BBC EXCLUSIVE रफ़ाल डील की आलोचना नहीं, तारीफ़ होनी चाहिए: निर्मला सीतारमण
- ज़ुबैर अहमद
- बीबीसी संवाददाता, दिल्ली

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रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीबीसी को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में विवादास्पद रफ़ाल लड़ाकू विमानों के समझौते का बचाव करते हुए कहा कि समझौता भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच हुआ जिसमें अतीत के समझौतों की तरह, कोई बिचौलिया शामिल नहीं था.
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार की आलोचना करने की जगह इस उपलब्धि के लिए सरकार की प्रशंसा की जानी चाहिए.
दो साल पहले भारत और फ्रांस के बीच 36 रफ़ाल लड़ाकू विमानों का सौदा हुआ था.
फ्रांसीसी कंपनी डसॉ के बनाए रफ़ाल लड़ाकू विमानों के इस सौदे के बारे में बहुत सी जानकारियां सार्वजनिक नहीं हुई हैं.
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस मुद्दे पर आक्रामक तेवर अपनाए हुए हैं और इसके अध्यक्ष राहुल गांधी कई बार रफ़ाल सौदे पर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर चुके हैं. राहुल गांधी का आरोप है कि इस सौदे में करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है.
पक्षपात वाली पॉलिसी?
राहुल गांधी और सौदे के दूसरे आलोचकों के अनुसार सौदे में दो ख़ास खोट है: पहला ये कि लड़ाकू विमानों की क़ीमत यूपीए सरकार के काल में तय पाए दाम से बहुत अधिक है.
'रफ़ाल सौद पर उचित प्रक्रिया का पालन'
दूसरा ये कि भारत के उद्योगपति अनिल अंबानी की नई-नवेली रक्षा कंपनी के साथ डसॉ के क़रार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पक्षपात की नीति की तरह से देखा जा रहा है.
सरकार खुलकर सामने नहीं आ रही है और विपक्ष इससे रोज़ सवाल कर रहा है.
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इन्हीं मुद्दों को उठाते हुए कई आलोचक सुप्रीम कोर्ट गए हैं जहाँ सरकार से कुछ मुश्किल सवाल किये गए हैं.
गुरुवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीबीसी संवाददाता ज़ुबैर अहमद के कई सवालों का जवाब दिया.
लोग रिलायंस का नाम लेकर कह रहे हैं, ये पक्षपात है.
निर्मला सीतारमण: आधिकारिक तौर पर कुछ कहने के लिए मेरे पास आधिकारिक दस्तावेज़ होना चाहिए. अगर मीडिया या विपक्ष कहती है कि मैं दबाव में हूँ तो केवल मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर मैं कुछ बोल नहीं सकती, मेरे हाथ में सरकारी दस्तावेज़ होने चाहिए.
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फ़्रांस के रक्षा मंत्री के साथ तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर
आपने हमेशा कहा है कि डसॉ ने अपने भारतीय पार्टनर का नाम आपको नहीं दिया है लेकिन उन्होंने अपने इंडियन पार्टनर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की है.
निर्मला सीतारमण: मैं मीडिया रिपोर्ट्स का जवाब नहीं देती.
ये केवल मीडिया रिपोर्ट नहीं है. डसॉ ने 2016 में एक इवेंट करये बताया था.
निर्मला सीतारमण: क्या ये रफ़ाल सौदे में ऑफ़सेट दायित्व को पूरा करेगा? नियम मुझे अटकलें लगाने की इजाज़त नहीं देते.
ऐसा महसूस होता है कि आप तकनीकी बारीकियों का सहारा ले रही हैं.
निर्मला सीतारमण: तकनीकी बारीकियों का सहारा ले रही हूँ? मैं आपको नियम के बारे में बता रही हूँ. अगर डसॉ कंपनी सरकारी तौर पर इंडियन पार्टनर का नाम बताती है तो उसके बाद मैं कुछ जवाब दे सकती हूँ.
राहुल गांधी लोगों के पास जा रहे हैं और ये धारणा बना रहे हैं कि आपके जवाब अधूरे हैं, ठोस नहीं हैं.
निर्मला सीतारमण: आपने हमारे जवाब पढ़े हैं? और ये आप सोचते हैं कि मेरे जवाब ठोस नहीं हैं? अगर ठोस नहीं हैं तो हमें बताएं कि कौन सा जवाब ठोस नहीं है? राहुल गांधी ने पांच अलग-अलग जगहों पर लड़ाकू विमान के पांच अलग दाम बताए हैं. आप किसको सही मानते हैं?
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मैं वो बता रहा हूँ जो आपने संसद को बताया है, बेसिक मॉडल का दाम 670 करोड़ रुपये.
निर्मला सीतारमण: हमने संसद को दिसंबर 2016 में जो आधार मूल्य बताया था उसकी तुलना उससे करनी चाहिए जो उनके दावे के हिसाब से उन्होंने तय किया था.
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नरेंद्र मोदी और फ्रांस्वा ओलांद
समझौते की पूरी राशि 59,000 करोड़ रुपये या 6.87 अरब डॉलर थी. क्या ये सही है?
निर्मला सीतारमण: मैं आपको दाम बताने वाली नहीं हूँ. हमें जो दाम बताना था वो संसद को बता दिया है.
लेकिन वो तो आधार क़ीमत थी?
निर्मला सीतारमण: बिलकुल. संसद में हमसे यही पूछा गया था और हमने संसद को ये जानकारी दे दी है.
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