50 हज़ार करोड़ के घाटे में डूबी एयर इंडिया को कौन ख़रीदेगा

भारत सरकार ने घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया के एक बड़े हिस्से को बेचने का फ़ैसला कर लिया है. मोदी सरकार इसके 76% हिस्से की बिक्री की तैयारी कर रही है.
पिछले कुछ दशकों में ये पहला मौक़ा है जब भारत सरकार ने इतनी क़ीमती संपत्ति के विनिवेश को मंज़ूरी दी है. एयर इंडिया फ़िलहाल 50 हज़ार करोड़ के कर्ज में डूबी है. ज़ाहिर है कर्ज की ये भारी राशि खरीदार के खाते में जाएगी.
अगर एयर इंडिया का निजीकरण होता है तो उन दावों पर मुहर लगेगी जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'आर्थिक सुधारवादी' नेता के तौर पर पेश किया जाता है.
हालांकि ये इतना आसान नहीं है क्योंकि ऐसी योजनाएं पहले भी हुई थीं लेकिन वो पूरी नहीं हो सकीं. देशभर में यूनियनों से ये धमकी आ रही है कि अगर निजीकरण के प्लान को आगे ले जाया गया तो वो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
एयर इंडिया कभी देश का इकलौता एयरलाइंस हुआ करता था लेकिन बाज़ार में तमाम प्राइवेट एयरलाइंस की एंट्री के बाद उसे भारी नुक़सान हुआ है. खराब सेवा और बार-बार कैंसल होने वाली उड़ानों की वजह से एयर इंडिया की छवि को गहरा धक्का लगा है.
साल 2007 से इसे कारोबार में कोई फ़ायदा नहीं हुआ है. वहीं भारत में हर साल 20% की दर से हवाई यात्री बढ़ रहे हैं. जानकारों का मानना है कि भारतीय बाज़ार में एयरलाइंस कंपनियों के लिए अब भी मुनाफ़ा कमाने के अच्छे मौके हैं.
क्या-क्या बिकेगा?
भारत सरकार द्वारा जारी किए गए कागज़ातों के मुताबिक एयर इंडिया इन चार को बिक्री के लिए पेश करेगा:
- एयरलाइन के प्रमुख करोबार का 76% हिस्सा- एयर इंडिया, इसका लो-कॉस्ट आर्म एयर इंडिया एक्सप्रेस और सहायक एआईएसएटी (एयर इंडिया लिमिटेड ऐंड सिंगापोर एयरपोर्ट टर्मिनल सर्विसेज़)
- एलायंस एयर- इसकी क्षेत्रीय शाखा
- एयर इंडिया ट्रांसपोर्ट सर्विसेज़
- एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज़ लिमिटेड
कौन खरीदेगा?
एयर इंडिया के कारोबार की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय वायुमार्गों पर इसका अच्छा-ख़ासा हिस्सा शामिल है, जो खरीदार के लिए काफी फ़ायदेमंद साबित होगा.
इसमें लंदन का हीथ्रो और न्यूयॉर्क का जेएफ़के हवाई अड्डा भी शामिल है. खरीदारों की फेरहिस्त में इंडिगो से लेकर विस्तारा और जेट एयरवेज जैसे बड़े नाम शामिल हैं.
इंडिगो ने इसे खरीदने में काफी दिलचस्पी दिखाई है लेकिन साथ ही वो सतर्क भी है.
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इंडिगो के को-फ़ाउंडर राहुल भाटिया के मुताबिक, "हम ऐसी डील चाहते हैं जिसमें हमारी ग्रोथ भी हो और हमें मुनाफ़ा भी मिले. हम सिर्फ अपनी सेवा बढ़ाने के लिए कोई सौदा नहीं करना चाहते."
वहीं, सिंगापुर एयरलाइंस के जनरल मैनेजर डेविड लिम ने पिछले महीने बीबीसी से कहा था कि वो एयर इंडिया की नीलामी में हिस्सा लेने के लिए अपने विकल्प खुले रखे हैं.
जेट एयरवेज भी किसी इंटरनेशनल पार्टनर के साथ इस डील में दिलचस्पी दिखा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एयर फ़्रांस और डेल्टा भी इसमें हिस्सा ले सकते हैं.
पहले क़तर एयरवेज भी संभावित खरीदारों की लिस्ट में शामिल था लेकिन बाद में इस तरह की किसी भी संभावना से इनकार कर दिया.
टाटा एयरलाइंस कैसे बनी थी एयर इंडिया?
भारतीय नियमों के मुताबिक भारतीय एयरलाइन में किसी विदेशी एयर कैरियर की ज़्यादा से ज़्यादा 49% हिस्सेदारी हो सकती है. इसलिए अंतरराष्ट्रीय कैरियर 49% से ज़्यादा शेयर नहीं ले पाएंगे.
एयर इंडिया के खरीदार को इसे स्टॉक्स एक्सचेंज में लिस्ट कराना होगा और इसे एक तय वक़्त के भीतर फ़ायदे का सौदा बनाना होगा.
डील में शामिल होने के लिए कंपनियों को 14 मई तक अपने प्रस्ताव सौंपने होंगे और शॉर्टलिस्ट कंपनियों को 28 मई तक इस बारे में सूचित किया जाएगा.
एयर इंडिया के बारे में कुछ दिलचस्प बातें
- एयर इंडिया पहले 'टाटा एयरलाइंस' थी और आज़ादी के बाद यानी 1947 में इसकी 49% भागीदारी सरकार ने ले ली थी.
- एयर इंडिया की पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान 8 जून, 1948 को लंदन के लिए थी.
- दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा इसका प्रमुख हब है.
- एयर इंडिया ने अब तक सबसे ज़्यादा लोगों को सुरक्षित एयरलिफ़्ट कराया है. 1990 में इराक ने जब क़ुवैत पर हमला किया तब 59 दिनों के भीतर 10 लाख से ज़्यादा भारतीयों को एयर इंडिया के 488 विमानों से सुरक्षित भारत पहुंचाया गया.
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