छत्तीसगढ़: महिला प्रोफेसरों की गिरफ़्तारी रोकी
- आलोक प्रकाश पुतुल
- रायपुर से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए

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छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि बस्तर के सामनाथ बघेल की हत्या के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और प्रोफेसर अर्चना प्रसाद समेत चार लोगों को 15 नवंबर तक गिरफ़्तार नहीं किया जाएगा.
नंदिनी सुंदर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख़ 15 नवंबर तय की है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केन्द्र सरकार से इस मामले में रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है.
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दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर
इस दौरान सरकार का पक्ष रखते हुए असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगली तारीख़ तक इनकी गिरफ़्तारी नहीं की जाएगी.
इस बीच, पुलिस के दावे के उलट मृतक सामनाथ बघेल की पत्नी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि उन्होंने किसी के नाम से कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई है और ना ही पति की हत्या करने वाले किसी व्यक्ति को वो पहचानती हैं.
गांव के दूसरे लोगों ने भी पुलिस के इस दावे को ग़लत बताया है कि नंदिनी सुंदर और उनके साथियों ने ग्रामीणों को पुलिस के ख़िलाफ़ भड़काया है.
दरभा क्षेत्र के ग्राम नामा में पिछले शुक्रवार संदिग्ध माओवादियों ने सामनाथ बघेल की हत्या कर दी थी.
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पुलिस ने इस मामले में सामनाथ बघेल की पत्नी की थित शिकायत पर तोंगपाल थाने में प्रोफेसर नंदिनी सुंदर, प्रोफेसर अर्चना प्रसाद, सीपीएम नेता संजय पराते, विनीत तिवारी, मंजू कवासी और मंगल राम कर्मा के ख़िलाफ़ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है.
बस्तर के आईजी शिवराम प्रसाद कल्लुरी के मुताबिक़ इन सभी के ख़िलाफ़ पुलिस के पास प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कई सबूत हैं.
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लेकिन नंदिनी सुंदर और दूसरे लोगों ने पुलिस के दावे का खंडन किया है और आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट में सलवा जुडूम और उसके बाद ताड़मेटला कांड में पुलिस के ख़िलाफ़ उनकी याचिका के कारण पुलिस और छत्तीसगढ़ सरकार के ख़िलाफ़ कार्रवाई हुई है, इसलिए पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी मुक़दमा दर्ज किया है.
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