कोरोना वायरस: मुंबई की धारावी झुग्गी बस्ती में इस महामारी का पहुंचना ख़तरनाक क्यों है?
- अनंत प्रकाश
- बीबीसी संवाददाता

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भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1764 हो चुकी है. इसके साथ ही मरने वालों की संख्या 50 हो चुकी है.
लेकिन इन मरने वालों में एक 56 वर्षीय व्यक्ति भी शामिल थे जो कि एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में रहते थे.
इसके बाद धारावी में ही एक बीएमसी कर्मी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है.
मुंबई प्रशासन ने इसके बाद सैकड़ों फ़्लैट्स और दुकानों को सील कर दिया है. कई लोगों को क्वारंटीन फेसिलिटीज़ में भेजा है.
लेकिन इस सबके बीच में इसी इलाके में बचाव कार्यों में लगे डॉक्टरों की टीम पर हमला होने की ख़बर आई है.
ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर धारावी सघन आबादी इलाके में कोरोना वायरस के पहुंचने के क्या मायने हैं.
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झुग्गी बस्तियों में फैलता संक्रमण
मुंबई की झुग्गी बस्तियों में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के मिलने के ये पहले मामले नहीं हैं.
इससे पहले मुंबई की ही एक अन्य झुग्गी बस्ती में भी एक महिला के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि की थी.
इसके बाद मुंबई के वर्ली कोलिवाड़ी इलाके को भी सील किया जा चुका है.
आदित्य ठाकरे ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर इसकी जानकारी दी है.
उन्होंने लिखा है, मेरे विधानसभा क्षेत्र वर्ली कोलिवाड़ा में पिछले 72 घंटों में कोविड 19 के मामले सामने आए हैं. इसके बाद इस इलाके को सील कर दिया गया है."
राज्य सरकार ने इस इलाके में आवागमन प्रतिबंधित कर दिया है.
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धारावी में संक्रमण से स्वास्थ्य मंत्री चिंतित
मुंबई के धारावी में कोरोना वायरस जनित बीमारी से मरने वाले शख़्स कपड़ों की दुकान चलाते थे.
बीती 23 मार्च को ही खांसी आदि की शिकायत होने के बाद उन्हें मुंबई के सायन अस्पताल में शिफ़्ट किया गया था.
लेकिन जिस दिन इस शख़्स के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की रिपोर्ट आई, उसी दिन उनकी मौत हो गई.
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने इस मौत को लेकर चिंता जताई है.
मीडिया से बात करते हुए टोपे कहते हैं, "अब तक ये बीमारी एक ख़ास वर्ग तक सीमित थी. और इसे आम जनता में नहीं फैलना चाहिए. हमारा उद्देश्य भी यही है. हमने अब तक जो कदम उठाए हैं, वो इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए तय किए थे. लेकिन जब धारावी जैसी सघन आबादी वाली जगह से मरीज़ सामने आते हैं तो ये हमारे लिए चिंता का विषय है."
राजेश टोपे ने ये भी बताया है कि सरकार कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग से लेकर प्रोटोकॉल से जुड़े सभी कदमों को तय प्रोटोकॉल के तहत कदम उठाएगी.
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झुग्गी बस्तियों में कोरोना वायरस क्यों ख़तरनाक?
कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की प्रक्रिया में मुंबई प्रशासन उन सभी लोगों तक पहुंचने की कोशिश करेगा जो कि इन दो लोगों के संपर्क में आए हों.
चूंकि इस क्षेत्र की आबादी काफ़ी सघन है और एक व्यक्ति एक दिन में कई हज़ार लोगों के संपर्क में आ सकता है.
ऐसे में सरकार को एक बड़ी मात्रा में लोगों को आइसोलेट करना होगा या क्वारेंटीन करना होगा.
इसके साथ ही सरकार को भारी मात्रा में लोगों की जांच करनी होगी. लेकिन अब तक भारत सरकार देश भर में मात्र 38000 से ज़्यादा सैंपलों की टेस्टिंग कर पाई है.
धारावी वो जगह है जहां सिर्फ दो वर्ग किलोमीटर जगह में दस लाख से भी ज़्यादा लोग रहते हैं.
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एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती
भारत में इतनी आबादी बनारस, चंडीगढ़, इलाहाबाद, ग्वालियर और गाज़ियाबाद जैसे शहरों में रहती है.
