ग्राउंड रिपोर्ट: गोलाबारी के बीच भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के इलाकों में रोज़ेदारों का हाल
- मोहित कंधारी, भारत प्रशासित कश्मीर के आर एस पुरा से
- मिर्ज़ा औरंगज़ेब जर्राल, पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद से

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चक्रोही राहत शिविर में अपने पोतों के साथ बैठी एक दादी
इस्लाम में पवित्र माने जाने वाले रमज़ान के मौक़े पर भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर में भारत सरकार की तरफ से एकतरफा युद्धविराम की घोषणा की गई है. वहीं दूसरी ओर रमज़ान के पहले दिन से भारत पाकिस्तान सीमा से सटे कई इलाकों में गोलाबारी हो रही है. कई लोगों का ये कहना है कि इससे सीमा से सटे इलाकों में रोज़ेदारों को भी मुश्किलें पेश आ रही हैं.
बीबीसी ने भारत प्रशासित कश्मीर और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर दोनों में रोज़ेदारों को हो रही मुश्किलों को जानने के लिए हालात का जायजा लिया. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.
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गोलाबारी से क्षतिग्रस्त मकान के बाहर नमाज पढ़ता एक मुसलमान
एक चक्रोही राहत शिविर, आरएस पुरा से भारत प्रशासित कश्मीर का हाल
हाथ में सूखी रोटी लिए 10 वर्षीय शाहिद अफ़रीदी खुले मैदान में आसमान के नीचे लगे सफ़ेद टेंट के पास खड़ा था. रोटी पे थोड़ा सा जैम लगा था जिसे वो धीरे धीरे खा रहा था. रोटी खत्म करते ही शाहिद अफ़रीदी बाहर की और तेज़ी से भागने लगा. उसके दो भाई उसे जोर से आवाज़ लगाने लगे. आगे मत जाना. वहां ख़तरा है. वापस लौट आओ. शाहिद अफ़रीदी को शायद नहीं पता था कि उसका बड़ा भाई असलम उसे किस ख़तरे से वाकिफ करवा रहा था.
भारत पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे चक्रोही गाँव में असलम अपने माता पिता की गैरहाज़िरी में अपने छोटे भाइयों का बखूबी ध्यान रख रहा था.
असलम ने बीबीसी से बातचीत में बताया, "उनके माता पिता पशुओं को लेकर चारा खिलाने गए हैं. शाम को वापस आ जाएंगे."
जेओरा फार्म में रहने वाला शाहिद अफ़रीदी का परिवार एक हफ़्ते से अपना घर छोड़ कर टेंट में गुज़र बसर कर रहा है.
असलम का कहना था उनकी माँ ने वहां से कहीं दूर जाने के लिए सख़्त मना किया है क्यूंकि इस इलाके में लगातार फायरिंग चल रही और गोले गिर रहे हैं.
असलम ने कहा, "क्या पता अगला गोला कहाँ गिर जाए इसलिए सावधानी रखना जरूरी है."
इस परिवार की ज़िन्दगी और घर का सारा ज़रूरी सामान साथ में रसोई इसी सफ़ेद टेंट के अन्दर सिमट कर रह गयी है.
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सीमा पर तनाव
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एक हफ़्ता होने को है जब से रमजान का महीना शुरू हुआ है भारत पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगातार तनाव बना हुआ है.
पाकिस्तान की तरफ़ से की जा रही गोलाबारी में अब तक भारतीय सीमा में 9 नागरिकों समेत 11 लोगों की मौत हो गयी है और 50 से ज़्यादा लोग घायल हो चुके हैं. सीमा रेखा से सटे 100 से ज्यादा गाँव गोलाबारी से प्रभावित हुए हैं. वहां युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं.
रियासत के पुलिस के मुखिया डॉ एस पी वैद ने बताया पाकिस्तान की तरफ से किए जा रहे संघर्ष विराम में बुधवार को 5 नागरिक मारे गए और 30 लोग ज़ख्मी हुए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक दिवसीय दौरे से पहले हुई गोलाबारी में 4 नागरिक मारे गए थे.
मंगलवार के दिन जेओरा फार्म में 20 से ज़्यादा घर पाकिस्तान की तरफ़ से की जा रही गोलाबारी में जल कर खाक हो गए. जो कुछ सामान उन घरों में रखा था वहीं जल कर राख हो गया.
भारत सरकार का कहना है कि आरएस पुरा सेक्टर में जेओरा फार्म्स से 210 परिवारों को निकाल कर राहत शिविरों में ले जाया गया है.
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शाहिद अफ़रीदी
भारतीय नागरिक रोज़ा भी नहीं रख पा रहे?
शाहिद अफ़रीदी के परिवार के साथ ही 210 परिवार जेओरा फार्म छोड़ कर आस पास के इलाके में शरण लिए हुए हैं. उनमें से कुछ चक्रोही एग्रीकल्चर फार्म में डेरा डाले हुए हैं.
