अखिलेश को आख़िर इतनी हड़बड़ी क्या है?
- समीरात्मज मिश्र
- बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इन दिनों तमाम ऐसी परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाने में लगे हैं जो वास्तव में अभी आधी-अधूरी हैं.
पिछले दो महीनों में वो क़रीब एक दर्जन ऐसी परियोजनाओं का उद्घाटन कर चुके हैं.
मंगलवार को तो लोकार्पणों और शिलान्यासों की उन्होंने झड़ी ही लगा दी. लखनऊ में 13 अलग-अलग जगहों पर 6 घंटे में 5,500 परियोजनाओं का उन्होंने लोकार्पण और शिलान्यास किया.
राम मनोहर लोहिया मेडिकल हॉस्पिटल एंड कॉलेज, मंडी परिषद में किसान बाज़ार समेत अन्य जिलों में भी किसान बाज़ार की स्थापना, शहीद पथ स्थित 200 बेड का महिला एवं बाल रोग हॉस्पिटल का लोकार्पण किया.
इससे पहले भी उन्होंने पिछले दिनों ऐसी तमाम परियोजनाओं का लोकार्पण किया था, जो अभी बनकर तैयार भी नहीं हुई हैं. उन्हीं में से एक लखनऊ मेट्रो भी है. इसे लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं.
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एक दिसंबर को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हरी झंडी दिखाकर लखनऊ मेट्रो की पहली परीक्षण ट्रेन को रवाना किया.
इस मौके पर उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया जहां तीन शहरों में मेट्रो रेल चल रही है. इससे पहले गाज़ियाबाद और नोएडा में मेट्रो का परिचालन हो रहा है.
हालांकि मेट्रो रेल का उद्घाटन अगले साल मार्च में होना था लेकिन चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले ही मुख्यमंत्री ने इसके उद्घाटन का फ़ैसला किया. मेट्रो का वास्तविक परिचालन फ़िलहाल मार्च तक ही संभव है क्योंकि अभी कई काम अधूरे हैं.
यहां तक कि पहले फेज़ में साढ़े 23 किमी का मेट्रो ट्रैक बनना है, लेकिन उद्घाटन के लिए 8 किमी का ही ट्रैक लिया गया है क्योंकि इसके आगे का काम अभी हुआ ही नहीं है.
कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने 302 किमी लंबे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया था और वो परियोजना भी अभी अधूरी ही पड़ी है. यहां तक कि 23 दिसंबर से ही यह एक्सप्रेस वे आम यात्रियों के लिए खुल सकेगा, वो भी सिर्फ़ हल्के वाहनों के लिए.
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इन दोनों परियोजनाओं को सरकार तय समय से पहले पूरा करने का दावा कर रही है, लेकिन उद्घाटन के बावजूद ये परियोजनाएं आम आदमी के इस्तेमाल लायक नहीं बन पाई हैं. इस तरह की ऐसी कई योजनाएं हैं जिन्हें पूरा होने में अभी काफी समय लगेगा, लेकिन उनके उद्घाटन का काम पहले ही कर लिया जा रहा है.
विधानसभा भवन के ठीक सामने उसी की तर्ज पर बना मुख्यमंत्री का नया सचिवालय 'लोकभवन' का भी 3 अक्टूबर को उद्घाटन किया गया था.
मुख्यमंत्री उसी सचिवालय में बैठकर काम भी कर रहे हैं लेकिन भवन निर्माण का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है.
इस भवन में कुल तीन ब्लॉक बनने थे लेकिन अभी सिर्फ़ एक ब्लॉक ही पूरा तरह से तैयार हो सका है.
19 नवंबर को मुख्यमंत्री ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना डायल 100 की शुरुआत की. इसके लिए लखनऊ में विशालकाय भवन में इसका मुख्यालय बनाया गया है.
दावा किया जा रहा है कि इस नंबर पर डायल करने के 15 से 20 मिनट के भीतर पुलिस मौक़े पर पहुंच जाएगी.
इसे राज्य के सभी ज़िलों में लागू किया जाना था. लेकिन सिर्फ़ 11 ज़िलों में ही यह योजना लागू हो पाई है. शुरुआती दौर से ही इसके दावों पर सवाल उठने लगे हैं.
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इटावा का लॉयन सफ़ारी पार्क, जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर, गोमती रिवरफ्रंट, समाजवादी स्मार्टफ़ोन योजना जैसी कई परियोजनाएं हैं जिनका उद्घाटन तो कर दिया गया है, लेकिन उनकी शुरुआत होने में काफ़ी समय लगना है.
यही नहीं, लखनऊ में बन रहे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का भी काम आधा-अधूरा ही है. लेकिन बताया जा रहा है कि दिसंबर महीने में ही मुख्यमंत्री उसका भी उद्घाटन कर देंगे. अधिकारियों को उद्घाटन की तैयारी के आदेश दिए जा चुके हैं.
ताबड़तोड़ परियोजनाओं के उद्घाटन को लेकर विपक्षी दलों, ख़ासकर बहुजन समाज पार्टी लगातार कड़ी आपत्ति जता रही है.
मायावती लगभग हर परियोजना के उद्घाटन के बाद मीडिया के सामने आती हैं और सरकार को कोसती हैं.
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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे के उद्घाटन को लेकर तो उन्होंने ये तक कह दिया था कि उनकी सरकार की शुरू की गई परियोजना का अखिलेश यादव श्रेय ले रहे हैं और लोगों की सुरक्षा को भी ताक पर रख रहे हैं.
वहीं जानकारों का कहना है कि परियोजनाओं के उद्घाटन की जल्दी से साफ़ है कि सरकार की उपलब्धियों को चुनाव में भुनाना है. वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्र कहते हैं, "ये ठीक है कि सरकार ने काम किया है तो उद्घाटन का श्रेय उसे लेना चाहिए. लेकिन बेहतर तभी होगा जब काम पूरा करके श्रेय लें."
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बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में अभी कुछ और लोकार्पण और उद्घाटन के जलसे दिखें और ये शायद तभी बंद होंगे जब चुनावी तिथियों की घोषणा के साथ राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी.