कोरोना वायरस- गुजरात दूसरा सबसे प्रभावित राज्य कैसे बन गया?
- हरिता कांडपाल
- बीबीसी गुजराती संवाददाता

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भारत में लॉकडाउन की घोषणा के एक महीने हो चुके हैं.
इस एक महीने में गुजरात में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 2800 को पार कर गई है.
भारत में लॉकडाउन की घोषणा से पहले 22 मार्च तक भारत में कोरोना संक्रमित मामलों की संख्या 315 थी और इसमें 18 यानी करीब पांच प्रतिशत मामले गुजरात के थे.
एक महीने बाद भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 21000 से ज्यादा है और इसमें 12 प्रतिशत हिस्सा गुजरात में है.
22 मार्च को गुजरात में जहां कोरोना संक्रमण के 18 मामले थे वहीं 23 अप्रैल को राज्य में 2624 लोग कोरोना से संक्रमित हैं.
भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक़, लॉकडाउन से पहले 20 मार्च तक दिल्ली और राजस्थान में 17-17, केरल में 28, महाराष्ट्र में 52, उत्तर प्रदेश में 23, कर्नाटक में 15, तेलंगाना में 17 और गुजरात में कोरोना संक्रमण के 5 मामले थे.
लेकिन एक महीने के अंदर गुजरात इस सूची में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है.
भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक़ 23 अप्रैल की रात तक देश में कोरोना संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र 5652 मामले के साथ पहले नंबर पर है.
कोरोना संक्रमण से मौत के लिहाज से भी महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 269 मौतें हुई हैं, इसके बाद गुजरात में 103 लोगों की मौत हुई है.
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ऐसे में सवाल यही है कि लॉकडाउन के एक महीने में गुजरात में कोरोना के मामले तेजी से कैसे बढ़ गए?
कितने हैं मामले?
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से बढ़ने की चर्चा पूरे देश में है. लेकिन पिछले कुछ दिनों में कोरोना संक्रमण के मामले गुजरात में भी तेजी से बढ़े हैं.
15 अप्रैल से 22 अप्रैल वाले सप्ताह में गुजरात में कोरोन संक्रमण के मामले तीन गुना बढ़ गए हैं. 15 अप्रैल को राज्य में कोरोना संक्रमण के 766 मामले थे जबकि 23 अप्रैल को गुजरात में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 2600 के पार हो गई.
गुजरात के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 23 अप्रैल की रात तक राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 2642 थी यानी एक सप्ताह में 1858 नए मामले सामने आ गए.
22 अप्रैल को देश भर में कोरोना संक्रमण के 1273 नए मामले सामने आए, जिसमें महाराष्ट्र में 431 और गुजरात में 229 मामले शामिल थे. गुजरात में सबसे ज्यादा मामले अहमदाबाद हैं.
23 अप्रैल तक गुजरात के कोरोना संक्रमण मामलों में करीब 60 प्रतिशत मामले अहमदाबाद में सामने आए हैं. इसके अलावा करीब 17 प्रतिशत मामले सूरत में और करीब आठ प्रतिशत मामले वड़ोदरा में देखने को मिले हैं.
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गुजरात में मरीजों की मौत की दर
मार्च में जब देश भर में कोरोना वायरस के मामले इतने ज्यादा नहीं थे तब दूसरे राज्यों की तुलना में गुजरात में कोरोना मरीजों के मौत के मामले ज्यादा नहीं थे, लेकिन संक्रमित मरीजों में यहां मौत की दर ज्यादा थी.
29 मार्च की दोपहर तक, गुजरात कोरोना संक्रमित मरीजों के मौत की दर के मामले में हिमाचल प्रदेश (तब 33 प्रतिशत) और बिहार (9 प्रतिशत) के बाद आठ प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर था. महाराष्ट्र, दिल्ली और अन्य राज्यों की स्थिति गुजरात से बेहतर थी.
23 अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में कोरोना संक्रमित मरीजों में मौत की दर 3.89 प्रतिशत है. 23 अप्रैल तक भारत में कोरोना संक्रमण के 21,700 मामले थे और इनमें 3.16 प्रतिशत की दर से 686 लोगों की मौत हुई थी.
