प्रेस रिव्यू: जब एक हिन्दू ने मुज़फ़्फ़रनगर दंगे में बचाई 120 साल पुरानी मस्जिद

मुज़फ़्फ़रनगर दंगे

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में सांप्रदायिक सौहार्द से जुड़ी एक ख़बर छपी है. ख़बर के मुताबिक साल 2013 में हुए मुजफ़्फरनगर दंगों में रामवीर कश्यप नाम एक शख़्स ने 120 साल पुरानी मस्जिद तोड़ने से बचाई थी.

ये मुज़फ़्फ़रनगर के ननहेड़ा गांव में एकमात्र मस्जिद बची है. 59 साल के रामवीर ने हमले के दौरान इस मस्जिद को बचाने के लिए लोगों को इकट्ठा कर लिया था.

अब रामवीर इस मस्जिद की देखरेख करते हैं. इसमें सफ़ाई करने, शाम को मोमबत्ती जलाने और ज़रूरत पड़ने पर सफ़ेदी करने की ज़िम्मेदारी भी वही संभालते हैं.

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अदालतों के भरोसे

कुछ मामलों को सरकारें अदालत के विवेक पर छोड़ देती हैं और उसमें कोई पक्ष नहीं लेतीं. समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के मामले में भी सरकार ने ऐसा ही किया था.

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक ​सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के एक कार्यकर्म में यही सवाल उठाया है.

उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ फ़ैसलों को सरकारें आखिर कोर्ट के विवेक पर क्यों छोड़ देती हैं? नेता आखिर जजों के हाथ में शक्ति क्यों सौंप देते हैं?

उन्होंने कहा कि 'इनमें कई बार बेहद संवेदनशील मसले भी होते हैं. हम देख रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में आए दिन ऐसा होता है.'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने जजों के लिए सलाह भी दी कि उन्हें याद रखना चाहिए कि 'चापलूसी एक दिन धोखे का कारण भी बन सकती है.'

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दो में से एक सीट छोड़ने पर चुनाव खर्च दे उम्मीदवार

कई बार नेता दो सीटों से चुनाव लड़ते हैं और जीतने पर एक सीट छोड़ देते हैं. फिर उस सीट के लिए दोबारा चुनाव होता है. पर अब नेताओं को ऐसा करने पर छोड़ी गई सीट पर किया गया चुनाव खर्च वापस लौटना पड़ सकता है.

दैनिक जागरण में दी गई ख़बर के अनुसार चुनाव आयोग ने इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार किया है.

प्रस्ताव में ये सुझाव भी दिया गया है कि अगर छोड़ी गई सीट पर खर्च वसूलने का प्रावधान नहीं हो सकता तो उसमें दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाए.

वर्तमान में कोई प्रत्याशी दो लोकसभा या विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकता है.

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साइकिल और मुश्किलें

हिंदुस्तान टाइम्स ने साइकिल चलाने वालों की मुश्किलों और चुनौतियों को लेकर एक रिपोर्ट दी है. इसमें बताया गया है कि साइकिल चलाने वाले सड़क पर किन-किन मुश्किलों का सामना करते हैं.

जैसे उनके लिए सड़क पर अगल ट्रैक नहीं बने होते. उन्हें बड़ी गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण के बीच साइकिल चलानी पड़ती है क्योंकि साइलिक धीरे चलती है और मुंह भी ढका नहीं होता, इसलिए उन्हें प्रदूषण में सबसे ज़्यादा रहना पड़ता है.

साथ ही उन्हें साइकिल खड़ी करने के लिए भी सुरक्षित जगह उपलब्ध नहीं होती. भारत में बाइक की तरह हेल्मेट और सुरक्षा के अन्य साधनों के इस्तेमाल को लेकर भी गंभीर सोच नहीं है, इसलिए उनकी जान को ख़तरा भी बना रहता है.

इसमें बताया गया है कि कामकाजी जनसंख्या के 11 प्रतिशत लोग साइकिल चलाते हैं और हर हफ्ते दो साइकिल सवारों की सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती है.

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'चीन के साथ भारत की सब्सिडी रोकेंगे'

अमर उजाला में दी गई ख़बर के मुताबिक अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि कुछ ऐसे देश हैं जिन्हें विकासशील अर्थव्यवस्था माना जाता है और इस कारण उन्हें हम सब्सिडी देते हैं. यह पूरी तरह से मूर्खतापूर्ण है. हम इसे रोकने जा रहा रहे हैं.

ट्रंप ने कहा कि भारत-चीन या इस तरह के अन्य देश क्या विकासशील हैं, जो खुद को इस श्रेणी में रखकर हमसे रियायतें लेते हैं.

उन्होंने कहा कि अमरीका भी विकासशील राष्ट्र है. वह भी अमरीका को इस श्रेणी में रखना चाहते हैं क्योंकि वो भी विकास कर रहा है बल्कि अन्य किसी की तुलना में तेज़ी से विकास कर रहा है.

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