कश्मीर गैंगरेप की ग्राउंड रिपोर्ट : 'कहां-कहां नहीं तलाशा अपनी बेटी को'

  • माजिद जहांगीर
  • बीबीसी हिंदी के लिए, उरी से लौट कर
इंशा का घर, उरी

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नौ साल की मासूम इंशा (बदला हुआ नाम) का भाई अपने घर के बाहर राख पर रखे दो खिलौनों के साथ अकेला खेल रहा था.

इन दो खिलौनों को वो कभी आगे खींच कर ले जाता तो कभी पीछे. उसके हाथों पर राख का रंग चढ़ गया था, लेकिन इस बात से अनजान वो चुपचाप राख पर अपनी खिलौना गाड़ियों को चलाने की कोशिश कर रहा था.

मैं उसकी तस्वीरें लेने लगा तो उसके बराबर में खेल रही एक बच्ची मेरे पास आ गई. वो मुझसे कहने लगा, "ये मेरी बहन नहीं है. मेरी बहन तो इंशा थी. ये तो किसी और की बहन है."

मैंने उससे पूछा, "क्या इंशा आप के साथ यहां खेलती थी?" इस सवाल पर वो बेताब हो गया और उसने कहा, "जी हां वो मेरे साथ खेलती थी. वो अब यहां नहीं है. मुझे उसकी बहुत याद आ रही है."

भारत प्रशासित कश्मीर के बारामुला ज़िले में बोनियार इलाके के लड़ी गांव में बीते सोमवार उस समय सनसनी फैल गई जब नौ साल की इंशा का मृतक शरीर उन्हीं के घर के क़रीब एक किलोमीटर दूर जंगल में मिला.

बोनियार श्रीनगर से क़रीब अस्सी किलोमीटर दूर है.

सोमवार को पुलिस ने दावा किया कि इंशा का सामूहिक बलात्कार किया गया है जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई. लेकिन बाद में पुलिस की जांच में सामने आई जानकारी ने मेरे रोंगटे खड़े कर दिए.

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पुलिस का कहना है कि बच्ची की सोतैली मां ने अपने 14 साल के बेटे और अन्य तीन लोगों के साथ मिल कर बच्ची का बलात्कार करवाया और उस समय वो ख़ुद भी वहीं मौजूद थी.

'कहां-कहां नहीं तलाशा अपनी बेटी को'

मंगलवार को बच्ची के घर पर लोग उसके पिता और मां तो तसल्ली देने की कोशिश कर रहे थे. पीड़िता के पिता अपने एक मंज़िला मकान में अपनी दूसरी पत्नी के साथ गहरे सदमे में बैठे नज़र आए. गांव में उनकी एक दुकान है.

जिस दिन इंशा घर से ग़ायब हुई उस दिन को याद करते हुए वो कहते हैं, "वो 23 अगस्त 2018 का दिन था. ईद का दूसरा दिन. मैंने दोपहर का खाना खाया और मैं बच्चों को नज़दीक के पार्क में घुमाने ले जाने की तैयारी कर रहा था. सब बच्चे एक जगह पर जमा हो गए थे, लेकिन बस इंशा का कहीं अता-पता नहीं था."

"मैंने इलाके की कई जगहों पर इंशा को तलाशा, लेकिन वो कहीं नहीं मिली. फिर मैं उसी पार्क में गया जहां मैं बच्चों को ले जाने वाला था. वहां भी वो नहीं मिली. मैं इसके बाद डर गया और अस्पताल के पास पहुंचा. वहां दो सिख मिले, मैंने उनको अपनी बेटी की तस्वीर दिखाई. मैं देर रात घर पहुंचा. फिर एक बार उसे खेतों में ढूंढा, जंगल में ढूंढा, लेकिन वो कहीं नहीं मिली."

