मिलिए नौ साल की कश्मीरी किकबॉक्सर से

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भारत प्रशासित कश्मीर की नौ साल की तजामुल इस्लाम ने किकबॉक्सिंग का विश्व स्तरीय मुक़ाबला जीता है.
नवंबर में इटली में हुए सब जूनियर प्रतियोगिता में उन्होंने चीन, जापान, फ्रांस, इटली, कनाडा और अमरीका के खिलाड़ियों को हराया.
तजामुल ने पिछले एक साल में कई स्थानीय मुकाबले भी अपने नाम किए हैं. और अब उनकी नजर ओलंपिक पर है.
फोटोग्राफर आबिद भट ने एक अशांत सूबे की इस नन्ही नायिका के जीवन और अनमोल पलों को अपने कैमरे कैद किया है.
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तजामुल बांदीपुरा की रहने वाली हैं. यह श्रीनगर से कोई 65 किमी दूर पड़ता है. उनके पिता कंस्ट्रक्शन कंपनी में ड्राइवर हैं और हर महीने 10,000 रुपए कमा लेते हैं.
कश्मीर की इस नन्हीं नायिका ने बहुत कम उम्र में ही किकबॉक्सिंग की शुरुआत की थी. जम्मू में पिछले साल हुए राज्य स्तरीय मुकाबले में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था.
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2015 में हुए एक दूसरे राष्ट्रीय स्तर के किकबॉक्सिंग मुकाबले में तजामुल ने 13 साल के प्रतिद्वंद्वी को मात दी और स्वर्ण पदक जीता.
मुकाबला जीतने के बाद तजामुल ने कहा था, "मैंने जब अपने प्रतिद्वंद्वी को देखा तो डर गई. लेकिन याद किया कि मुकाबले में किसी की उम्र या डील-डौल से कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं तय किया कि प्रदर्शन पर ज़ोर दूंगी और अपना बेस्ट दिखाउंगी."
तजामुल की किकबॉक्सिंग की शुरुआत 2014 में तब हुई जब उन्होंने एक स्थानीय मार्शल आर्ट ट्रेनिंग अकादमी जाना शुरू किया.
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वे बताती हैं, "मुझे याद है तब मैं स्टेडियम के पास टहल रही थी. तभी देखा कि छोटी-छोटी उमर के लड़के और लड़कियां वहां ट्रेनिंग ले रहे थे. वे पंच मार रहे थे. मुझे तब लगा कि मुझे यही करना है. घर गई और पिता को बताया कि मुझे ये करना है. पिता मान गए."
फिर वो रोज अभ्यास के लिए जाने लगी. स्थानीय कोच फ़ैसल अली की निगरानी में वह अपने बॉक्सिंग वाले दस्ताने पहनती है, बोरियों को पंच करती है. कसरत करती है.
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अली ने बताया कि तजामुल इस्लाम कई बार तो एक हफ्ते में 25-25 घंटे तक अभ्यास करती है.
नवंबर की शुरुआत में तजामुल ने सब-जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्णपदक जीता. इस मुकाबले में तजामुल ने पांच दिनों में बॉक्सिंग के छह मुकाबले जीते. इसमें करीब 90 देशों के प्रतिभागी शामिल हुए थे.
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तजामुल के इलाके के लोगों ने इटली से आने के बाद उसका जोरदार स्वागत किया. फूलों की माला और तरह तरह के उपहारों से लाद दिया. फिर सबने उसे पूरे गांव में घुमाया.
अब वो किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं. लोग उन्हें सड़कों-गलियों में पहचानने लगे हैं. उनके साथ सेल्फी लेने को उतावले रहते हैं.
तजामुल कश्मीर घाटी के युवाओं के लिए एक मिसाल बन गई हैं.
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उसके भाई-बहन भी किकबॉक्सिंग सीखते हैं.
तजामुल के स्कूल की प्रधानाध्यापिका शबनम कौंसर ने पीटीआई से बात की. वे कहती हैं, "ये प्रतिभा तो उनके खून में है. सभी भाई-बहन चैम्पियन हैं. लेकिन तजामुल उनमें सबसे जहीन है."
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"उसकी जबान बहुत मीठी है. वो एक प्यारी बच्ची है. पर भीतर से वो एक मजबूत लड़ाका है. उसकी भोली सूरत पर मत जाइएगा."
मां ने बेटी का हर कदम पर साथ दिया.
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तजामुल अपने छोटे भाई अदनान-उल-इस्लाम के बेहद करीब है. अदनान अपनी बहन की तरह किकबॉक्सर बनना चाहता है. वह अक्सर उसके साथ खेलती है और उसे जिताने के लिए जानबूझ कर हार भी जाती है.
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भारतीय सेना के गुडविल स्कूल में पढ़ने वाली तजामुल ने कई बार क्लास में टॉप किया है. वो स्कूल की सभी दूसरी गतिविधियों में भी दिलचस्पी लेती हैं.
कौसर बताती हैं, "वह डांस अच्छा कर लेती है. उसका भविष्य उज्जवल है. वह पढ़ने में भी बहुत अच्छी है."
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तजामुल बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती है.
वो हंसते हुए कहती हैं "डॉक्टर बनने में फायदा है. मैं सबसे पहले अपने दुश्मन की हड्डी तोडूंगी और फिर उसका इलाज करुंगी."