कोरोना: वायरस की जाँच के लिए लगाए गए फ़ोन बूथ जैसा कियोस्क
- इमरान क़ुरैशी
- बंगलुरु से, बीबीसी हिंदी के लिए

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भारत के परंपरागत एसटीडी फ़ोन बूथ और दक्षिण कोरियाई मॉडल से प्रेरणा लेकर केरल के कोच्चि शहर के डॉक्टरों ने कोविड-19 की जाँच के लिए सैंपल एकत्रित करने के लिए ख़ास कियोस्क तैयार किए हैं, जहां जाकर कोई भी अपने सैंपल जमा करा सकता है.
भारत में केरल में पहली बार इस तरह के कियोस्क लगाए जा रहे हैं जिन्हें 'वॉक इन सैंपल कियोस्क्स (विस्क)' कहा जा रहा है.
इस व्यवस्था में ये ध्यान रखा गया है कि सैंपल जाँच कराने आए शख्स और स्वास्थ्यकर्मी के बीच किसी तरह का कोई संपर्क नहीं होगा. इसमें एक पारदर्शी सतह भी लगाई गई है, जिसके ज़रिए यह सुनिश्चित करने की कोशिश है कि स्वास्थ्यकर्मी किसी तरह संक्रमित नहीं हों.
कोच्चि के कलामसेरी मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल के रेजीडेंट मेडिकल ऑफ़िसर (आरएमओ) डॉ. गणेश मोहन ने बीबीसी हिंदी को बताया, "अगर एक पल के लिए कोरोना वायरस संक्रमण को भूल भी जाएं तो भी स्वास्थ्यकर्मियों के हमेशा संक्रमित होने का ख़तरा बना रहता है चाहे वह एच1एन1 हो या फिर चिकन पॉक्स या फिर कोई दूसरा संक्रमण. हमारी कोशिश है कि हम स्वाब कलेक्शन (मुंह से थूक के नमूना इकट्ठा करने) की प्रक्रिया को सुरक्षित बनाएं."
इस कियोस्क में एक मैग्नेटिक दरवाज़ा लगा है, जिसके अंदर पंखा लगा हुआ है. यहां के स्वास्थ्यकर्मी को फ्रेश ग्लव्स पहनने की भी ज़रूरत नहीं होगी. स्वास्थ्यकर्मी को अपने हाथ कियोस्क पर बने दो ख़ोंलों में डालने हैं. ये ख़ोल बाहर लटकते दो ग्लव्स से जुड़े हैं. इस तरह स्वास्थ्यकर्मी कियोस्क के बाहर खड़े मरीज़ को बिना छुए उनके सैंपल को एकत्रित कर सकते हैं.
डॉ. गणेश मोहन ने बताया, "हमने फ़ोन बूथ के बेसिक मॉडल को अपनाया है. दक्षिण कोरिया में बने कियोस्क की तस्वीरों से भी हमें प्रेरणा मिली. हमने इसमें घूमने वाले पहिए लगाए हैं ताकि इसे वाहनों पर आसानी से उतारा और चढ़ाया जा सके. इसके चलते इसे ग्रामीण इलाक़ों, एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर भी रखना संभव हो सकेगा."
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डॉ. मोहन के मुताबिक़ कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति होने या ज्यादा लोगों की टेस्ट के लिए बड़ी संख्या में सैंपल एकत्रित करने के लिहाज़ से ये कियोस्क कारगर साबित होंगे.
डॉ. गणेश मोहन ने बताया, "इन विस्क के ज़रिए हम प्रति दिन 500 से 600 सैंपल एकत्रित कर सकते हैं. इसके अगले मॉडल में एक इंफ्रारेड थर्मामीटर लगाने की कोशिश करेंगे ताकि इसका इस्तेमाल रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, ग्रामीण इलाक़ों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर किया जा सके."
कोच्चि ज़िले के जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनके कुट्टप्पन ने बीबीसी हिंदी को बताया, "हम रैपिड टेस्ट किट्स जमा कर रहे हैं और जल्दी ही हमें उसे विस्क तक पहुंचाएंगे. जो लोग घरों में क्वारंटाइन किए गए हैं, उन्हें एंबुलेंस से यहां लाकर उनके सैंपल एकत्रित किए जाएंगे."
डॉ. मोहन और उनकी टीम के दक्षिण कोरिया में हाल में इस्तेमाल किए बूथ से प्रेरणा लेकर स्थानीय स्तर पर ही इन कियोस्क को तैयार किया है. डॉ. मोहन की टीम में उनके अलावा अस्सिटेंट रेजिडेंट मेडिकल ऑफ़िसर डॉ. मनोज एंथनी और माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. निखिलेश मेनन शामिल थे.
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दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस के नमूने इकट्ठा करने के लिए ख़ास कियोस्क का इस्तेमा किया जा रहा है
केरल में कियोस्क मॉडल के लॉन्च होने के एक दिन बाद दिल्ली ने अपना कियोस्क तैयार किया है.
डॉ. मोहन इस बारे में कहा, "यह कोई पहले पुरस्कार या दूसरे पुरस्कार की होड़ नहीं है. यह अस्तित्व बचाने की होड़ है. कोई भी इसे तैयार कर सकता है और किसी भी आइडिया का स्वागत है."
फ़िलहाल कलामसेरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोविड-19 से संक्रमित 25 मरीज़ हैं और यहां अब तक 2000 से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है.
डॉ. कुट्टप्पन कहते हैं, "इन कियोस्क को बाद में निजी अस्पतालों में भी लगाया जाएगा."
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