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वो कहते हैं, "अगले दिन सुबह में बारामुला के अस्पताल पहुंचा और वहां टिकट जारी करने वाले से पूछा. तो उन्होंने रजिस्टर में खोजने के बाद कहा, हां! यहां नौ साल की एक बच्ची लाई गई है. उन्होंने मुझे सीसीटीवी फुटेज दिखाया और पहचानने के लिए कहा. मैंने सारा फ़ुटेज देखा, लेकिन वो उस में नहीं मिली. फिर मैं थाने पहुंचा और वहां इंशा के लापता होने का मामला दर्ज करवाया. उसके बाद थाने के पुलिस अधिकारी ने भी अपने सिपाही रवाना किए और उन्होंने जंगलों, खेतों में और दूसरी जगहों पर इंशा को ढूंढा. कहीं भी इंशा का कोई सुराग नहीं मिला. मैं क्या कर सकता था."

इंशा के पिता बताते हैं, "इसके बाद सेना के मेजर आए. वो अपने साथ कुत्ते लाए थे. उन्होंने भी इंशा को तलाशा. लेकिन उनके कुत्ते सड़क से ऊपर नहीं जाते थे. वह बस सड़क पर ढूँढ़ते थे."

"जब कुत्ते भी कुछ खोज नहीं पाए तो फिर मैं पीर बाबा के पास गया. पीर बाबा के पास जाने के बाद भी मैं अपनी बेटी को ढूंढ़ता रहा, लेकिन कुछ पता नहीं चला."

11वें दिन लाश मिली, तलाश ख़त्म हुई

वो कहते हैं, "इसी तरह तलाश करते करते 11वां दिन आ गया. मैं सुबह नाश्ता करके घर पर ही था. अब मैं सोच रहा था कि इंशा को और कहां तलाश करूं. इतने में मुज़फ्फ़र अहमद नाम का एक लड़का मेरे घर आया. उसने मुझसे कहा, अंकल आपकी बेटी की लाश जंगल में है."

"मेरा दिल बैठ गया. मैं दौड़ते-दौड़ते वहां गया और बेटी की लाश को देखा. इंशा की लाश को दरख़्त से लिपटा कर रखा गया था."

"उसके पेट में बिलकुल गोश्त नहीं था. पता नहीं उसके जिस्म पर तेज़ाब डाला गया था या कुछ और. आंखें भी नहीं थीं. चेहरे पर भी गोश्त नहीं था. वह गोश्त शायद कीड़ों ने खाया था.

"उसके बाद पुलिस आई और लाश को अपने साथ बारामुला ले गई. उसके बाद क़ानूनी कार्रवाई करने के बाद हम लाश को घर लाए और दफ़न किया."

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क्या शक़ नहीं हुआ?

इंशा के पिता कहते हैं कि उनकी जिस पत्नी को पुलिस गिरफ़्तार करके ले गई है वह भी इंशा को कई दिनों तक हमारे साथ ढूंढ़ती रही थी.

वो कहते हैं, "जिस दिन इंशा ग़ायब हुई थी, उस दिन इंशा की ये सौतेली मां अपनी बकरियों को चराने जंगल ले कर गई थी. उनके साथ और तीन महिलाएं भी थीं. जो बताती हैं कि पूरे दिन इंशा की सौतेली मां उनके साथ थीं. जिस बेटे को गिरफ़्तार किया गया है वह भी तो मेरे साथ इंशा को ढूंढता रहा था."

ये पूछने पर कि क्या आपको ऐसा शक़ नहीं हुआ कि आपकी पत्नी और बेटे ने ही इस काम को अंजाम दिया होगा, इंशा के पिता बोले, "मेरा दिमाग़ ये सोच ही नहीं पा रहा है कि मेरा बेटा ऐसा काम करेगा या मेरी पत्नी ऐसा काम करेगी."

"अगर मेरी पत्नी को ऐसा करना ही होता तो वह बहुत पहले कर देती. मैं तो ये सोच रहा हूं कि उसने ऐसा नहीं किया होगा. मैं नहीं कह सकता कि उन्होंने ये जुर्म किया या नहीं."

वो कहते हैं कि इंशा के क़ातिलों को सख्त सज़ा मिलनी चाहिए.

इंशा का परिवार

इंशा के पिता की दो पत्नियां हैं. पहली पत्नी स्थानीय नागरिक हैं और दूसरी झारखण्ड से हैं.

