भारत के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई पर उनकी पूर्व जूनियर असिस्टेंट ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. कुछ वेबसाइट्स में प्रकाशित इस ख़बर के बाद सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को तीन जजों की बेंच बैठी.

सुप्रीम कोर्ट से रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुचित्र मोहंती के मुताबिक चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना की तीन जजों की बेंच ने अवकाश के दिन मामले पर गौर किया.

यौन उत्पीड़न के आरोप पर चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई का कहना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता बहुत गंभीर ख़तरे में हैं और यह न्यायपालिका को अस्थिर करने की एक 'बड़ी साजिश' है.

चीफ़ जस्टिस का कहना है कि यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला के पीछे कुछ बड़ी ताक़तें हैं. वो कहते हैं कि अगर न्यायाधीशों को इस तरह की स्थिति में काम करना पड़ेगा तो अच्छे लोग कभी इस ऑफ़िस में नहीं आएंगे.

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आरोप लगाने वाली महिला ने एक चिट्ठी सुप्रीम कोर्ट के सभी 22 जजों को भेजी है जिसमें जस्टिस गोगोई पर यौन उत्पीड़न करने, इसके लिए राज़ी न होने पर नौकरी से हटाने और बाद में उन्हें और उनके परिवार को तरह-तरह से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं.

चीफ़ जस्टिस ने चार वेबसाइटों का नाम लिया- स्क्रॉल, लीफ़लेट, वायर और कारवां- जिन्होंने आपराधिक इतिहास वाली इस महिला के असत्यापित आरोपों को प्रकाशित किया और कहा कि इनके तार आपस में जुड़े हैं.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ लगाए गए असत्यापित आरोप पर रिपोर्टिंग में संयम और समझदारी बरतने को कहा है.

शीर्ष अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शनिवार को इसका उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक 'गंभीर और बेहद ज़रूरी सार्वजनिक महत्व का मामला' है, इसलिए इसे सुना जाना चाहिए.

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चीफ़ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने इस आरोप पर कोई आदेश पारित नहीं किया और मीडिया से न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संयम बरतने के लिए कहा. चीफ़ जस्टिस ने कहा कि ये आरोप बेबुनियाद हैं.

चीफ़ जस्टिस ने कहा कि जिस महिला ने कथित तौर पर उन पर आरोप लगाए हैं वो आपराधिक रिकॉर्ड की वजह से चार दिनों के लिए जेल में थीं और कई बार उन्हें अच्छा बर्ताव करने को लेकर पुलिस से हिदायत भी दी गई थी.

वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने सोशल मीडिया पर लिखा, "एक महिला ने गंभीर आरोप लगाए हैं. जैसा कि मैंने प्रेस में छपी ख़बरों में पढ़ा हैं उन्होंने अपनी शिकायत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा दी है. स्वाभाविक रूप से, इन आरोपों को सत्यापित किया जाना बाकी है."

उन्होंने लिखा, "शिष्टता की मांग थी कि भविष्य में कार्रवाई के निर्धारण के लिए पहले अवर न्यायाधीशों की एक बेंच गठित की जाती. अप्रत्याशित सुनवाई में साजिश की बात करके आपने वास्तव में इस शिकायत को बंद कर उस संस्था की स्वतंत्रता से समझौता किया है जिसके प्रमुख स्वयं आप हैं."

जस्टिस गोगोई पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा के ख़िलाफ़ प्रेस कांफ्रेंस करने वाले चार न्यायाधीशों में शामिल थे. उस वक्त भी जस्टिस गोगोई सहित चारों न्यायाधीश ने आरोप लगाया था कि न्यायपालिका पर बहुत दबाव है.

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