जबकि इन शहरों का क्षेत्रफल क्रमश: 112 वर्ग किलोमीटर, 114 वर्ग किलोमीटर, 82 वर्ग किलोमीटर, 289 वर्ग किलोमीटर और 133 वर्ग किलोमीटर है.
आबादी की इसी सघनता की वजह धारावी को भारत ही नहीं एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती कहा जाता है.
यहां छोटी से क्षेत्रफल में बने फ़्लैट्स में कई हज़ार लोग रहते हैं.
वे संकरी गलियों में समय गुज़ारते हैं. एक ही जगह नहाते हैं. और लॉकडाउन के दौरान समय गुजार रहे हैं.
सामाजिक ताने बाने की बात करें तो इन इलाकों में लोगों का दिन में कई कई बार एक दूसरे के घरों में जाना आम बात है.
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जंगल की आग की तरह...
इबोला जैसी संक्रामक बीमारी की रोकथाम करने वालीं विशेषज्ञ डॉक्टर कृतिका कपाल्ली भी धारावी को लेकर चिंतित नज़र आती हैं.
स्टेनफॉर्ड यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग विभाग की असिसटेंट प्रोफेसर डॉक्टर कृतिका कपाल्ली ने ट्वीट करके लिखा है, "मैं इसे लेकर पिछले कई महीनों से चिंतित थी. भारत की बड़ी आबादी और धारावी जैसे स्लम में रहने वालों की बड़ी संख्या की वजह से ये चिंता जायज़ है कि कोविड 19 जंगल की आग की तरह फैल सकता है और अकल्पनीय ढंग से मौत और तबाही ला सकता है."
डॉ. कृतिका बीबीसी को बताती हैं, "ये बहुत ही चिंता का विषय है क्योंकि संक्रामक रोग घनी आबादियों में ही ज़्यादा फैलते हैं, दुनिया भर में झुग्गी बस्तियों और शरणार्थी शिविरों को लेकर चिंता का माहौल है."
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सघन आबादी
इटली और अमरीका पर कोरोना वायरस की मार सबसे ज़्यादा पड़ रही है.
और इन दोनों ही देशों में सबसे ज़्यादा संक्रमित लोग सघन आबादी वाले न्यूयॉर्क और लोम्बार्डी में ही पाए गए हैं.
लोम्बार्डी में 6500 से ज़्यादा और न्यूयॉर्क शहर में अब तक 1350 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
स्टेनफ़ॉर्ड यूनिवर्सिटी में महामारियों का अध्ययन करने वाले डॉक्टर स्टीवन गुडमैन मानते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में सघन आबादी ही एक दुश्मन का रूप ले लेती है.
अमरीकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे लेख में डॉक्टर गुडमेन कहते हैं, "इस तरह की स्थितियों में सघन आबादी ख़तरनाक साबित होती है. ज़्यादा आबादी वाले इलाक़े जहां बहुत सारे लोग एक ही समय में एक-दूसरे से मिल जुल रहे होते हैं. वहां, ये वायरस सबसे तेज़ी से फैलता है."
ये बात धारावी पर भी लागू होती दिखती है.
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समझ की कमी एक बड़ी समस्या
दुनिया भर में कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे स्वास्थ्य कर्मियों को आम लोगों के गुस्से का भी शिकार होना पड़ रहा है.
भारत में भी अब तक इंदौर और धारावी में दो मामले ऐसे आ चुके हैं जिनमें आम लोगों ने मेडिकल स्क्रीनिंग करने के लिए आए डॉक्टरों पर हमला कर दिया.
विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके लिए फेक न्यूज़ और बीमारी को लेकर लोगों में समझ की कमी ज़िम्मेदार है.
लेकिन सवाल उठता है कि डॉक्टरों पर हमला सघन आबादी वाले इलाकों में कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जैसी अहम प्रक्रियाओं पर क्या असर डालेगा.
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन से जुड़े इपिडेमेलॉजिस्ट गिरिधर बाबू मानते हैं कि ये बात सही है कि इस मामले ने नई तरह की चुनौतियों को जन्म दिया है.
हालांकि, वे बीएमसी पर भरोसा जताते हुए कहते हैं, "बीएमसी इस मामले को संभाल रही है और अभी चिंता की बात नहीं है. लेकिन इस बात में दो राय नहीं हैं कि इससे कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग जैसी प्रक्रियाएं चुनौती पूर्ण साबित होंगी."
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