ये हैं जिनकी वजह से आप खड़े होंगे सिनेमा में

  • शूरैह नियाज़ी
  • भोपाल से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
श्याम नारायण चौकसे

श्याम नारायण चौकसे वो व्यक्ति हैं जिनकी वजह से सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने का आदेश दिया गया है.

भोपाल के बुज़ुर्ग चौकसे ने इसके लिए लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ी है.

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने चौकसे की याचिका पर ही फ़ैसला सुनाया है कि हर सिनेमाघर में फ़िल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजेगा और हर किसी को उसके सम्मान में खड़ा होना होगा.

77 वर्ष के चौकसे ये लड़ाई पिछले 16 साल से लड़ रहे थे, ये उनके लिए काफ़ी भावनात्मक मामला है.

हुआ ये कि वे 'कभी खुशी कभी ग़म' फ़िल्म देख रहे थे और उसमें राष्ट्रगान का दृश्य आया तो चौकसे खड़े हो गए जिस पर दूसरे लोगों ने एतराज़ किया.

मामला बढ़ा और चौकसे मुद्दे को अदालत में ले गए, जबलपुर हाइकोर्ट ने उनकी याचिका को सही ठहराते हुए करण जौहर की फ़िल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ये फ़ैसला बदल दिया.

चौकसे भोपाल में 'राष्ट्रहित गांधीवादी मंच' के नाम से एक एनजीओ भी चलाते हैं.

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2000 में सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद वो अपना पूरा समय 'राष्ट्रगान की गरिमा को स्थापित करने के संघर्ष' में लगाते रहे हैं.

श्यामनारायण चौकसे राष्ट्रगान और तिरंगे से जुड़े हर मुद्दे पर नज़र रखते रहे हैं.

श्यामनारायण चौकसे ने बताया,"मेरे दिल में शुरु से देश के लिए एक अलग ही जज्बा रहा है. मैं हमेशा राष्ट्रगान का दीवाना था. मैंने ऐसे कई मामले उठाए हैं जिसमें लोगों ने राष्ट्रगान का अपमान किया है."

चौकसे कहते हैं कि राष्ट्रगान जैसी चीज़ों के लिए सम्मान लोगों को दिल से होना चाहिये न कि उनके साथ जबरदस्ती की जाए लेकिन भारत जैसे देश में इस तरह की शिक्षा नहीं मिलती है इसलिए कोर्ट के आदेश के ज़रिए ही लोग मानेंगे.

उनका यह भी कहना है कि वो चाहते हैं कि राष्ट्रगान हर स्कूल में गाया जाए. ये अंतरिम आदेश है. "स्कूलों में राष्ट्रगान के लिए मेरी याचिका लगी हुई है, जिस पर आदेश आना बाक़ी है".

चौकसे का कहना है कि उन्होंने ये मामला तीन महीने पहले सितंबर में इसी साल दाख़िल किया था और उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी इस पर जजमेंट आ जाएगा.