केरल: बाढ़ के बाद अब 'रैट फ़ीवर' का कहर, दो दिनों में 11 मौतें

  • इमरान क़ुरैशी
  • बेंगलुरु से, बीबीसी हिंदी के लिए
केरल

केरल में आई बाढ़ के बाद जलस्तर तो कम हुआ है, लेकिन वहां के लोगों की मुसीबतें कम नहीं हुई हैं.

यहां पिछले दो दिनों में 'रैट फ़ीवर' यानी चूहे की वजह से होने वाली बीमारी से कम से कम 11 लोगों की मौत हो चुकी है.

राज्य के कई हिस्सों में यह महामारी तेज़ी से फैल रही है.

केरल सरकार ने इस सिलसिले में रेड अलर्ट भी जारी किया है.

वहीं, स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि हालात काबू में हैं क्योंकि ये मौतें 13 में से पांच ज़िलों में हुई हैं. ये वही पांच ज़िले हैं जो बाढ़ से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं.

राज्य सरकार ने ऐहतियात के तौर पर लोगों से डॉक्सीसाइक्लिन की टैबलेट लेने को कहा है.

स्वास्थ्य अधिकारियों का अनुमान है कि दवा न लेने वाले लोगों को बुख़ार और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत हो रही है.

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महामारी की आशंका

केरल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) राजीव सदानंदन ने बीबीसी हिंदी को बताया, "राज्य में अभी ऐसे हालात हैं जिनमें महामारी फैलने की पूरी आशंका है. इसलिए हम लोगों से रोकथाम के तौर पर डॉक्सीसाइक्लिन की गोलियां लेने को कह रहे हैं."

सदानंदन ने बताया कि उन्हें रविवार को सात और सोमवार को चार मौतों की जानकारी मिली है.

केरल में जनवरी से लेकर तीन सितंबर तक लेप्टोस्पायरोसिस (रैट फ़ीवर) से 41 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. इन तीन महीनों में राज्य में रैट फ़ीवर के 821 मामले सामने आए हैं.

जिन ज़िलों में इसका सबसे ज़्यादा असर देखा गया है, वो हैं- त्रिशूर, पलक्कड़, कोझिकोड, मल्लपुरम और कन्नूर.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज़ में वायरॉलजी के प्रोफ़ेसर डॉक्टर वी रवि ने बताया, "लेप्टोस्पायिरो एक जीवाणु है जो चूहों में पाया जाता है. बाढ़ के दौरान जब चूहे भींग जाते हैं तब ये बैक्टीरिया इंसानों में पहुंच जाता है."

डॉ. रवि के मुताबिक़ बाढ़ के पानी के संपर्क में आने वाले लोगों को डॉक्सीसाइक्लिन की गोलियां लेनी चाहिए क्योंकि जीवाणुओं के जरिए फैलने वाला ये संक्रमण इंसान के शरीर पर असर दिखाने के लिए महज दो हफ़्ते का वक़्त लेता है.

रैट फ़ीवर के लक्षण

-बुख़ार

-बहुत ज़्यादा थकान

-मांसपेशियों में दर्द

-सिरदर्द

-जोड़ों में दर्द

कई बार रैट फ़ीवर से पीड़ित व्यक्ति के लिवर और किडनी पर भी इसका असर होता है.

डॉ. रवि के मुताबिक़ बाढ़ के पानी के संपर्क में आने वाले लोगों को कम से कम एक हफ़्ते तक डॉक्सीसाइक्लिन की गोलियां और पेंसिलिन का इंजेक्शन लेना चाहिए.

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न्यूरो सर्जन और केरल प्लानिंग बोर्ड के सदस्य डॉक्टर इक़बाल के अनुसार बाढ़ के बाद अक्सर हैजा, टायफ़ाइड, दस्त, हेपेटाइटिस और रैट फ़ीवर जैसी बीमारियां होने का डर रहता है.

उन्होंने कहा, "लोग अब राहत शिविरों से घरों में लौट रहे हैं और बहुत से घरों में बाढ़ का पानी अब भी साफ़ नहीं हुआ है. ऐसे में बीमारियां होनी स्वाभाविक है."

वहीं केरल की स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉक्टर सरिता ने कहा कि राज्य के सभी अस्पतालों में डॉक्सीसाइक्लिन की गोलियां और पेंसिलिन के इंजेक्शन उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों को भी रैट फ़ीवर से पीड़ित लोगों का तत्परता से इलाज करने के निर्देश दे दिए गए हैं.

केरल में बाढ़ की वजह से 350 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी और कम से कम 10 लाख लोगों को घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी थी.

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