1965: जब ग़लती से पाकिस्तान में उतरा भारतीय लड़ाकू विमान

  • रेहान फ़ज़ल
  • बीबीसी संवाददाता
पाकिस्तान में युद्ध बंदी के तौर पर ब्रजपाल सिंह सिकंद की तस्वीर.

इमेज स्रोत, BBC World Service

इमेज कैप्शन,

पाकिस्तान में युद्ध बंदी के तौर पर ब्रजपाल सिंह सिकंद.

जब स्क्वॉड्रन लीडर विलियम ग्रीन एक सफल अभियान के बाद अपने नैट लड़ाकू विमान के साथ पठानकोठ एयरबेस पर उतरे तो वो अच्छे मूड में थे. लेकिन उनकी ख़ुशी उस समय काफ़ूर हो गई जब उन्हें पता चला कि उनका एक साथी ब्रजपाल सिंह सिकंद वापस नहीं लौट पाया है.

उस ज़माने में अधिकतर जहाज़ों में जीपीएस सिस्टम या रडार नहीं होते थे. पायलट्स बेस पर वापस आने के लिए नक्शों या कंपास का इस्तेमाल करते थे. सिंकद अपने फ़ारमेशन से बिछड़ गए थे. उनके पास ईंधन कम था. उनको ऊपर से एक हवाई स्ट्रिप दिखाई दी और वो उस पर ये समझ कर लैंड कर गए कि वो एक बियाबान भारतीय स्ट्रिप है.

सिकंद यह जान कर भौचक्के रह गए कि पाकिस्तान के पसरूर हवाई पट्टी पर उतर गए हैं. उन्हें तुरंत युद्धबंदी बना लिया गया. उधर इस सबसे अनजान जब पठानकोट एयरबेस पर सिकंद नहीं पहुंचे तो उनकी तलाश में दो वैंपायर जहाज़ भेजे गए. वो ऊपर से सिकंद के विमान का मलबा ढ़ूंढ़ने की कोशिश करते रहे जिसके बारे में अनुमान लगाया जाने लगा था कि वो दुर्घटनाग्रस्त हो गया है. वो सपने में भी कल्पना नहीं कर सकते थे कि सिकंद का नैट सीमा पार पाकिस्तान में पसरूर पर उतर चुका है.

इमेज स्रोत, KAISER TUFAIL

इमेज कैप्शन,

बीएस सिकंद इसी विमान को उड़ाकर पाकिस्तान एयरपोर्ट पर उतरे थे.

उतरने को मजबूर किया गया

फ़ील्ड मार्शल अयूब के बेटे गौहर अयूब ख़ाँ ने बीबीसी के बताया कि सिकंद का नैट ग़लती से पसरूर में नहीं उतरा बल्कि उसे पाकिस्तान के एक स्टार फ़ाइटर विमान ने ज़बरदस्ती पसरूर में उतरने पर मजबूर कर दिया.

गौहर अयूब ने बताया, "उस विमान को मेरे बैचमेट हकीमउल्लाह उड़ा रहे थे. हकीमउल्लाह बाद में पाकिस्तानी वायु सेनाध्यक्ष बने. उन्होंने जब सिकंद के विमान को पाकिस्तानी क्षेत्र में उड़ते हुए देखा तो उन्होंने उसे संदेश भेजा कि वो नीचे की पट्टी पर अपना विमान उतारें नहीं तो वो उसे उड़ा देंगे."

इमेज स्रोत, GAUHAR AYUB KHAN

इमेज कैप्शन,

अयूब खां अपने दोनों बेटों के साथ. दायीं ओर हैं गौहर अयूब ख़ां.

दोबारा टेक ऑफ़ करने की कोशिश

सिकंद को युद्धबंदी बनाने के बाद फ़्लाइट लेफ्टिनेंट साद हातमी उस नैट को उड़ा कर पेशावर एयर बेस ले गए. उन्हें ब्रिटेन में अपनी ट्रेनिंग के दौरान नैट उड़ाने का अनुभव था.

पाकिस्तान के उड्डयन इतिहासकार कैसर तुफ़ैल बताते हैं, "सिकंद ने पूछताछ के दौरान सवाल पूछने वालों को बताया कि उनके विमान में एक साथ कई ख़राबियाँ हो गईं थीं. मैंने भी युद्धक विमान उड़ाए हैं और मैं तर्जुबे के साथ कह सकता हूँ कि किसी विमान में एक साथ इतनी गड़बड़ियाँ नहीं हो सकती."

बीबीसी ने इस मामले पर सिकंद की टिप्पणी लेनी चाही तो उन्होंने ये बता कर बातचीत करने से मना कर दिया कि अब वो काफ़ी वृद्ध हो चले हैं.