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बात सरहद पार
समाप्त
बीते सप्ताह गुजरात में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत तेजी से हुई हैं. 15 अप्रैल तक राज्य में कोरोना से 36 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन 23 अप्रैल तक 112 लोगों की मौत हो गई. अहमदाबाद में इस दौरान कोरोना से मरने वालों की संख्या 16 से 63 हो गई, एक सप्ताह में 47 लोगों की मौत हुई.
23 अप्रैल को गुजरात के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव जंयती रवि ने राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण में मौत की बढ़ोत्तरी पर बताया कि गुजरात में करीब 60 मरीज पहले से ही किडनी, हृदय रोग, डायबिटीज और हाइपरटेंशन के गंभीर मरीज थे.
इन गंभीर बीमारियों के चलते भी मरीजों की प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होती है. कोरोना वायरस संक्रमण से उनकी स्थिति और बिगड़ जाती है. जंयती रवि ने यह भी बताया कि वलसाड में 21 साल के जिस युवक की कोरोना से मौत हुई है वो ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित था.
उन्होंने यह भी बताया कि 60 साल से अधिक उम्र के लोग कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, खासकर जिन लोगों को पहले से ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दूसरी गंभीर बीमारियां रही हैं. हालांकि 40 साल की उम्र में लोग गंभीर में रूप से बीमार होने लगे हैं.
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जंयती रवि ने लोगों से बुजुर्गों और पांच साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों का सामना कर रहे लोगों की विशेष देखभाल का अनुरोध किया है.
टेस्ट की स्थिति
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक़ 23 अप्रैल की सुबह तक देश भर में 4,85,172 लोगों का कोरोना टेस्ट किया गया है, जिसमें 21,797 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. यानी जिन लोगों का टेस्ट हुआ है उनमें करीब 4.4 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं.
आईसीएमआर की ओर से कहा गया, "भारत में संक्रमण की दर लगातर 4.5 प्रतिशत के आसपास है, ऐसे में कहा जा सकता है कि हमलोग संक्रमण के ग्राफ को सपाट रखने में कामयाब हुए हैं."
इसके मायने समझने के लिए हमने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के निदेशक डॉ. दिलीप मावलंकर से बात की. उन्होंने बताया कि जिन लोगों का टेस्ट किया जा रहा है, उनमें संक्रमित मरीजों का प्रतिशत अगर बढ़ता है तो संकट की स्थिति उत्पन्न होगी. लेकिन अगर प्रतिदिन किसी भी संख्या में टेस्ट हो रहे हों और संक्रमित मरीजों का प्रतिशत स्थिर है, तो हम कह सकते हैं कि स्थिति नियंत्रण के बाहर नहीं हुई है.
गुजरात में 23 अप्रैल तक 43,284 लोगों का टेस्ट हुआ जिसमें 2642 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं यानी राज्य में जिन लोगों का टेस्ट हुआ है उनमें करीब छह प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित है. इससे एक दिन पहले 22 अप्रैल तक राज्य में 39,421 लोगों का टेस्ट किया गया और उसमें 2407 यानी करीब छह प्रतिशत लोग ही कोरोना संक्रमित पाए गए थे.
लेकिन एक सप्ताह पहले, 15 अप्रैल तक राज्य में कुल 19,197 लोगों का टेस्ट हुआ था जिसमें 3.99 प्रतिशत यानी 766 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे.
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बीते एक सप्ताह में गुजरात में करीब 20,200 लोगों का टेस्ट हुआ और इनमें कोरोना संक्रमित मरीजों की दर भी बढ़ी है.
बिना लक्षण वाले मरीज
देश भर में बिना किसी लक्षण वाले कोरोना वायरस मरीजों की बढ़ती संख्या ने सरकार को चिंतित किया है. आईसीएमआर के मुताबकि देश भर के 69 प्रतिशत कोरोना संक्रमित मरीजों में बुखार, कोल्ड और सूखी खांसी जैसे कोविड-19 के कोई लक्षण नहीं दिखे हैं.
बिना लक्षण वाले मरीज गुजरात के लिए भी बड़ी चिंता हैं. 19 अप्रैल को जब राज्य में अचानक से कोरोना वायरस संक्रमण में उछाल देखने को मिला था तब गुजरात की स्वास्थ्य सचिव जंयती रवि ने बताया था कि अहमदाबाद में 18 से 19 अप्रैल के बीच कोरोना संक्रमण के 140 नए मामले सामने आए हैं, जिनमें महज 15 लोगों में कोरोन के लक्षण थे. बिना लक्षण वाले अधिकांश मरीज हॉटस्पॉट इलाकों के हैं.
