महाराष्ट्र में दलित चिंतक कृष्णा किरवले की हत्या
महाराष्ट्र के जाने-माने दलित चिंतक कृष्णा किरवले की कोल्हापुर में उनके घर पर शुक्रवार को धारदार हथियार से हत्या कर दी गई.
पुलिस इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है.
किरवले कोल्हापुर के शिवाजी विश्वविद्यालय में मराठी के विभागाध्यक्ष भी रह चुके थे.
'हत्या का उत्सव' और शोक भी, भला कैसे?
दलित साहित्य के क्षेत्र में उन्हें एक चिंतक के रूप में जाना जाता है.
मुंबई से पत्रकार अश्विन अघोर ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया कि शुक्रवार को दिन में चार बजे के क़रीब किरवले के कोल्हापुर स्थित घर पर तीन चार लोग आए थे.
किरवले से उन लोगों की बातचीत के बीच झगड़ा शुरू हो गया और उनमें एक ने उनकी हत्या कर दी.
पुलिस को शक है कि इनमें से प्रीतम पाटिल नाम के शख्स ने हत्या की. वो पेशे से बढ़ई है.
पुलिस के अनुसार प्राथमिक जांच में पता चला है कि किरवले और पाटिल के बीच फ़र्नीचर के संबंध में भुगतान को लेकर विवाद था.
कोल्हापुर क्राइम ब्रांच इस पूरे मामले की जांच कर रही है.
किरवले डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर सेंटर फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट के भी चेयरमैन रह चुके थे.
'डिक्शनरी ऑफ़ दलित एंड ग्रामीण लिटरेचर' के एक सरकारी प्रोजेक्ट में भी उनके योगदान को महत्वपूर्ण माना जाता है.
उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें 'अम्बेडकरी शाहिरीः एक शोध' और 'बाबूराव बागूल' शामिल है.
दाभोलकर, पंसारे, कलबुर्गी के हत्यारे कौन?
फ़रवरी 2015 में भी इसी तरह की एक घटना हुई थी जिसमें वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता गोविंद पांसरे और उनकी पत्नी उमा को कोल्हापुर में उनके घर के नज़दीक गोली मार दी गयी थी.
घटना के समय दोनों पति पत्नी सुबह की सैर से लौट रहे थे.
कुछ दिन बाद अस्पताल में पंसारे की मौत हो गयी थी, जिसके बाद बड़े पैमाने पर लोगों का आक्रोश फूट पड़ा और कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए.
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