सिकंद ने कुछ अख़बारों में लेख लिख कर ये बताने की कोशिश की कि वो ग़लती से पसरूर में उतरे थे और इसका अहसास होने पर उन्होंने दोबारा टेक आफ़ करने की कोशिश की थी.

इमेज स्रोत, Kaiser Tufail

इमेज कैप्शन,

पाकिस्तान के उड्डयन इतिहासकार कैसर तुफ़ैल.

इसके जवाब में कैसर तुफ़ैल कहते हैं, "लैंड करने के बाद एक जेट फ़ाइटर तुरंत टेक ऑफ़ नहीं कर सकता. उन्होंने तो अपना इंजिन स्विच आफ़ कर दिया था और उस समय वो स्ट्रिप के बिल्कुल अंत तक पहुंच चुके थे जहाँ से दोबारा टेक ऑफ़ करना असंभव था."

हकीमउल्लाह के होने के सबूत नहीं

लेकिन सिकंद के समर्थन में पीवीएस जगनमोहन और समीर चोपड़ा अपनी किताब, द इंडिया पाकिस्तान एयर वार आफ़ 1965 में लिखते हैं, "हकीमउल्लाह उस इलाके में भले ही उड़ रहे हों जहाँ ये नैट उतरा था, लेकिन पाकिस्तानी सूत्रों के अलावा इस बात के कोई सबूत नहीं मिलते कि नैट को ज़बरदस्ती पसरूर पर उतरवाया गया."

कैसर तुफ़ैल ने एक दूसरे लेख में स्वीकार किया है कि हकीमउल्लाह ने तब तक नैट को नहीं देखा था जब तक उन्होंने उसे पसरूर स्ट्रिप पर अपने ब्रेक शूट के साथ खड़े पाया.

इमेज स्रोत, BBC WORLD SERVICE

इमेज कैप्शन,

युद्धबंदी के तौर पर पाक से लौटने के बाद ब्रजपाल सिकंद भारतीय वायुसेना प्रमुख अर्जन सिंह के साथ.

इस पूरे प्रकरण के एक और गवाह थे अमृतसर रडार स्टेशन के विंग कमांडर दंडपानी. उन्होंने जगनमोहन को बताया कि उनको उसी समय पता चल गया था जब सिकंद का विमान अपने मुख्य फारमेशन से अलग हुआ था, लेकिन फिर वो उनकी रडार की स्क्रीन से ग़ायब हो गया था.

दंडपानी ज़ोर दे कर कहते हैं कि उस समय उन्हें रडार पर उस इलाके में कोई पाकिस्तानी विमान नहीं दिखाई दिया था. ये ख़बर आने के बाद कि एक नैट पाकिस्तान में साबुत उतार लिया गया है, पठानकोट एयर बेस के सारे नैट्स को ग्राउंड करके उनके रेडियो क्रिस्टल को बदला गया ताकि पाकिस्तानी भारतीय वायु सेना की फ़्रीक्वेंसियों को डिसाइफ़र कर उन्हें सुन न सकें.

पक्षी टकराने से विमान का नुकसान

गौहर अयूब ख़ाँ ने एक और दिलचस्प बात बताई कि इस नैट को बाद में पाकिस्तानी वायु सेना के प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल किया गया. इस बीच इस विमान से एक पक्षी टकरा गया जिससे इसकी केनोपी को काफ़ी नुकसान पहुंचा.

'उस समय यूगोस्लाविया की वायु सेना में काफ़ी नैट हुआ करते थे. हमने वहाँ से इसकी केनोपी मंगवाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं मानी. हमारा भाग्य अच्छा था कि इंग्लैंड में एक पेट्रोल पंप पर वहाँ तैनात पाकिस्तानी एयर अटैशे की मुलाकात एक अंग्रेज़ से हुई.'

इमेज स्रोत, KAISER TUFAIL

इमेज कैप्शन,

पाकिस्तानी म्यूज़ियम में रखा हुआ भारतीय नेट विमान.

वो अंग्रेज़ भारत की हिंदुस्तान एयरनाटिक्स फ़ैक्ट्री में काम कर चुका था. गौहर अयूब ख़ां के मुताबिक, "जब हमारे एयर एटेशे ने उसे बताया कि हम नैट की कनोपी की तलाश में हैं तो उसने कहा कि इसको हासिल करना कोई बड़ी समस्या नहीं होगी."

उस अंग्रेज़ की बदौलत उस केनोपी को बंगलौर फ़ैक्ट्री से बाहर ला कर गुप्त रूप से पाकिस्तान भेजा गया और नैट को दोबारा उड़ने योग्य बनाया गया. आज भी ये नेट पाकिस्तानी वायु सेना के म्यूज़ियम में रखा हुआ है.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)