दबाव बना रहे हैं योगी आदित्यनाथ?
उत्तर प्रदेश में टिकट बँटवारे पर भारतीय जनता पार्टी में मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है.
शनिवार को पार्टी अध्यक्ष समेत बड़े नेता लखनऊ के एक सभागार में चुनावी घोषणा पत्र जारी कर रहे थे तो पार्टी दफ़्तर के बाहर नाराज़ कार्यकर्ताओं ने ताला जड़ दिया और नारेबाज़ी कर रहे थे.
ये नाराज़गी पूरे प्रदेश में दिखाई दे रही है.
वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में खासा प्रभाव रखने वाले बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ के संगठन हिन्दू युवा वाहिनी ने छह सीटों पर बीजेपी के ख़िलाफ़ अपने उम्मीदवार उतारने का एलान कर दिया.
हालांकि योगी आदित्यनाथ शनिवार को बीजेपी के घोषणा पत्र जारी करते वक़्त वहां मौजूद थे,, लेकिन युवा वाहिनी के बग़ावती तेवरों के पीछे छिपी उनकी मंशा से इनकार नहीं किया जा रहा है.
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'महत्व नहीं दिया गया'
हिन्दू युवा वाहिनी के प्रांतीय अध्यक्ष सुनील सिंह का कहना है कि संगठन क़रीब 30 विधान सभा सीटों पर और उम्मीदवार उतारेगा.
सुनील सिंह इस नाराज़गी की वजह बताते हैं, "योगी आदित्यनाथ की वजह से बीजेपी को पूर्वांचल में इतनी सीटें मिलीं, लेकिन न तो उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली और न ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया. यही नहीं परिवर्तन यात्रा में भी उनको महत्व नहीं दिया गया."
सुनील सिंह की ही तरह युवा वाहिनी के अन्य कई कार्यकर्ता बेहद ख़फ़ा दिखे कि योगी आदित्यनाथ को भारतीय जनता पार्टी समुचित सम्मान नहीं दे रही है.
हालांकि ख़ुद योगी आदित्यनाथ युवा वाहिनी के इस विरोध को नकार चुके हैं और उनका कहना है कि वो बीजेपी के लिए पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार करेंगे.
लेकिन कहा ये भी जा रहा है कि ये योगी आदित्यनाथ की दबाव बनाने की रणनीति है.
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युवा वाहिनी का प्रभाव
लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र कहते हैं, "युवा वाहिनी का योगी आदित्यनाथ के बिना कोई मतलब नहीं है. उनकी सहमति के बिना प्रदेश अध्यक्ष तो छोड़िए एक कार्यकर्ता भी कुछ नहीं कर सकता है. युवा वाहिनी के इसी बग़ावती तेवर का नतीजा है कि बीजेपी ने घोषणा पत्र जारी करते समय उन्हें ख़ासा महत्व दिया अन्यथा पिछले काफी समय से उनकी उपेक्षा हो रही थी."
फ़िलहाल भारतीय जनता पार्टी के नेता युवा वाहिनी के इस क़दम पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि पार्टी इनकी ताक़त जानती है.
युवा वाहिनी को ख़ुद को फ़ायदा हो या न हो, लेकिन पूर्वांचल की कई सीटों पर बीजेपी को फ़ायदा पहुंचाने या उसके खेल बिगाड़ने का माद्दा ये संगठन ज़रूर रखता है.
योगेश मिश्र कहते हैं, "यदि युवा वाहिनी सचमुच 30-35 सीटों पर उम्मीदवार उतार दे तो सिर्फ़ और सिर्फ़ बीजेपी को इसका नुक़सान होगा. इस संगठन में समर्पित युवाओं की एक अच्छी ख़ासी टीम है. किसी भी सीट पर ये कम से कम तीन-चार हज़ार वोट पाने की हैसियत रखते हैं और ये सारा वोट बीजेपी का ही होगा."
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दरअसल, युवा वाहिनी का कहना है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग चाहते थे कि बीजेपी योगी आदित्यनाथ को राज्य के मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करे लेकिन पार्टी ने ऐसा नहीं किया.
यही नहीं, पार्टी ने उनको चुनाव प्रबंधन समिति में भी शामिल नहीं किया.
इसके अलावा कहा यह जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने चुनाव के लिए 10 उम्मीदवारों की एक सूची दी थी, लेकिन बीजेपी ने उनमें से केवल दो लोगों को ही टिकट दिया.
न सिर्फ़ युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं का बल्कि योगी की भी नाराज़गी इस घटना ने बढ़ा दी.
लेकिन सवाल उठता है कि इन सबके बावजूद योगी आदित्यनाथ क्यों चुप हैं?
सुनील सिंह कहते हैं, "योगी आदित्यनाथ की आंख पर बीजेपी ने पट्टी बांध दी है. वो बीजेपी के कुछ लोगों से घिरे हुए हैं."
बहरहाल, योगी आदित्यनाथ बीजेपी के लिए हर जगह प्रचार करने जाएंगे, ऐसा उन्होंने कहा है.
लेकिन उनका संगठन हिन्दू युवा वाहिनी अपनी मांगें पूरी न होने पर पूर्वी उत्तर प्रदेश की क़रीब चार दर्जन सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फ़ैसला कर चुका है.
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