अखिलेश समर्थकों ने कहा मुलायम लें संन्यास
- समीरात्मज मिश्र
- लखनऊ से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

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लखनऊ में समाजवादी पार्टी दफ़्तर में मुलायम सिंह यादव की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समर्थकों ने जमकर हंगामा और नारेबाज़ी की.
इनमें ज़्यादातर युवा कार्यकर्ता थे और उन्होंने मांग की कि अखिलेश यादव को आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया जाए.
उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में भी अखिलेश को अहम भूमिका देने की मांग की.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मुलायम सिंह यादव ने दावा किया कि पार्टी में सब कुछ ठीक है. उन्होंने अपने भाई शिवपाल और बेटे अखिलेश के बीच भी किसी तरह के मतभेद की बात से इनकार किया लेकिन वहां अखिलेश के मौजूद न रहने से उनके समर्थकों में असंतोष फैल गया.
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साथ ही मुलायम ने जिस तरह से शिवपाल और अमर सिंह का बचाव किया वो भी इऩ कार्यकर्ताओं के गले नहीं उतरा.
इन लोगों ने मुलायम के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी भी की और उन्हें राजनीति से संन्यास लेने की सलाह दे डाली.
ऐसा कहा जा रहा है कि सोमवार से ही लगातार हो रही बैठकों के ज़रिए सुलह का रास्ता बनाने की कोशिशें हो रही थीं लेकिन रामगोपाल और उदयवीर समेत अपने समर्थकों की बर्ख़ास्तगी को रद्द कराने और चुनाव के दौरान टिकट वितरण में अहम भूमिका देने संबंधी अखिलेश यादव की मांग को ख़ारिज कर दिया गया.
यही नहीं, जानकारों का कहना है कि अखिलेश यादव अब किसी भी क़ीमत पर अमर सिंह को पार्टी से बाहर करने की शर्त पर ही कोई समझौता करेंगे जबकि नेताजी ये बात मानने को कतई तैयार नहीं है.
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यही नहीं, मुलायम सिंह अखिलेश की शर्तों को तो सीधे तौर पर ख़ारिज कर रहे हैं और मंत्रियों की वापसी अखिलेश पर छोड़ रहे हैं.
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र कहते हैं, "सुलह जैसी कोई बात तभी बनेगी जबकि दोनों पक्षों की बात सुनी जाएगी. यहां तो सोमवार की बैठक से लेकर मंगलवार तक की प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश यादव की बातों को सिर्फ़ ख़ारिज करने की कोशिश की जा रही है."
जानकार ये भी कहते हैं कि जब ख़ुद मुलायम सिंह यादव ये कह रहे हैं कि रामगोपाल की कोई हैसियत नहीं है और उनकी बातों का कोई महत्व नहीं है, तो इससे साफ़ पता चलता है कि वो ख़ुद सुलह समझौते के लिए कितने गंभीर हैं.
रामगोपाल यादव को अभी तक ख़ुद मुलायम सिंह यादव अपनी पार्टी का थिंक टैंक बताते रहे हैं और ये भी कहा जाता है कि उनके परिवार में रामगोपाल ही सबसे ज़्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति हैं.
लखीमपुर खीरी से आए एक कार्यकर्ता दीपक यादव का कहना था कि पिछले डेढ़ महीने से चल रहे इस विवाद ने पार्टी को रसातल में पहुंचा दिया है और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटने के कगार पर है.
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एक अन्य कार्यकर्ता मोहम्मद शमीम का कहना था कि ये नेता आगामी विधान सभा चुनाव में कैसे कार्यकर्ताओं में जोश पैदा कर सकेंगे, पता नहीं.
वहीं कुछ कार्यकर्ता ये कहते हुए भी मिले कि अब पार्टी में सुलह हो जाए, तो भी चुनाव में कुछ नहीं मिलने वाला है.
पार्टी दफ़्तर के बाहर शिवपाल यादव और मुलायम सिंह यादव के भी समर्थक जमा थे. इनके बीच किसी तरह का टकराव न होने पाए, इसके लिए प्रशासन मुस्तैद था और बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी के जवान तैनात किए गए.
मुख्यमंत्री चौराहे से विक्रमादित्य मार्ग स्थित समाजवादी पार्टी के दफ़्तर वाला पूरा इलाक़ा एक तरह से छावनी में तब्दील हो चुका है.