नज़रियाः बीजेपी को महाराष्ट्र में ऐसे मिलेगा बीएमसी जीत का फ़ायदा

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महाराष्ट्र के नगर निकाय चुनाव में बीजेपी को मिली सफलता के बाद उसके शिवसेना से रिश्तों को लेकर फिर से सवाल उठने शुरू हो गए हैं.
इस जीत से दोनों दल करीब आएंगे या दूर जाएंगे? अभी स्थिति साफ़ नहीं है कि शिवसेना का रुख क्या होगा.
हालांकि बृहन्मुंबई नगर पालिका (बीएमसी) चुनाव में शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हैं. चुनाव से पहले शिवसेना और बीजेपी के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे.
राज्य में दोनों सरकार में साथ हैं लेकिन निकाय चुनाव दोनों पार्टियों ने अलग-अलग लड़ा. इससे पहले उद्धव ठाकरे ने कहा था कि महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ शिवसेना का गठबंधन 'नोटिस पीरियड' पर है.
वरिष्ठ पत्रकार शिशिर जोशी बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को लेकर अपना आकलन बता रहे हैं-
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लंबे समय से शिवसेना की ओर से गठबंधन तोड़ने की धमकी दी जा रही है. अगर धमकी वास्तविकता में परिवर्तित नहीं होती है तो धमकी का असर कम होता चला जाता है.
एक बात समझने वाली है कि शिवसेना एक राष्ट्रीय पार्टी की हैसियत रखने का दावा करती है, पर है नहीं. वो एक क्षेत्रीय पार्टी है.
बाला साहेब ठाकरे को अगर लगता कि बीजेपी उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है, तो वो धमकी नहीं देते बल्कि तुरंत फ़ैसला ले लेते, लेकिन उद्धव ठाकरे आज कुछ बात कहते हैं फिर बाद में कुछ और कहते हैं.
फ़ायदा और नुक़सान
गठबंधन का फ़ायदा तो अभी तक दोनों ही पार्टियों को हुआ है लेकिन नुक़सान ज़रूर शिवसेना को होगा क्योंकि स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी ने महाराष्ट्र में 10 में से 9 जगहों पर अपना कब्ज़ा कर लिया है.
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इसका फ़ायदा बीजेपी को दो साल बाद महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव में होगा.
क्योंकि ये सभी स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि अपनी-अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे. बीजेपी राज्य और केंद्र दोनों ही जगह सत्ता में है.
शिवसेना के पास मुंबई में 84 सीटें हैं और उन्हें 114 सीटों के आंकड़े को पाने के लिए जितनी कोशिश करनी है, उतनी ही बीजेपी को भी करनी है.
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कांग्रेस को 30 सीटें मिली हैं. कांग्रेस के अंदर इतनी फूट आ गई है कि यह ज़रूरी नहीं है कि सभी 30 सीटों के प्रतिनिधि एक साथ रहें.
114 सीटें तब ज़रूरी होंगी जब पूरे 227 सदस्य मौजूद होंगे. अगर विश्वासमत के दिन 227 में से कुछ लोग अनुपस्थित रह जाएं तो फिर कम सीटों की ज़रूरत होगी.
मान लीजिए कि 210 सदस्य ही मौजूद रहे तो फिर 105 की ही ज़रूरत रह जाएगी.
(बीबीसी संवाददाता सलमान रावी से बातचीत पर आधारित)
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