ये क्रिकेट की जीत है- जस्टिस लोढ़ा

अनुराग ठाकुर

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सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया है.

कोर्ट ने बोर्ड के सचिव अजय शिर्के को भी पद से हटा दिया है.

रिपोर्टों के अनुसार अनुराग ठाकुर को लोढ़ा समिति की रिपोर्टें न मानने के कारण पद से हटाया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को अवमानना का नोटिस भी दिया है.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रबंधकों की एक कमेटी फ़िलहाल बीसीसीआई का कामकाज देखेगी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी बीसीसीआई के वरिष्ठतम उपाध्यक्ष और सचिव की ज़िम्मेदारी सहायक सचिव संभालेंगे.

इसके अलावा बीसीसीआई के सभी अधिकारियों और राज्य क्रिकेट एसोसिएशनों को लोढ़ा समिति की सिफ़ारिशें मानने के लिए अंडरटेकिंग देने को भी कहा गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि लोढ़ा समिति की सिफ़ारिशों को नहीं मानने वाले बीसीसीआई के अधिकारी और राज्य क्रिकेट एसोसिएशन भी इस्तीफ़ा दे दें.

जस्टिस लोढ़ा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये होना ही था क्योंकि जब सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा समिति कि सिफारिशों को मान लिया था तो इन्हें लागू होना ही था.

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जस्टिस लोढ़ा का कहना था, ''मैं बस ये कह सकता हूं कि जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है तो उसे मानना ही चाहिए सबको. बीसीसीआई ने नहीं माना है तो ये होना ही था. ''

जाने माने क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का वो स्वागत करते हैं.

बीसीसीआई के खिलाफ़ याचिका दायर करने वाले क्रिकेटरों और लोगों में एक कांग्रेस नेता मनीष तिवारी भी थे.

उनका कहना था, ''ये तो होना ही था. 18 जुलाई को जो फ़ैसला आया था उसके बाद ये तय था कि बीसीसीआई को लोढ़ा पैनल की सिफारिशें लागू करनी ही होंगी. वो उससे बच नहीं सकते.''

बिशन सिंह बेदी और अन्य क्रिकेटरों की तरफ़ से कोर्ट में उनका पक्ष रख रहे वकील मनीष तिवारी का कहना था कि बीसीसीआई को देखना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा पैनल की सिफ़ारिशें बाकी खेलों में भी लागू की जाएं तो ऐसे में बीसीसीआई कब तक बचता.

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