नोटबंदी- रहस्य बना ज़ब्त 2000 के नए नोटों का स्रोत
- सलमान रावी
- बीबीसी संवाददाता

सिर्फ बैंक ही एकमात्र स्रोत हैं जहां से एक खाताधारी नकदी ले सकता है.
इसलिए हाल ही में करोड़ों की तादाद में बरामद की गई नई करेंसी के नोट को लेकर बैंकों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.
इससे पहले कि नोटबंदी और नए नोटों की बरामदगी की बात हो, यह ज़रूरी होगा कि बैंकों तक पैसों के पहुँचने की कड़ी को समझा जाए.
भारतीय रिज़र्व बैंक सीधे तौर पर किसी खाताधारी को नकदी रक़म का भुगतान नहीं कर सकता है. वो यह रक़म बैंकों को देता है.
मगर बैंक भी सीधे तौर पर रिज़र्व बैंक से नकदी नहीं लेते हैं. यह नकदी रिज़र्व बैंक से सीधे 'कैश-चेस्ट' जाती हैं जहां से इसे बैंकों को आवंटन के हिसाब से भेजा जाता है.
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इस नकदी को 'कैश-चेस्ट' से बैंकों तक 'कैश-कॉन्ट्रैक्टरों' के माध्यम से भेजा जाता है.
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जब यह नकदी बैंकों तक पहुँचती है तो फिर यह 'कैश-कांट्रैक्टरों' के माध्यम से एटीएम मशीनों में डाली जाती है.
इन 'कैश-कांट्रैक्टरों' का भी खाताधारियों से कोई सीधा संपर्क नहीं होता क्योंकि खाताधारी इनसे अपनी रक़म सीधे तौर पर नहीं ले सकते हैं.
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अब सवाल उठता है कि जो नई 'करेंसी' में नकदी बरामद की जा रही है, वो आखिर आ कहां से रही है ?
आल इंडिया बैंक एम्प्लॉईज़ एसोसिएशन (एआईएबीए) के सीएच वेंकटाचलम कहते हैं कि बैंकों से सीधे तौर पर इतनी बड़ी रक़म किसी खाताधारी द्वारा निकालना मुमकिन नही है, क्योंकि निकासी की सीमा तय कर दी गयी है.
बचत खातों के लिए यह सीमा 24 हज़ार रूपए प्रति सप्ताह तय की गई है जबकि 'करंट' यानी चालू खातों के लिए निकासी की रक़म को 50 हज़ार रूपए प्रति हफ़्ता तय किया गया है.
वो कहते हैं कि सभी बैंकों के कम्प्यूटरों को भी उसी तरह से 'प्रोग्राम' किया गया है जिससे तय की गई रक़म से ज़्यादा कोई अपने खाते से निकाल ही नहीं सकता.
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बचत खातों के लिए निकासी सीमा 24 हज़ार रुपये प्रति सप्ताह तय की गई है.
इस हिसाब से चालू खाते वाले भी एक महीने में सीमित रक़म से ज़्यादा नहीं निकाल पा रहे हैं.
लेकिन एआईएबीए ने रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल को भेजे गए अपने प्रतिवेदन में आरोप लगाया है कि रिज़र्व बैंक राष्ट्रीय बैंकों की तुलना में कुछ एक चुनिंदा बैंकों को ज़्यादा नकदी उपलब्ध करा रहा है.
एआईएबीए के सीएच वेंकटाचलम का आरोप है कि निजी बैंकों में इस तरह की निकासी की संभावनाएं ज़्यादा हैं, इसलिए ही उनके संघ और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग केंद्र सरकार से की है.
वहीं दिल्ली पुलिस की 'क्राइम ब्रांच' के संयुक्त कमिश्नर रविंद्र यादव ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जिनके पास से 'करंट करंसी' के नोट बरामद किए गए हैं, उनका स्रोत क्या है.
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रविन्द्र यादव के अनुसार दिल्ली पुलिस उन लोगों से पूछताछ नहीं कर रही है इनके पास से यह रक़म बरामद की गयी है.
उनसे पूछताछ और मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग के अधिकारी कर रहे हैं.
वैसे दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को लगता है कि इसमें 'बैंक के कर्मचारियों' और कुछ 'व्यवसायियों' के बीच का कोई अंदरूनी गठजोड़ हो सकता है.
वहीं आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब तक देश के विभिन्न स्थानों से बरामद किए गए नए 'करेंसी' के नोटों की जांच चल रही है जिसके बाद ही इसमें ज़िम्मेदारी तय की जा सकेगी.
आयकर विभाग का कहना है कि इतनी बड़ी रक़म की बरामदगी के कई कारण हो सकते हैं जैसे एक व्यक्ति के कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान और उनसे जुड़े चालू खाते.
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