जेओरा फार्म के रहने वाले मोहम्मद असलम ने बीबीसी से बातचीत में बताया, "जबसे रमजान का महीना शुरू हुआ है हम एक दिन भी चैन की नींद नहीं सो पाए हैं."
असलम का कहना था, "जब हम सेहरी के वक़्त जागते हैं पाकिस्तान की तरफ से फायरिंग शुरू हो जाती है. दिन भर गर्मी में पशुओं का ध्यान रखते हैं और जैसे ही शाम को नमाज़ का वक़्त होता है और इफ़्तार की तैयारी कर रहे होते हैं फ़ायरिंग फिर से शुरू हो जाती है."
पाकिस्तान को कोसते हुए मोहम्मद असलम सवाल करते हैं, "मुस्लिम मुल्क होते हुए भी पाकिस्तान रमजान के दिनों में दूसरे देश के मुसलमान को रोज़ा नहीं रखने दे रहा. उसे क्या तक़लीफ है. उसके ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए."
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मोहम्मद असलम
'सेहरी खाने की तैयारी हो रही थी, तभी फायरिंग शुरू हो गयी'
एक और नौजवान लिआक़त अली ने बीबीसी से बातचीत करते हुए कहा 18 मार्च के दिन सुबह साढ़े तीन बजे फ़ायरिंग शुरू हुई थी जब हम लोग अपनी जान बचा कर वहां से भाग आए.
लिआकत अली ने बताया अभी सेहरी खाने की तैयारी हो रही थी उस समय अचानक फ़ायरिंग शुरू हो गयी. सेहरी वहीं छोड़ हम लोग बीवी बच्चे लेकर वहां से भागे थे.
उन्होंने बताया बहुत से ऐसे लोग हैं जो इन मुश्किल हालात के चलते रोज़ा भी नहीं निभा पा रहे.
शाहिद अफ़रीदी के बड़े भाई असलम ने बताया इस चिलचिलाती गर्मी में पेड़ की छांव में बैठना अच्छा लगता है. लेकिन कब तक ऐसा चलेगा! हम लोग स्कूल भी नहीं जा रहे. क्या करें, कहां जाएं.
असलम ने बताया घर का ज़रूरी सामान यूं खुले में छोड़ कर हम लोग कहीं दूर भी नहीं जा सकते. जब शाम को गोलाबारी शुरू होती है चारो तरफ अंधेरा हो जाता है उस समय बड़ा डर लगता है.
नाज़िया बेगम ने बताया शाम होते ही छोटे बच्चे रोने लगते हैं. ऊपर से जब फ़ायरिंग शुरू हो जाती है उन्हें बहुत डर लगता है. इस बात का खौफ़ सताता है न जाने अगला गोला कहां गिरेगा.
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चक्रोही गांव में असलम अपने टेंट की ओर जाते हुए
पाकिस्तान की सेना कर रही रेंजर्स की मदद
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, रमेश कोतवाल (एस पी मुख्यालय) ने बताया कि पुलिस के जवान गांव वालों को बख्तर बंद गाड़ियों में सुरक्षित स्थान पे ले जा रहे हैं.
उन्होंने बताया, "पाकिस्तान की तरफ से लगातार गोलाबारी जारी है और तनाव की स्थिति बनी हुई है. अभी तक कम से कम 30 हज़ार से अधिक लोग अपना घर छोड़ सुरक्षित जगहों पर आ गए हैं और बड़ी संख्या में लोग अपने सगे सम्बन्धियों के यहां रह रहे हैं."
सरकार की तरफ से लगातार इस बात की जानकारी दी जा रही है कि लोग सुरक्षित जगहों पर रहें और बिना वजह घर से बाहर न निकलें. बहुत से ऐसे गाँव हैं जहाँ पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है और चंद लोगों के अलावा गाँव में कोई भी नहीं है.
सीमा सुरक्षा बल के प्रवक्ता ने बताया, "अरनिया, आरएस पुरा, बिस्नाह, साम्बा, हीरा नगर, कठुआ में सीमा सुरक्षा बल की लगभग 50 से ज़्यादा अग्रिम चौकियों को पाकिस्तान की तरफ से निशाना बनाया जा रहा है और साथ ही रिहाइशी इलाकों पर भी गोलाबारी की जा रही है."
सीमा सुरक्षा बल के प्रवक्ता का कहना था इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की पाकिस्तानी सेना भी पाकिस्तान के रेंजर्स का साथ दे रही है. उनका कहना था भारी गोलाबारी से इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इसमें पाकिस्तान की सेना का साथ भी उन्हें मिल रहा है.
