बीजेपी को सोशल मीडिया में पटक पाएगी कांग्रेस?
- प्रदीप कुमार
- बीबीसी संवाददाता

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ओर गुजरात में बुलेट ट्रेन की योजना का शिलान्यास कर रहे हैं, दूसरी ओर उसी गुजरात में सोशल मीडिया पर 'विकास पगला गया है' ट्रेंड कर रहा है.
गुजरात में दिसंबर महीने में विधानसभा चुनाव होने वाला है और कई विश्लेषकों के मुताबिक अपने ही गढ़ में बीजेपी को तगड़ी चुनौती मिलने वाली है. कम से कम से सोशल मीडिया पर इसके संकेत मिल रहे हैं.
कांग्रेस ने पिछले दिनों सोशल मीडिया की ज़िम्मेदारी कर्नाटक से आने वाली एक महिला नेता को सौंपी है और वे नए सिरे से अपनी टीम को तैयार करने में जुटी हैं.
इस परिपेक्ष्य में ये भी देखे जाने की ज़रूरत है कि भारतीय जनता पार्टी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को अपने गढ़ दिल्ली यूनिवर्सिटी में क़रारी हार का सामना करना पड़ा है.
ऐसे में क्या कांग्रेस सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर भारतीय जनता पार्टी को पटकने की तैयारी में जुट गई है या फिर अभी कांग्रेस के लिए मंज़िल दूर है. इस बारे में बीबीसी ने कई राजनीतिक विश्लेषकों से बातचीत की.
निर्मल पाठक, संपादक, पीटीआई-भाषा
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कांग्रेस को काफ़ी देर से सोशल मीडिया की ताक़त का अंदाज़ा हुआ है. 2014 में नरेंद्र मोदी ने अपनी आधी लड़ाई तो सोशल मीडिया पर ही जीत ली थी. उन लोगों ने काफ़ी आक्रामक रणनीति अपनाई थी. कांग्रेस उस गैप को भरने की कोशिश तो ज़रूर कर रही है, लेकिन बीजेपी जितना आगे निकल चुकी है, ऐसे में उसे पछाड़ना आसान नहीं होगा.
गुजरात में सोशल मीडिया पर जिस तरह का गुस्सा लोग दिखा रहे हैं, कांग्रेस उसे विपक्ष के तौर पर भुनाने की कोशिश कर रही है. दरअसल नरेंद्र मोदी के केंद्र में आने के बाद गुजरात में दो मुख्यमंत्री बन चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस इसे अपने लिए अवसर के तौर पर देख रही है, लेकिन क्या वह सोशल मीडिया पर बीजेपी जितना दमदार कैंपेन चला पाएगी ये देखने वाली बात होगी.
कांग्रेस के सामने संकट ये है कि उनके पास नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे फ़ैसले लेने वाले नेता नहीं हैं. अगर ये दोनों कोई फ़ैसला कर लेते हैं तो पूरा संगठन उसे लागू करने में लग जाता है, लेकिन राहुल गांधी के स्तर पर भी कांग्रेस में कोई फ़ैसला होता है तो उसे लागू करने में कई अड़चनें सामने आती हैं.
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इसके अलावा हमने ये भी देखा है कि आम लोग नरेंद्र मोदी की बातों का भरोसा करते हैं. ये उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान दिखा जब नोटबंदी को लेकर इतनी आलोचना हो रही थी, लेकिन लोगों ने नरेंद्र मोदी की बातों पर भरोसा किया.
तो ये भी देखना होगा कि क्या कांग्रेस पार्टी दमदार ढंग से ये बता पाएगी कि नरेंद्र मोदी जो कह रहे हैं वो सही नहीं है.
प्रतीक सिन्हा, संपादक, ऑल्ट न्यूज़
सोशल मीडिया पर बीजेपी काफ़ी मज़बूत है क्योंकि शहरी क्षेत्रों में बीजेपी की पकड़ मज़बूत है और शहरी लोग सोशल मीडिया पर ज़्यादा होते हैं.
लेकिन लोगों में भारतीय जनता पार्टी के प्रति गुस्सा भी बढ़ा है. इसकी मिसाल है गुजरात की सोशल मीडिया में 'विकास पगला गया है' का टॉप ट्रेंड बन जाना.
