'मैं भी शहीद का बेटा पर गुरमेहर से सहमत नहीं'
दिल्ली के रामजस कॉलेज में लेफ़्ट और राइट विचारधारा वाले स्टूडेंट गुटों के बीच झड़प के बाद दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ने वाली गुरमेहर कौर की पोस्ट वायरल हो गई.

इमेज स्रोत, MaNISH KUMAR FACEBOOK
मनीष कुमार
इसके बाद हंगामा मचा गुरमेहर की उस तस्वीर पर जिसमें वो एक प्लेकार्ड लिए खड़ी हैं. इस पर अंग्रेज़ी में लिखा है, ''पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है.''
गुरमेहर के पिता कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए थे. गुरमेहर कौर की इस पोस्ट का जवाब मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले मनीष शर्मा ने दिया है. ये पूरी चिट्ठी नीचे पढ़िए.
इमेज स्रोत, Youtube Grab
हाय गुरमेहर कौर,
पिछले कुछ दिनों में वायरल हुए आपके वीडियो और कुछ इंटरव्यू जिनमें आपने अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात की और कहा है, 'पाकिस्तान ने आपके डैड की हत्या नहीं की, युद्ध ने उन्हें मार डाला.' इस पोस्ट के चलते आपका नाम हर घर तक पहुंच गया है.
मैं सार्वजनिक तौर पर भावनाओं की अभिव्यक्ति से बचता हूं, लेकिन इस बार लगता है कि बहुत हो गया. मुझे नहीं मालूम कि आप ये जानबूझ कर रही हैं या अनजाने में, लेकिन आपकी वजह से डिफेंस से जुड़े परिवारों की भावनाएं आहत हो रही हैं.
इमेज स्रोत, Youtube Grab
पहले मैं अपना परिचय दे दूं, मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में आईटी पेशेवर के तौर पर काम करता हूं. मेरे पिता भारतीय सेना में अधिकारी थे जो श्रीनगर में ऑपरेशन रक्षक के दौरान चरमपंथियों से संघर्ष करते हुए मारे गए थे.
मैं नहीं जानता कि मैं इसके लिए किसे दोष दूं - युद्ध को, पाकिस्तान को, राजनेताओं को और किसे दोष नहीं दूं क्योंकि मेरे पिता वहां संघर्ष कर रहे थे जो विदेशी ज़मीन ही थी क्योंकि वहां के स्थानीय लोग कहते हैं- इंडिया गो बैक.
मेरे पिता ने अपनी जान दी उन्हीं लोगों के लिए, हमारे लिए और हमारे देश के लिए. बहरहाल, हम दोनों नैतिकता के एक ही धरातल पर मौजूद हैं- आपके पिता ने भी जान दी और मेरे पिता ने भी जान गंवाई है.
अब क़दम दर क़दम आगे बढ़ते हैं. आपने कहा कि पाकिस्तान ने आपके पिता को नहीं मारा, ये युद्ध था जिसने आपके पिता को मारा.
मेरा सीधा सवाल आपसे है? आपके पिता किससे संघर्ष कर रहे थे? क्या ये उनका निजी युद्ध था या फिर हम एक देश के ख़िलाफ़ लड़ रहे थे?
इमेज स्रोत, Youtube Grab
ज़ाहिर है ये पाकिस्तान और उसकी हरकतें ही थीं, जिसके चलते आपके पिता और उनके जैसे कई सेना अधिकारियों को कश्मीर में तनावपूर्ण माहौल में अपनी जान गंवानी पड़ी.
अपने पिता की मौत की वजह युद्ध बताना तर्कसंगत लगता है, लेकिन ज़रा सोचिए उनकी मौत की कई वजहें थीं-
1. पाकिस्तान और उसका विश्वासघाती कृत्य
2. भारत के राजनीतिक नेतृत्व में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव
3. हमारे नेतृत्व की एक के बाद एक ग़लतियां
4. धार्मिक कट्टरता
5. भारत में मौजूद स्लीपर सेल जो भारत में रहकर पाकिस्तानी आईएसआई की मदद करते हैं.
और इन सबके अलावा, उनकी मौत की वजह- अपनी ड्यूटी के प्रति उनका पैशन और उनकी प्रतिबद्धता थी. ये वजह थी.
मैं इसे एक्सप्लेन करता हूं.
आपके पिता ने अपनी जान तब गंवाई जब उनकी उम्र काफ़ी कम थी, आप महज दो साल की थीं. ये देश के प्रति उनका पैशन था, राष्ट्रीय झंडे और अपने रेजिमेंट के प्रति सम्मान का भाव जिसने उन्हें शहीद होने का साहस दिया.
इमेज स्रोत, Youtube Grab
नहीं तो हम लोग देख रहे हैं कि आपके पिता से ज़्यादा उम्र के लोग अभी भी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं और देश के ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं- किसी क़ुर्बानी की इनसे उम्मीद के बारे में तो भूल ही जाइए.
क्या आपको मालूम है कि आपके पिता ने जिस कश्मीर के लिए अपनी जान दी, उसी कश्मीर की आज़ादी के लिए ये जेएनयू में नारे लगाते हैं.
वे किस आज़ादी की बात करते हैं, वे कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बता रहे हैं, ये उनके लिए आज़ादी है और इसके ख़िलाफ़ हम दोनों के पिता ने संघर्ष किया था.
आप जागरूक नागरिक होने के बाद भी इनकी वकालत कर रही हैं. ये वो लोग हैं जो अपने कभी ना ख़त्म होने वाले प्रोपगैंडे के लिए आपको प्यादे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.
मैंने आपका आज सुबह इंटरव्यू सुना जिसमें आप कह रही हैं कि आप किसी राजनीतिक पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं हैं, आप केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात कर रही हैं.
इमेज स्रोत, Youtube Grab
मेरा आपसे सीधा सवाल है - आपके लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्या है? क्या आपके लिए यह भारत के टुकड़े हों, जैसे नारे लगाना है?
क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब आपके लिए लोगों- मेरे और आपके अपने पिता और उनकी तरह सीमा पर दिन रात गश्त लगा रहे जवानों के अपमान करने का अधिकार मिल जाना है?
मिस कौर, यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है. अगर आपके पिता आज जीवित होते तो वे आपको बेहतर बता पाते.
मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है- आप अपने पिता से कुछ सीखिए. कम से कम अपने देश का सम्मान करना सीखिए क्योंकि देश हमेशा पहले आता है.
मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी बात स्पष्टता से रख पाया हूं.
जय हिंद !!
इस बीच गुरमेहर कौर की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच साइबर यूनिट ने केस दर्ज कर लिया है.
दिल्ली पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त दीपेंद्र पाठक ने बताया कि मामला दर्ज कर जांच की जा रही है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)