देवबंद में पासपोर्ट री-वेरीफ़िकेशन पर क्या बोले मुस्लिम नेता?
- नवीन नेगी
- बीबीसी संवाददाता

उत्तर प्रदेश में देवबंद और उसके आस-पास के इलाकों में पुलिस जल्द ही पासपोर्ट धारकों का दोबारा वेरीफ़िकेशन करने जा रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि देवबंद और उसके आस-पास के इलाकों में कुछ लोग चरमपंथी गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं और उनके पास फ़र्ज़ी पासपोर्ट भी हो सकते हैं.
बीबीसी से बातचीत करते हुए सहारनपुर के ज़िला अधिकारी पी के पांडे ने पासपोर्ट वेरीफ़िकेशन की ख़बर की पुष्टि की है. उन्होंने कहा, "हां ऐसा किया जा रहा है." हालांकि उन्होंने इसके कारणों पर ज़्यादा बात करने से इनकार कर दिया.
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'समूह विशेष पर लागू न हो यह क़दम'
इसी मसले पर बीबीसी ने पूर्व राज्य सभा सांसद और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव महमूद मदनी से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते सभी का वेरीफ़िकेशन हो रहा हो.
उन्होंने कहा, ''अगर पुलिस को लगता है कि किसी के पास फ़र्ज़ी पासपोर्ट है तो वह उसे वेरीफ़ाई करने का काम कर सकती है, बस यह किसी समूह विशेष पर लागू नहीं होना चाहिए.''
उन्होंने कहा, ''यह देखना होगा कि पुलिस किस तरह वेरीफ़िकेशन की इस प्रकिया को पूरा करती है. एक आदमी किस तरह अपने पासपोर्ट को पुलिस से दोबारा वेरीफ़ाई करवाएगा, यह बाद में ही पता लगेगा, लेकिन अभी तो इसमें कोई एतराज़ नहीं है.''
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'मुस्लिम युवाओं को परेशान करने की कोशिश'
अगस्त महीने में उत्तर प्रदेश एटीएस ने मुज़फ़्फ़रनगर से एक बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ़्तार किया था. वह लंबे समय से देवबंद में रह रहा था.
देवबंद स्थित इस्लामी संस्था दारुल उलूम के सामाजिक कार्यकर्ता मेहदी हसन ऐनी ने बीबीसी से कहा,''पासपोर्ट री-वेरीफ़िकेशन करना सरकार का एक काम है, लेकिन इसके लिए किसी को परेशान नहीं किया जाना चाहिए.''
उन्होंने कहा, ''पिछले कुछ दिनों में ऐसी बातें निकलकर आई हैं जिनकी वजह से पासपोर्ट री-वेरीफ़िकेशन जरूरी हो गया था, लेकिन ऐसा महसूस हो रहा है कि इस री-वेरीफ़िकेशन के पीछे मुस्लिम युवाओं को टारगेट करने की कोशिश हो रही है.''
री-वेरीफ़िकेशन की प्रकिया कैसी होगी और इसे कब शुरू किया जाएगा, इस संबंध में फ़िलहाल पुलिस की तरफ़ से कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.
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