'उनका दम घुट गया, दीवार तोड़ लाशें निकालीं'
- नितिन श्रीवास्तव
- बीबीसी संवाददाता, गाज़ियाबाद
चश्मदीद चौधरी नौशाद
उत्तर प्रदेश की गाज़ियाबाद जैकेट फैक्ट्री में आग लगने से 13 लोगों की मौत हो गई है.
चश्मदीद चौधरी नौशाद ने बताया, "मज़दूरों के चेहरे बुरी तरह झुलस गए थे. यदि पुलिस समय पर नहीं आती तो उनके शव कोयला हो जाते."
नौशाद बताते हैं कि घायल मजदूरों को पुलिस की गाड़ियों से अस्पताल ले जाया गया.
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अकरम अंसारी साहिबाबाद के इसी इलाक़े में रहते हैं. उनका घर यहां से बमुश्किल 100 क़दम की दूरी पर है.
अकरम बताते हैं, "तक़रीबन पांच-साढ़े पांच बजे की घटना है. इस इमारत में ऊपर एक कारख़ाना चलता था. इसमें जैकेट बनाने का काम होता था. लोगों ने नालियों से पानी भर भर कर आग बुझाने की कोशिश की."
गाज़ियाबाद की जैकेट फैक्ट्री जिसमें आग लगी.
वे बताते हैं, "प्रशासन की बड़ी ख़ामी रही. हमने फायर ब्रिगेड को फोन किया. लेकिन वे वक्त पर नहीं आए. हमें उन्हें बाइक पर लेकर आना पड़ा."
मौक़े पर मौजूद एक व्यक्ति ने बताया, "अगर फायर ब्रिगेड वाले समय पर आ जाते तो ऊपर के मंजिल में फंसे 10 लोगों को बचाया जा सकता था."
स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने पाइप से दीवार तोड़ कर 13 लाशें निकालीं.
घटना में मृत एक मज़दूर के रिश्तेदार ने बताया, "मेरा भतीजा यहां जैकेट की सिलाई का काम करता था."
आग लगने के बाद प्रशासन के देर से पहुंचने से लोगों में काफी नाराजगी है.
इसके अलावा लोग ये भी बताते हैं कि इतने भीड़ भाड़ वाले इलाके में कई कारखाने चल रहे हैं. ये गैरकानूनी है और सब पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है.
बताया जा रहा है कि आग में मरने वाले 13 मजदूरों में से कोई यहां का रहने वाला नहीं था. वे सभी बरेली, बुलंदशहर और गुलावटी से यहां काम करने आए थे.
स्थानीय नागरिक और कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अकरम अंसारी
चौधरी नौशाद बताते हैं, "वे लोग यहां तीन-चार सौ रुपए के लिए काम कर रहे थे. उनके परिवार सड़क पर आ गए हैं. एक परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई."
नागरिकों ने स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि वह हर मृतक के परिवार को 50-50 लाख रुपए मुआवजा दे.
प्रशासन की ओर से इस बारे में अभी कोई आश्वासन नहीं मिला है. हालांकि सांसद जनरल वीके सिंह ने उच्च स्तरीय जांच का आश्वासन दिया है.