्स क़ानून और भी सख़्त हैं."
कॉल सेंटर से फ़ोन करने वाले ये नकली आईआरएस अधिकारी, अमरीकी नागरिकों को उनके टैक्स फ़ॉर्म की गलतियां, पुरानी छिपाई हुई आय के बारे में बताते और फिर जेल और भारी जुर्माने की धमकी देते थे.
घबराहट में आकर फ़ोन पर बात करने वाला व्यक्ति अपनी ग़लती मान लेता और फिर कार्रवाई रोकने के बदले में मोटी रकम देने को तैयार हो जाता था.
हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले का सरगना एक 23 साल के लड़के को माना जा रहा है जिसका नाम सागर ठक्कर है और उसके दोस्त, कॉल सेंटर में काम करने वाले उसे सैगी कहकर बुलाते थे.
पुलिस अधिकारी ने बीबीसी को बताया, "जब कॉल सेंटर से गिरफ़्तार किए लोगों से हमने बात की तो हमें पता लगा कि सैगी उनके लिए एक आइकॉन या रोल मॉडल था. वो 23 साल का लड़का कॉल सेंटरो का मालिक था और उसकी लाइफ़ स्टाइल देखकर कोई भी उससे प्रभावित हो सकता था."
बताया जाता है कि उसने अपनी गर्लफ़्रेंड को भारत की सबसे मंहगी स्पोर्ट्स कार गिफ़्ट की थी और एक हज़ार लोगों को तनख़्वाह दे रहा था.
सागर ठक्कर इस मामले में मुख्य आरोपी हैं और इस समय अपनी बहन के साथ देश से फ़रार बताए जा रहे हैं लेकिन सागर के गुरु माने जाने वाले जगदीश कनानी को मुंबई के बोरीवली इलाके से गिरफ़्तार कर लिया गया है.
पुलिस के मुताबिक़ मीडिया अलग अलग रिपोर्ट छाप रही है लेकिन पुलिस को लगता है कि यह मामला 2009 से चल रहा है और इसकी शुरुआत जगदीश ने अहदमदाबाद के एक कॉल सेंटर से की थी.
सागर और जगदीश के कुछ एजेंट अमरीका में थे जो उन्हें ऐसे अमरीकी नागरिकों की जानकारी देते जिन पर टैक्स धोखाधड़ी या अनियमितता का आरोप लगा था.
सागर और जगदीश इन लोगों की जानकारी अपनी टीम से साझा करते और फिर कॉल सेंटर से अमरीकी शिकार को फ़ोन किया जाता.
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बीपीओ की आड़ में चल रहे इस गोरखधंधे में सिर्फ़ भरोसे के आदमी को ही शामिल किया जाता था. कई लोगों को यह भी कहा गया कि वो हिंदुस्तानियों को नहीं लूट रहे बल्कि अमरीका में मौजूद काला धन यहाँ ला रहे हैं और इसके लिए पुलिस भी उन्हें परेशान नहीं करेगी.
हर चांगली (सफल 'डील' का कोडवर्ड) कॉल करने वाले को दो डॉलर प्रति कॉल, टैक्स अधिकारी बनकर डराने वाले को तीन से चार डॉलर प्रति कॉल और फिर डील करने वाले को सात डॉलर प्रति कॉल के हिसाब से पैसा मिलता.
इसके बाद आने वाली रकम दुबई या सिंगापुर और कभी कभी अमरीका के किसी विदेशी अकाउंट से होते हुए सागर तक पहुंचती और गिरफ़्तार हुए सागर के नज़दीकी सहयोगी हैदर ने पुलिस को बताया कि इसका 30 फ़ीसदी अमरीकी एजेंट को देने के बाद बाकी की रकम का 40 फ़ीसदी पार्टनर्स को दिए जाते और 60 फ़ीसदी सागर रखता.
एफ़बीआई की सूचना के अनुसार, अमरीका में इस तरह की शिकायत साल 2013 में पहली बार आई थी और उसके बाद से क़रीब नौ लाख़ के आसपास शिकायतें अमरीकी टैक्स विभाग को मिली हैं.
बीबीसी से बात करते हुए ठाणे पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया, "इस मामले के तार कई देशों में मौजूद ऐसे कॉल सेंटर्स से जुड़े हो सकते हैं इसलिए अब हम इस मामले से जुड़े किसी भी तथ्य के बारे में नहीं बताना चाहते. हम नहीं चाहते कि अपराधियों को हमारी मूवमेंट का पता चले."
दरअसल, नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अमरीकी जांच एजेंसी एफ़बीआई, ठाणे पुलिस की इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है क्योंकि यह कार्रवाई या रेड इतने शोर के साथ की गई कि इस मामले के मास्टरमाइंड को भागने का मौका मिल गया.
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अब सवाल यह उठता है कि जो धोखाधड़ी इतने सालों से चल रही थी, उसका पता ठाणे पुलिस ने एक दिन अचानक, कैसे लगा लिया?
पुलिस के मुताबिक उन्हें कॉल सेंटर के ही एक आदमी से 'टिप' मिली थी कि किस तरह उसे अमरीका में धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
लेकिन पुलिस का यह भी मानना है कि यह 'टिप' इसलिए दी गई क्योंकि कंपनी का यह कर्मचारी इस लूट के बंटवारे में अपने हिस्से से खुश नहीं था और सागर को सबक सिखाने के लिए ऐसा किया गया था.
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