अभिजीत बनर्जी: नोबेल पुरस्कार विजेता को जानते हैं आप?

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अभिजीत बनर्जी ने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से पढ़ाई की
भारतीय-अमरीकी अर्थशास्त्री अभिजीत विनायक बनर्जी को इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है. यह पुरस्कार उन्हें उनकी पत्नी इश्तर डूफलो और माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से दिया गया है.
अभिजीत और 46 वर्षीय डूफ़लो एकसाथ ही एमआईटी में अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं जबकि क्रेमर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर हैं. डूफ़लो फ़्रांस की रहने वाली हैं और उनकी शुरुआती पढ़ाई पेरिस में हुई है.
नोबेल पुरस्कार देने वाली रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ ने अपने बयान में कहा है, "2019 के अर्थशास्त्र पुरस्कार के इन विजेताओं ने ऐसे शोध किए जो वैश्विक ग़रीबी से लड़ने की हमारी क्षमता में काफ़ी सुधार करता है."
इस बयान में आगे कहा गया है कि सिर्फ़ दो दशकों में इनके नए शोध ने अर्थशास्त्र के विकास को बदल दिया है जो अब रिसर्च का एक उत्कृष्ट क्षेत्र है.
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कौन हैं अभिजीत बनर्जी
अमरीकी नागरिक 58 वर्षीय अभिजीत बनर्जी ने साल 1981 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंसी कॉलेज से विज्ञान में स्नातक किया.
इसके बाद उन्होंने 1983 में दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया. बनर्जी ने 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की. उनके पीएचडी का विषय 'सूचना अर्थशास्त्र में निंबध' था.
उनके पिता दीपक बनर्जी प्रेसिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर थे जबकि उनकी मां निर्मला बनर्जी सेंटर फ़ॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज़, कलकत्ता में अर्थशास्त्र की प्रोफ़ेसर थीं.
पीएचडी करने के बाद बनर्जी कई जगह फ़ेलो रहे और उन्हें अनगिनत सम्मान मिले. साथ ही साथ वह अध्यापन और रिसर्च का अपना काम करते रहे.
उन्होंने 1988 में प्रिंस्टन विश्वविद्यालय में पढ़ाना शुरू किया. 1992 में उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया. इसके बाद 1993 में उन्होंने एमआईटी में पढ़ाना और शोध कार्य शुरू किया जहां पर वह अभी तक अध्यापन और रिसर्च का काम कर रहे हैं.
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अभिजीत बनर्जी और डूफ़लो
पॉवर्टी एक्शन लैब की स्थापना की
इसी दौरान 2003 में उन्होंने एमआईटी में अब्दुल लतीफ़ जमील पोवर्टी एक्शन लैब की शुरुआत की और वह इसके डायरेक्टर बने. यह लैब उन्होंने इश्तर डूफ़लो और सेंथिल मुल्लईनाथन के साथ शुरू की. यह लैब एक वैश्विक शोध केंद्र है जो ग़रीबी कम करने की नीतियों पर काम करती है.
यह लैब एक नेटवर्क का काम भी करती है जिससे दुनिया के विश्वविद्यालयों के 181 प्रोफ़ेसर जुड़े हुए हैं.
2003 में ही बनर्जी को अर्थशास्त्र का फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफ़ेसर बनाया गया.
अभिजीत बनर्जी की अर्थशास्त्र के कई क्षेत्रों में रुचि है जिसमें से चार अहम हैं. पहला आर्थिक विकास, दूसरा सूचना सिद्धांत, तीसरा आय वितरण का सिद्धांत और चौथा मैक्रो इकोनॉमिक्स है.
बनर्जी अब तक पाँच किताबें लिख चुके हैं और छठी किताब आने वाली है जिसका नाम 'व्हाट द इकोनॉमिक्स नीड नाउ' है. इसके अलावा उनकी एक किताब गोल्डमैन सैक्स बिज़नेस बुक ऑफ़ द ईयर का ख़िताब जीत चुकी है.
किताब और लेख लिखने के अलावा अभिजीत बनर्जी ने दो डॉक्युमेंट्री फ़िल्मों का निर्देशन भी किया है.
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