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महबूबा मुफ़्ती पीड़ितों से मिलीं
फ़ायरिंग से बेघर हुए लोगों को मिलने रियासत की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती सोमवार को आर एस पुरा पहुंचीं और उन परिवार वालों से मिली जिन के यहाँ गोलाबारी में मौत हो गयी. स्थानीय नागरिकों ने महबूबा मुफ़्ती से बॉर्डर के इलाकों में बंकर बनाने की मांग उठाई.
लोगों का कहना था जब केंद्र सरकार ने 413 करोड़ रुपये की राशि की लागत से 14 हज़ार बंकर बनाने की अनुमति दी है फिर आपने अभी तक काम क्यों नहीं शुरू किया जा रहा.
जम्मू के सहायक ज़िला आयुक्त डॉ अरुण मन्हास ने बताया अपना घर छोड़ कर आये गाँव वालों की सहूलियत के लिए सरकार ने राहत कैंप शुरू किए हैं जहाँ नागरिकों को खाना खिलाया जा रहा और उनके रहने का इंतज़ाम किया गया है.
डॉ मन्हास से बताया अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे सभी सरकारी, गैर सरकारी स्कूल और कॉलेज को अगले आदेश तक बंद किया गया है.
आम जनता की मदद के लिए बहुत से संगठनों ने लंगर का इंतज़ाम किया हुआ है ताकि कोई भी नागरिक भूखे पेट न सोए.
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भारत प्रशासित कश्मीर के इस पार का हाल
ऊपर भारत प्रशासित कश्मीर का हाल-ए-बयां था. अब पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के भीरत सीमा से सटे इलाकों में इस दौरान क्या हालात हैं, वहां से किस तरह की ख़बरें आ रही हैं. इस बारे में अधिक जानकारी दी पाकिस्तान के मुज़फ्फराबाद में मौजूद मिर्ज़ा औरंगज़ेब जर्राल ने.
उन्होंने बताया, "पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में रहने वाले कुछ लोगों से और नियंत्रण रेखा पर नज़र बनाए रखने वाले कुछ अधिकारियों से मेरी बात हुई है."
"रमज़ान के दौरान 19 और 20 मई और बाद में कुछ दिनों में नक्याल और समानी सेक्टर में यहां सीमा पार से यानी भारतीय सेना की तरफ से गोलाबारी होने की ख़बर है. इसमें दो महिलाएं घायल हुई हैं."
"स्थानीय लोगों से मेरी बातचीत हुई है और उनका कहना है कि रमजान के दौरान गोलाबारी में काफी कमी आई है."
जिन इलाकों में लोग गोलाबारी में घायल हुए हैं वहां के लोगों का कहना है कि सेहरी और इफ़्तार के वक्त लोगों में ख़ौफ का माहौल है."
"यहां के दक्षिणी इलाकों में और नियंत्रण रेखा से सटे उत्तर के इलाकों और नीलम घाटी और लीपा घाटी के इलाकों में पूरी तरह से शांति है. यहां लोग शांति से जीवन गुज़ार रहे हैं लेकिन नियंत्रण रेखा से सटे गावों में रहने वाले लोगों का कहना है कि उनके लिए स्थिति आसान नहीं है. उनका कहना है कि इस बात का कोई ठिकाना नहीं कि कब शेलिंग शुरू हो जाए."
"सेना से मेरी बात नहीं हुई है. हमारी बातचीत स्थानीय प्रशासन से अधिकारियों से हुई है जो यहां शांति व्यवस्था बनाए रखने के काम में लगे हैं. और उनके अनुसार यहां पर गोलाबारी मामूली बात है और लोग इसे सामान्य ही मानते हैं."
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"लोग यहां पर रोज़े रख रहे हैं. नियंत्रण रेखा को लेकर दोनों मुल्कों के बीच जारी तनाव और गोलाबारी लोगों के लिए आए दिन की बात हो गई है और इससे उनके रोज़ा रखने पर असर नहीं पड़ रहा."
"ये बात सच है कि किसी आम पाकिस्तानी की तरह वो अपनी ज़िंदगी नहीं बिता पा रहे, लेकिन यहां के रहने वाले लोगों का कहना है कि ज़िंदगी तो वो गुज़ार रहे हैं."
"मेरी बात नक्याल सेक्टर में रहने वाले ज़हीर से हुई है. उनका कहना है कि युद्धविराम तो किया गया है लेकिन उन्हें भरोसा नहीं है कि शांति हो गई है. दोनों देशों से उनकी अपील है कि वो शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं क्योंकि युद्ध किसी भी मसले का हल नहीं है. सीमा पर तनाव का असर देश के भीतर बैठे लोगों पर नहीं बल्कि वहां गांवों में रहने वाले लोगों और उनके स्कूल जाने वाले बच्चों पर होता है और इसीलिए शांति का एक मौक़ा दिया जाना चाहिए."
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