प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात की चुनावी रैली में ये क्या कह दिया - फ़ैक्ट चेक
- फ़ैक्ट चेक टीम
- बीबीसी न्यूज़

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सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक वीडियो वायरल हो गया है जिसमें कथित रूप से मोदी एक रैली में गाली का प्रयोग कर रहे हैं.
ट्विटर पर खुद को कांग्रेस समर्थक बताने वाले गौरव पांढी ने रविवार को ट्वीट किया, "ये कौन सी भाषा है मिस्टर मोदी? क्या देश के प्रधानमंत्री को गाली देना शोभा देता है और वो भी सार्वजनिक रूप से? ये विश्वास से परे है! किसी और चीज़ की नहीं तो कम से कम अपनी कुर्सी की कुछ इज़्ज़त रख लेते."
उनके द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो को 3,15,000 बार देखा गया.
पिछले 24 घंटे में उनके इस वीडियो को हज़ारों बार शेयर किया गया है.
लेकिन इस वायरल वीडियो में किए गए दावे को हमने झूठा पाया है.
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वीडियो की असलियत
हमने पाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोई भी आक्रामक शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था.
शनिवार को मोदी ने गुजरात के पाटन में एक चुनावी रैली को संबोधित किया था. ये 15 सेकेंड की वीडियो क्लिप उसी लंबे भाषण से निकाली गई है.
वायरल वीडियो में समाचार वेबसाइट 'क्विंट' का लोगो भी लगा है.
वेबसाइट ने स्पष्ट किया है कि उसने ऐसी कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की है और मोदी के जिस भाषण को वेबसाइट ने प्रकाशित किया था, क्लिप उसी से निकाली गई है.
मोदी द्वारा जल्दबाज़ी में बोले गए एक गुजराती शब्द पर संदेह पैदा करने के लिए वायरल वीडियो में इस हिस्से को बार बार दिखाया गया.
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अपने भाषण में मोदी ने गुजराती में कहा था, "जब हम जानते हैं कि भविष्य में पानी को लेकर झगड़ा होगा तो हम एहतियात क्यों नहीं बरतते. (लोको एम काहे छे भविष्या मा लड़ाई पानी नी थावानी छे, अल्या, बढा काहो छो पानी लड़ाई झावानी छे तो पाछी पानी पेला पाल केम ना बांढिया)"
इस वीडियो में गुजराती में कहे गए 'लड़ाई थावानी छे' को बार बार दिखाकर ये दावा किया गया है कि उन्होंने अपशब्द बोला.
'लड़ाई थावानी छे' गुजराती का मुहावरा है जिसका मतलब है 'लड़ाई शुरू होने वाली है'.
47 मिनट लंबे इस वीडियो को बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी साझा किया गया है.
मोदी, अपनी रैली में गुजरात में पानी की समस्या पर बोल रहे थे.
उन्होंने आयुष्यमान भारत योजना, कुंभ मेले में स्वच्छता और उनकी सरकार की ओर से विकलांगों के हित में लिए गए फैसलों के बारे में बातें कीं.
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