भारत में बढ़ते 'पियक्कड़ पायलट'?

  • नितिन श्रीवास्तव
  • बीबीसी संवाददाता
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क्या आप भी आए दिन भारत में हवाई यात्रा करते हैं?

क्या आपको भी, बहुतों की तरह, हवाई जहाज़ में बैठते ही इसी बात का इंतज़ार रहता है कि जहाज़ के पायलट बस गन्तव्य तक सुरक्षित लैंड करा दें?

कभी न कभी तो आपने भी इस बात से संतोष किया होगा कि चलो एक झपकी ले लेते हैं, फ्लाइट उड़ चुकी है, अनुभवी पायलट साहब सुरक्षित लैंड तो करा ही देंगे.

अगर हाँ, तो इस खबर को ध्यान से पढ़िए और शेयर भी करिए.

अशोक गजपति राजू

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फाइल चित्र

भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने संसद में बताया है कि "वर्ष 2016 में जनवरी 1 से लेकर 31 अक्तूबर के बीच 38 पायलट और 113 कैबिन क्रू जहाज़ उड़ने से पहले होने वाले शराब के टेस्ट में फ़ेल पाए गए".

आंकड़े आपको इसलिए भी चौंका सकते हैं क्योंकि वर्ष 2015 में भी 40 पायलट इस टेस्ट में फ़ेल हुए थे जबकि 2014 में ये आंकड़ा 20 के आस-पास बताया गया था.

यानी इस तरह के मामलों में कमी होती नहीं दिख रही है.

एयर इंडिया के वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी अशोक शर्मा ने इन आंकड़ों पर बीबीसी से बात की और कहा कि उनके समय में मामले इतने ज़्यादा नहीं होते थे.

उन्होंने बताया, "ये आंकड़े वाकई ख़तरे का संकेत देते हैं और जब मैं कार्यरत था, उन दिनों पायलट और कैबिन क्रू को यदि सुबह जल्दी उड़ान भरनी होती थी तो वो आधिकारिक पार्टियों में भी शराब पाने से साफ़ मना कर देते थे.''

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कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि उड़ान से पहले अपने कर्मचारियों की मेडिकल जांच जैसे कड़े उड्डयन नियमों को लागू करने में भारत थोड़ा सुस्त ही रहा है.

आज की तारीख़ में अंतरराष्ट्रीय नियम ये कहते हैं कि उड़ान से पहले पायलट यदि नशे की हालत में पाया गया तो उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई में ज़रा भी रियायत नहीं बरती जाएगी.

हालांकि भारत में कोई भी पायलट और कैबिन क्रू उड़ान पर जाने से कम से कम 12 घंटे पहले 60 एमएल से अधिक एल्कोहल नहीं ले सकता है.

इसके बाद उड़ान से पहले टेस्ट में यदि उन्हें पॉजीटिव पाया जाता है तो उन्हें 20 मिनट का ब्रेक दिया जाता है ताकि ख़ुद को तरोताज़ा करके टेस्ट के लिए दोबारा तैयार कर सकें.

बात यहीं ख़त्म नहीं होती, इसके बाद हवाई अड्डे पर मेडिकल स्टाफ एक प्रत्यक्षदर्शी की मौजूदगी में उनका टेस्ट करता है और यदि इस टेस्ट में कोई पायलट या कैबिन क्रू फेल हो जाता है तो उसका लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया जाता है.

यही चूक यदि कोई पायलट या कैबिन क्रू दूसरी बार करता है तो उसका लाइसेंस तीन वर्ष के लिए निलंबित कर दिया जाता है.

तीसरी बार चूक होने पर पायलट या कैबिन क्रू का लाइसेंस ही रद्द कर दिया जाता है.

भारत में पिछले साल से ये अनिवार्य बना दिया गया है कि क्रू मेंबर्स का जब अल्कोहल टेस्ट किया जाएगा तो उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी.

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