बिहार: 34 की हत्या, 15 दोषी क़रार

  • मनीष शांडिल्य
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बिहार में 17 वर्ष पहले हुए सेनारी जनसंहार में 15 लोगों को दोषी पाया गया है और 23 को बरी कर दिया गया है.

मार्च 1999 में हुए सेनारी जनसंहार में जहानाबाद न्यायालय ने गुरुवार को फैसला सुनाया है.

सेनारी गांव में वो घटना तब हुई जब शाम के समय तथाकथित अगड़ी जाती के 34 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी.

उस समय पुलिस ने इस घटना को अंजाम देने के लिए प्रतिबंधित संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) का नाम लिया था.

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जहानाबाद के तृतीय अपर एवं ज़िला सत्र न्यायाधीश रणजीत कुमार सिंह ने फ़ैसला सुनाते हुए पंद्रह अभियुक्तों को हत्या, हत्या की साज़िश रचने, विस्फोटक और हथियार रखने और गैरकानूनी रूप से एकत्र होने का दोषी पाया है.

अदालत सजा सुनाने के लिए अगले महीने की पंद्रह तारीख को सुनवाई करेगी.

घटना के बाद, पुलिस ने बताया था कि प्रतिबंधित संगठन एमसीसी के लोगों ने मार्च 1999 की उस रात को सेनारी गांव की घेराबंदी कर ली थी और फिर एक जाति विशेष के पुरुषों को घरों से निकालकर गांव में ही जमा किया गया.

पुलिस के अनुसार उस रात साढ़े सात से दस बजे के बीच 34 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी.

घटना के अगले दिन यानी 19 मार्च को इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी.

मामले की सूचना चिंतामणि देवी ने दी थी. चिंतामणि की कुछ वर्षों पहले मौत हो चुकी है.

चिंतामणि के परिवार से दो लोग इस घटना में मारे गए थे. इस मामले में 1999 से 2000 के बीच कुल चार चार्टशीट दाखिल हुए.

बचाव पक्ष के वकीलों में से एक किशोरी लाल सिंह ने कहा कि आगे पटना हाई कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की जाएगी.

सेनारी जनसंहार से ही जुड़े एक दूसरे मामले में जहानाबाद न्यायालय शुक्रवार को फैसला सुनाएगा.

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