नूरजहां: मुगलों के ज़माने की फ़ेमिनिस्ट और सबसे ताकतवर महिला

नूर जहां मुगल काल की अकेली महिला शासक थीं.

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नूरजहां मुगल काल की अकेली महिला शासक थीं.

नूरजहां. यानी 17वीं सदी की भारत की सबसे ताक़तवर महिला. नूरजहां ने विशाल मुगल साम्राज्य को चलाने में अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी.

इतिहासकार रूबी लाल बता रही हैं कि मौजूदा वक़्त में हमें इतिहास में नूरजहां के नेतृत्व की अहमियत समझने की ज़रूरत क्यों है.

16वीं सदी की शुरुआत में भारत में सत्ता स्थापित करने वाले मुगलों ने भारतीय उप महाद्वीप के एक बड़े हिस्से पर 300 साल से ज़्यादा समय तक शासन किया.

यह भारत के सबसे बड़े और सबसे ताकतवर राजवंशों में से एक था. मुगल काल में कई शासक रहे जिन्होंने इस महाद्वीप पर शासन किया, नूरजहां उनमें से एक थीं. नूरजहां कला, संस्कृति और स्थापत्य कला की संरक्षक थीं.

उन्होंने एक से बढ़कर शानदार शहर, भव्य महल, मस्ज़िद और मक़बरे बनवाए. शायद यही वजह है कि नूरजहां भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोक-साहित्य में ज़िंदा हैं.

नूरजहां की कहानियां उत्तर भारत के आगरा और उत्तर पाकिस्तान के घरों और ऐतिहासिक इमारतों में सुनाई जाती हैं. आगरा और लाहौर मुगल शासन के दौरान दो प्रमुख शहर थे. ख़ासकर नूरजहां के वक़्त में.

जब नूरजहां ने आदखोर बाघ का शिकार किया

इन शहरों के बड़े-बुजुर्ग, टूरिस्ट गाइड और इतिहास को जानने वाले नूरजहां की कहानियां सुनाते हैं कि कैसे वो और जहांगीर एक दूसरे से प्यार करने लगे और कैसे नूरजहां ने एक आदमखोर बाघ का शिकार करके एक गांव को बचाया.

वो बताते हैं कि किस तरह नूरजहां ने हाथी पर बैठे-बैठे उस आदमखोर बाघ पर गोली चलाई.

वैसे तो लोगों ने नूरजहां के रोमांस और उनकी बहादुरी के किस्से सुन रखे हैं लेकिन उनकी राजनीतिक कुशाग्रता और महत्वाकांक्षाओं के बारे में कम ही लोग जानते हैं.

नूरजहां एक आकर्षक महिला थीं जिन्होंने तमाम अड़चनों का सामना करते हुए मुगल शासन की कमान संभाली.

वो महान कवयित्री थीं, उन्हें शिकार करने में महारत हासिल थी और वो स्थापत्य कला में नए-नए प्रयोग करने की शौक़ीन थीं.

नूरजहां ने आगरा में अपने माता-पिता के मक़बरे का डिज़ाइन तैयार किया. ताजमहल की डिजाइन भी इसी से प्रेरित है.

वो पुरुषों के दबदबे वाली दुनिया में एक शानदार नेता बनकर उभरीं.

इस पेंटिंग में नूरजहां के हाथों में बंदूक पकड़े हुए दिखाया गया है.

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इस पेंटिंग में नूरजहां के हाथों में बंदूक पकड़े हुए दिखाया गया है.

कैसे बनीं इतनी ताक़तवर?

दिलचस्प बात ये है कि नूरजहां शाही परिवार से ताल्लुक नहीं रखती थीं, इसके बावजूद वो मलिका से लेकर कुशल राजनेता और जहांगीर की पसंदीदा पत्नी बनीं और उन्होंने विशाल मुगल साम्राज्य पर राज किया.

लेकिन नूरजहां उस वक़्त में इतनी ताक़तवर कैसे हो गईं जब महिलाएं सार्वजनिक जीवन में बमुश्किल दिखती थीं?

इसके पीछे नूरजहां के पालन-पोषण, उनके आस-पास मौजूद उत्साह बढ़ाने वाले लोग, जहांगीर के साथ उनके करीबी रिश्ते और उनकी महत्वाकांक्षाओं का बड़ा योगदान है.

नूरजहां का जन्म 1577 के क़रीब कंधार (आज के अफ़गानिस्तान) में हुआ था. उनके माता-पिता फ़ारसी थे जिन्होंने सफ़वी शासन में बढ़ती असहिष्णुता की वजह से ईरान छोड़कर कंधार में शरण ली थी.

उस वक़्त अरब और फ़ारस के निवासी भारत को अल-हिंद कहते थे जिसकी संस्कृति समृद्ध और सहिष्णु थी. अल-हिंद में अलग-अलग धर्मों, रीति-रिवाजों और विचारों के लोगों के एक साथ शांति से रहने की सुविधा थी.

