तेज प्रताप यादव ने फिर दिए पार्टी में फूट के संकेत: लोकसभा चुनाव 2019

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लालू के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने एक बार फिर पार्टी और परिवार में फूट के संकेत दिए हैं. उन्होंने छात्र राष्ट्रीय जनता दल के संरक्षक के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.
तेज प्रताप ने गुरुवार को तंज कसते हुए ट्वीट किया, "नादान हैं वो लोग जो मुझे नादान समझते हैं."
ये कदम उन्होंने ऐसे वक्त में उठाया है जब लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में चर्चा हो रही है कि इसका नुकसान लालू परिवार के साथ-साथ राष्ट्रीय जनता दल को भी होगा.
वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर कहते हैं, "मुझे नहीं लगता है कि इस कदम का पार्टी पर कोई असर पड़ेगा. जो स्टूडेंट विंग है को आरजेडी से संचालित हो रहा है. तेज प्रताप के कुछ समर्थक ज़रूर हैं लेकिन उनके इसमें रहने या न रहने से कोई अधिक फर्क नहीं पड़ता है."
"पहले भी कई मौक़ों पर तेज प्रताप अपना विरोध जता चुके हैं. वो थोड़ी-थोड़ी मुश्किलें बढ़ा सकते हैं लेकिन बहुत बड़ा आघात नहीं लगा सकते हैं."
वो कहते हैं, "विपक्ष ज़ाहिर है इसका फ़ायदा भी लेने की कोशिश करेगा लेकिन इससे अधिक लाभ ले सकेगा ऐसा लगता नहीं."
लालू परिवार के दोनों बेटे और बेटी - तेज प्रताप, तेजस्वी और मीसा भारती, सक्रिय राजनीति में हैं.
मणिकांत ठाकुर कहते हैं, "परिवार के छोटे बेटे की सूझबूझ को बेहतर मानते हुए उन्हें लालू जी ने आगे बढ़ाया है. तेज प्रताप को उतना नहीं मिला. ज़ाहिर है कि अपनी-अपनी क्षमता होती है."
"बिहार की राजनीति को देखने वाले जानते हैं कि तेज प्रताप चाहते थे कि दो सीटें उनके कहने पर दी जाएं. लेकिन उनका ऐसी मांग करना राजनीतिक रूप से बचकाना ही कहा जा सकता है."
25 मार्च 2019
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बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा है कि असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा पूर्वोत्तर में बीजेपी के लिए बहुत ख़ास हैं और इस इलाक़े के लिए पार्टी प्रमुख अमित शाह से भी ऊपर हैं.
राम माधव से पूछा गया था कि शर्मा इस इलाक़े की 25 सीटों को देख रहे हैं तब भी चुनाव नहीं लड़ रहे जबकि अमित शाह पूरे देश में बीजेपी को देख रहे हैं लेकिन वो गुजरात के गांधीनगर से चुनाव लड़ रहे हैं.
गुवाहाटी में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में राम माधव ने कहा, ''इसका मतलब ये हुआ कि हिमंता बिस्वा शर्मा पर अमित शाह की तुलना में ज़्यादा बड़ी ज़िम्मेदारी है. वो पांच से छह सरकारों को देख रहे हैं. वो पूर्वोत्तर भारत में बीजेपी के चुनावी अभियान को संचालित कर रहे हैं.''
राम माधव ने कहा कि चुनाव के वक़्त में ज़्यादा ऊर्जा और समय की ज़रूरत है ऐसे में किसी एक सीट पर ध्यान फ़ोकस नहीं किया जा सकता. ऐसी अटकलें थी कि हिमंता बिस्वा शर्मा भी पूर्वोत्तर भारत से चुनावी मैदान में होंगे.
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असम की बीजेपी यूनिट ने हिमंता बिस्वा शर्मा के नाम पर प्रस्ताव भी भेजा था लेकिन अमित शाह ने जवाब में कहा था कि शर्मा पार्टी को मज़बूत बनाने और राज्य की प्रगति के लिए काम करेंगे. इसके बाद शर्मा ने कहा था कि उन्हें पार्टी का फ़ैसला मंजूर है.
हालांकि शर्मा कई बार कई मौक़ों पर कह चुके हैं कि वो 2021 के असम विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. कहा जा रहा है कि शर्मा अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका देख रहे हैं. आख़िर हिमंता बिस्वा शर्मा बीजेपी के लिए इतने अहम क्यों है कि शाह से भी राम माधव ऊपर बता रहे हैं?
हिमंता बिस्वा शर्मा इससे पहले कांग्रेस में थे और तरुण गोगई सरकार में दूसरे नंबर की हैसियत रखते थे. तरुण गोगोई से विवाद के बाद वो बीजेपी में शामिल हो गए और पूर्वोत्तर भारत में बीजेपी के विस्तार में उन्होंने अहम भूमिका अदा की. हिन्दी प्रदेशों की पार्टी मानी जाने वाली बीजेपी का पूर्वोत्तर में आना मायने रखता है और बीजेपी इसीलिए हिमंता के महत्व को समझती है.
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