शहरी क्षेत्र की जनता के कई मुद्दे हैं, बेरोजगारी बढ़ी है, महंगाई बढ़ी है, तेल की क़ीमत कम नहीं हो रही है. ऐसे में इन लोगों का ग़ुस्सा भी सोशल मीडिया पर नज़र आती है.
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सोशल मीडिया पर कांग्रेस इस बार थोड़ी ऐक्टिव दिख रही है, लेकिन 2019 में वह सोशल मीडिया पर बीजेपी से पार पाएगी, ये कहना जल्दबाज़ी होगी क्योंकि कांग्रेस या फिर विपक्ष को काफ़ी काम करना होगा.
बीजेपी के पास ढेरों व्हाएट्सऐप ग्रुप हैं, उनके पास एक पूरा तंत्र है, कांग्रेस इन सबमें पीछे है. हालांकि बीजेपी के सामने 2019 में ये चुनौती होगी कि उन्होंने क्या किया है, ये लोगों को बताना होगा.
मोदी जी ने लगातार ये कहा है कि 60 साल में कुछ नहीं हुआ है, हमें पांच साल दे दो. तो लोग पूछेंगे ज़रूर कि पांच साल में क्या किया आपने.
अभी तक जो आंकड़े आ रहे हैं, चाहे वो जीडीपी के हों या अद्यौगिक उत्पादन के या फिर नौकरियों की बात हो- सब जगह गिरावट देखने को मिल रही है. तो इन चीज़ों को वे कैसे लोगों को बताएंगे ये भी देखने वाली बात होगी.
रशीद किदवई, वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार
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कांग्रेस को अब ये समझ में आ गया है कि सोशल मीडिया से फ़र्फ़ पड़ता है. पहले उसके नेता इसे अहमियत नहीं देते थे. कहते थे कि लोग अपनी बात बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं. लेकिन अब उन्हें समझ में आया है कि लोगों की राय को प्रभावित करने में इसका अहम योगदान है.
इसे देखते हुए ही कांग्रेस ने कर्नाटक से आने वाली पूर्व सांसद और अदाकारा रमैया को अपना सोशल मीडिया इंचार्ज बनाया है. उनकी देखरेख में लगातार 24 घंटे काम हो रहा है.
कांग्रेस पार्टी ने पेशेवर लोगों की टीम को जोड़ा है, जो लोग सोशल मीडिया के काम को समझते हैं. सोशल मीडिया पर अगर आप किसी की खिंचाई करें, आलोचना करें तो उसके प्रति लोगों का रूझान ज़्यादा दिखता है.
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मोदी सरकार के तीन साल बीत चुके हैं, ऐसे में उन्हें सोशल मीडिया पर अपने कामों के बारे में बताना होगा. लिहाजा उनके लिए मुश्किल बढ़ेगी. लोगों में बेरोज़गारी है, महंगाई का संकट है. आर्थिक विकास की रफ़्तार मंद है. तो उनके लिए चुनौती तो होगी.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के चुनाव में कांग्रेस की जीत से ये ज़ाहिर तो हुआ है कि युवाओं में बीजेपी से नाराज़गी है और कुछ हद तक गुरमीत राम रहीम के मामले में हरियाणा में बीजेपी के प्रति ग़ुस्से की झलक का असर भी दिखा है.
एक और बात है, कांग्रेस बीजेपी का काउंटर कितना कर पाएगी, ये काफ़ी कुछ हद तक राहुल गांधी के रवैए पर निर्भर करेगा. जिस तरह से बीजेपी के लोग उनको घेरते रहे हैं, ऐसे में राहुल गांधी ख़ुद को कैसे उभारते हैं, ये देखने की बात होगी. वे कोशिश कर रहे हैं कि उनकी छवि गंभीर राजनेता की बने.
उन्होंने अमरीकी यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन में इसकी झलक भी दिखाई है.
सोशल मीडिया पर हाल
वैसे सोशल प्लेटफ़ॉर्म चाहे वो फ़ेसबुक हो या फिर ट्विटर हो- दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस से काफ़ी आगे है. ट्विटर पर भारतीय जनता पार्टी को 65 लाख लोग फ़ॉलो करते हैं तो कांग्रेस को महज़ 25 लाख.
वहीं फ़ेसबुक पर बीजेपी को लाइक करने वाले लोगों की संख्या 1.35 करोड़ है जबकि कांग्रेस को महज 45 लाख लोग लाइक करते हैं.
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