पहली पत्नी के साथ उनकी शादी साल 2003 में हुई थी. उनसे उनके तीन बच्चे हैं. उनकी दूसरी पत्नी से भी उनके तीन बच्चे हैं.

उनका का कहना है कि उनके घर में इंशा के ग़ायब होने से पहले शांति का माहौल था. उनकी दूसरी पत्नी कहती हैं, "जब मेरे पति मुझे श्रीनगर से यहां अपने घर लाए थे तो शुरू-शुरू में उनकी पहली पत्नी से लड़ाई-झगड़ा होता रहता था. पहले-पहले तो हम आपस में झगड़ते थे, फिर जब ससुर का निधन हुआ तो उसके बाद हम एक साथ रहने लगे. मैं रोज़ खाना बनाती थी और वो परोसती थी."

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इस मामले के बारे में उनका कहना है, "मुझे भरोसा किसी पर नहीं है. ऐसा भी हो सकता है कि उन्होंने ऐसा किया हो. अगर उन्होंने ऐसा किया है तो कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए. बस क़ातिल मिलना ही चाहिए. हमें इंसाफ़ चाहिए."

"मैं 11 दिनों तक सोई नहीं. सुबह होती थी तो बेटी को ढूंढ़ने निकलती थी. सोचती थी कि उसे सांप ने तो नहीं काटा होगा. ये भी ख़्याल आता था कि कहीं किसी जगह उसको नींद तो नहीं आ गई."

वो कहती हैं, "एक महिला ने जंगल में चप्पल देखा था. उसी महिला ने इंशा की चप्पल को पहचाना था. फिर एक लड़के को हमारे घर ये सन्देश देने के लिए भेजा था. हम वहां गए तो इंशा की लाश मिली. उसकी हालत बहुत बुरी थी. उसके दांत भी तोड़ दिए गए थे. पायजामा उतार के फेंका गया था जो वहीं लाश के पास पड़ा था."

पुलिस ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पीड़िता के साथ गैंगरेप करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई है. पुलिस ने अब तक इस मामले में बच्ची की सौतेली मां समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है.

पुलिस की जांच

जम्मू कश्मीर के डीजीपी शेष पाल वैद्य ने इस मामले को हाल में हुए कठुआ मामले से भी ख़ौफ़नाक बताया है.

ज़िला बारामुला के एसएसपी इम्तियाज़ हुसैन ने बताया, "24 अगस्त 2018 को बोनियार पुलिस स्टेशन में मुश्ताक़ अहमद नाम के एक व्यक्ति ने 23 तारीख से बच्ची के ग़ायब होने की ख़बर दर्ज करवाई थी. हमने बहुत तलाश किया लेकिन कोई सुराग नहीं मिला."

"फिर दो तारीख़ को ये ख़बर मिली कि जंगल में एक लड़की की लाश मिली है. लाश बहुत बुरे हाल में थी. बच्ची के कुछ अंगों पर तेज़ाब फेंका गया था. जाँच के दौरान पता चला कि इस बच्ची की दो मांएं हैं और इसके पिता ने दो शादियां की हैं. जाँच में बच्ची के सामूहक बलात्कार की बात सामने आई. घटनास्थल का जब जायज़ा लिया गया तो पता चला कि बच्ची की सौतेली माँ, उनका बेटा और अन्य तीन अभियुक्त इस अपराध में शामिल हैं."

एसएसपी ने बताया, "बच्ची का पहले रेप हुआ और उसके बाद कुल्हाड़ी से उसकी हत्या की गई. बाद में बच्ची का गला भी घोंट दिया गया. चाकू से उसकी आंखें भी निकली गई. इसके बाद बची के प्राइवेट अंगों पर तेज़ाब फेंका गया. फ़ोरेंसिक जाँच में तेज़ाब का इस्तेमाल होने की बात सामने आई है. बच्ची के सौतेले भाई के भी बच्ची का रेप करने की बात सामने आई है."

पुलिस के अनुसार बच्ची की सौतेली मां इस बात से खुश नहीं थीं कि उनके पति अपनी दूसरी पत्नी की बेटी का अधिक ख़्याल रखते हैं.

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