शशिकला की राह में जयललिता की भतीजी?
- इमरान क़ुरैशी
- बैंगलुरू से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए

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जयललिता के पार्थिव शरीर के पास खड़ी शशिकला.
दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के राजनीतिक वारिस के तौर पर लगता है कि एआईएडीएमके के शीर्ष नेतृत्व ने वी. के. शशिकला को चुनने का मन बना लिया है.
हालांकि शशिलकला को जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार से कुछ हद तक चुनौती मिल सकती है, खा़सतौर पर अगर पार्टी कार्यकर्ता उनका समर्थन करते हैं.
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अभी तक ख़ुद को राजनीति से दूर रकनेवाली दीपा ने राजनीतिक उत्तराधिकारी बनने के विकल्प खुले रखे हैं.
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किसी पारिवारिक आयोजन के मौके पर जयललिता के साथ दीपा.
दीपा जयकुमार ने बीबीसी को बताया, "अगर कार्यकर्ता चाहें तो. फ़िलहाल मुझे जानकारी मिल रही है कि पार्टी कार्यकर्ता उनके राजनीतिक वारिस के तौर पर परिवार के किसी सदस्य को लाना चाहते हैं."
उन्होंने बताया, "पार्टी कार्यकर्ता हमेशा से उनका उत्तराधिकारी चाहते रहे हैं. मुझे पता है कि वे लोग मुझसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन मैंने अभी तक इसका जवाब नहीं दिया है, न ही इस दिशा में कोई क़दम उठाया है. मैं उनके जाने के सदमे से अभी भी उबर रही हूं. अगर ऐसा होता है तो क्या रणनीति अपनाई जाए, मुझे इसके लिए वक्त चाहिए."
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इस तस्वीर में जयललिता अपने भाई की शादी के वक़्त नज़र आ रही हैं.
हालांकि दीपा ये बात स्वीकार करती हैं कि वह अभी तक राजनीति को क़रीब से देखती भर आई हैं. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि मौक़ा मिलने पर वह कुछ कर के दिखा सकती हैं.
दीपा का दावा है कि जयललिता के निधन के बाद उन्हें न तो अपनी बुआ को पोएस गार्डन में ही देखने दिया गया और न ही अपोलो अस्पताल में ही.
यहां तक कि मरीना बीच पर उनकी अंत्येष्टि के वक्त भी दीपा को वहां से जाने से रोका गया. हालांकि दीपा ने एक दिन जयललिता की क़ब्र पर जाकर फूल चढ़ाया.
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वहां आम लोगों ने उन्हें घेरे में ले लिया और लोगों को उन तक पहुंचने से रोका.
इस बीच मांड्या में कावेरी नदी के किनारे वैष्णव परंपरा से जयललिता की 'औपचारिक अंत्येष्टि' किए जाने की ख़बरों पर दीपा का कहना था, "मुझे नहीं लगता कि वे रिश्तेदार थे. हमारे ज्यादातर रिश्तेदार विदेश में रहते हैं."
जयललिता को मौत के बाद दफ़नाया गया था.
इसे द्रविड़ पार्टी की परंपरा बताया गया और कहा गया कि उनके राजनीतिक गुरु एम. जी. रामचंद्रन को भी दफनाया ही गया था.
पार्टी का कहना था कि जयललिता की अंत्येष्टि उनकी इच्छा के अनुरूप ही की गई थी.
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