नूरजहां अलग-अलग तरह की संस्कृतियों और रीति-रिवाजों में पली बढ़ीं. उनकी पहली शादी 1594 में मुगल सरकार के एक पूर्व सिख सरकारी अधिकारी से हुई. इसके बाद वो बंगाल चली गईं जो उस वक़्त पूर्वी भारत का एक संपन्न राज्य था.

वहीं, उन्होंने अपनी इकलौती संतान को जन्म दिया.

इस पेंटिंग में नूरजहां को अन्य महिलाओं के साथ पोलो खेलते दिखाया गया है

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इस पेंटिंग में नूरजहां को अन्य महिलाओं के साथ पोलो खेलते दिखाया गया है

जहांगीर से शादी का किस्सा

बाद में नूरजहां के पति पर जहांगीर के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचने के आरोप लगे. तब जहांगीर ने बंगाल के गवर्नर को नूरजहां के पति को आगरा में अपने शाही दरबार में लाने का आदेश दिया. लेकिन नूरजहां के पति गवर्नर के आदमियों के साथ युद्ध में मारे गए.

पति की मौत के बाद विधवा नूरजहां को जहांगीर के महल में शरण दी गई. वहां की बाक़ी महिलाएं नूरजहां की मुरीद हो गईं. साल 1611 में नूरजहां और जहांगीर की शादी हो गई. इस तरह नूरजहां जहांगीर की बीसवीं और आख़िरी पत्नी बनीं.

उस समय के आधिकारिक रिकॉर्डों में बहुत कम महिलाएं के नाम हैं लेकिन 1614 और उसके बाद के ऐतिहासिक स्रोतों में नूरजहां और जहांगीर के ख़ास रिश्ते की तस्दीक होती है.

जहांगीर ने नूरजहां की एक तस्वीर भी बनाई. उस तस्वीर में उन्होंने नूरजहां को एक संवेदनशील साथी, ख़्याल रखने वाली बेहतरीन महिला, कुशल सलाहकार, चतुर शिकारी, कूटनीतिज्ञ और कला की प्रशंसक के तौर पर चित्रित किया है.

नूरजहां के हाथों में आई सत्ता की कमान

कई इतिहासकारों का मानना है कि जहांगीर नशे के आदी थे और बाद में उनके लिए राज-काज पर ध्यान देना मुश्किल हो गया था. इसलिए उन्होंने अपने साम्राज्य की कमान नूरजहां के हाथों में सौंप दी थी.

हालांकि ये पूरी तरह सच नहीं है. हां, जहांगीर नशे के आदी थे और वो अफ़ीम लेते थे. हां, वो नूरजहां से बहुत प्यार भी करते थे. लेकिन नूरजहां के सत्ता संभालने की वजह ये नहीं थी.

नूरजहां और जहांगीर एक दूसरे के पूरक थे. जहांगीर अपनी पत्नी की तरक्की और बढ़ते प्रभाव से कभी असहज नहीं हुए.

जहांगीर से शादी के कुछ ही वक़्त बाद नूरजहां ने अपना पहला शाही फ़रमान ज़ारी किया था जिसमें कर्मचारियों के ज़मीन की सुरक्षा की बात कही गई थी. इस फ़रमान के उनके दस्तख़त थे- नूरजहां बादशाह बेगम. इससे पता चलता है कि नूरजहां की ताक़त कैसे बढ़ रही थी.

नूरजहां और जहांगीर के नाम वाले चांदी के सिक्के

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नूरजहां और जहांगीर के नाम वाले चांदी के सिक्के

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समाप्त

जब पुरुषों के लिए आरक्षित बारामदे में आईं

साल 1617 में चांदी के सिक्के जारी किए गए जिन पर जहांगीर के बगल में नूरजहां का नाम छपा था.

अदालत के अभिलेखक, विदेशी राजनायिक, व्यापारी और मेहमानों ने भी नूरजहां के ख़ास दर्ज़े को पहचानना शुरू कर दिया.

अदालत के एक दरबारी ने एक घटना का वर्णन किया है जब नूरजहां ने उस शाही बरामदे में आकर सबको चौंका दिया जो सिर्फ़ पुरुषों के लिए आरक्षित था.

रूढ़िवादी परंपराओं के ख़िलाफ़ नूरजहां का ये एकमात्र प्रतिरोध नहीं था. फिर चाहे वो शिकार करना हो, शाही फ़रमान और सिक्के जारी करना हो, सार्वजनिक इमारतों का डिजाइन तैयार करना हो, ग़रीब औरतों की मदद के लिए नए फ़ैसले लेने हो या हाशिए पर पड़े लोगों की अगुवाई करनी हो, नूरजहां ने ये सब करके अपने वक़्त में एक असाधारण महिला की ज़िंदगी जी.

इतना ही नहीं, जब जहांगीर को बंदी बना लिया गया तब उन्होंने उन्हें बचाने के लिए सेना का नेतृत्व किया. इसके बाद नूरजहां का नाम लोगों की कल्पना और इताहिस में हमेशा के लिए दर्ज़ हो गया.

(इतिहासकार और लेखिका रूबी लाल अमरीका की एमोरी यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं. उन्होंने हाल ही में एंप्रेस: द अस्टोनिशिंग रेन ऑफ़ नूरजहां नाम की किताब लिखी है)

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