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नौ अप्रैल को अहमदाबाद के दानिलिमडा में बिना लक्षण वाले 30 लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए. इस इलाके में कर्फ्यू लगाया गया. अहमदाबाद नगर निगम आयुक्त विजय नेहरा के मुताबिक शहर के कोरोना संक्रमित मरीजों में करीब 70 प्रतिशत लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखा था.
हर दरवाजे तक स्क्रीनिंग, निगरानी और टेस्टिंग
गुजरात सरकार ने घोषणा की है कि राज्य में हर दरवाजे तक जाकर लोगों की स्क्रीनिंग, निगरानी और टेस्टिंग होगी.
30 मार्च को राज्य में 1321 टेस्ट हुए थे और 23 अप्रैल तक राज्य में 40,616 टेस्ट किए गए थे. गुजरात स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव जयंती रवि ने बताया कि अहमदाबाद में मामले इसलिए भी बढ़े हैं क्योंकि हॉटस्पॉट और कर्फ्यू वाले इलाकों में टेस्टिंग बढ़ाई गई है. जयंती रवि के मुताबिक, गुजरात में 19 अप्रैल तक गुजरात में एक लाख लोगों में 447.81 लोगों के टेस्ट किए गए थे जबकि भारत का औसत प्रति लाख लोगों में केवल 269 लोगों का टेस्ट हुआ था. देश के दूसरे हिस्सों की तुलना में गुजरात में कहीं ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं.
जयंती रवि के मुताबिक गुजारत में प्रति दस लाख लोगों में संक्रमण के 19 मामले सामने आए हैं, जबकि तेलंगाना में 30, महाराष्ट्र में 28, उत्तर प्रदेश में 20, तमिलनाडु में 19 और दिल्ली में कोरोना के 91 मामले सामने आए हैं.
जंयती रवि के मुताबिक, इन आंकड़ों को देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि गुजरात में ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं. गुजरात के अमहदाबाद, सूरत, भावनगर और वडोदरा में 15 जगहों को हॉटस्पॉट के तौर पर चिन्हित किया गया है, उमें अहमदाबाद में सबसे ज्यादा आठ जगहों को हॉटस्पॉट के तौर पर चिन्हित किया गया है. अहमदाबाद के कोट सहित 16 इलाकों को क्लस्टर क्वारंटीन किया गया है, यानी वहां कर्फ्यू लगाया गया है.
अहमदाबाद में अब तक कोरोना संक्रमण के 1600 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिसमें अधिकांश कोट इलाके के हैं. अहमदाबाद नगर निगम का कहना है कि वह नए मामलों का पता लगाने के लिए सक्रियता से काम कर रहा है.
अहमदबाद में, 15 अप्रैल को कोरोना संक्रमित लोगों के नजदीकी लोगों (जिसमें सब्जी विक्रेता, कूड़ा कचरा जमा करने वाला, आश्रय मांगने वाले और भिखारियों शामिल थे) में 30 से 800 लोगों के सैंपल लिए गए. अहमदाबाद नगर निगम आयुक्त के मुताबिक देश भर में प्रति लाख लोगों में सबसे ज्यादा टेस्ट अहमदाबाद में हो रहे हैं.
अहमदाबाद के अलावा सूरत और वड़ोदरा में बड़े कलस्टर इलाके साबित हुए हैं, जहां से सबसे ज्यादा नए संक्रमण सामने आए हैं. गुजरात में कोरोना संक्रमण के हिसाब से सूरत दूसरा सबसे बड़ा शहर है. 15 अप्रैल तक यहां 61 संक्रमित मरीज थे जो 23 अप्रैल तक बढ़कर 445 हो गए.
24 मार्च को सूरत में कोरोना संक्रमण के महज छह मामले थे. सूरत में कोरोना संक्रमण के लिहाज से 10 इलाकों को कलस्टर घोषित किया गया है, जहां लोगों को अपने अपने घरों में क्वारंटीन होने को कहा गया है. प्रशासन के मुताबिक सूरत में आबादी का घनत्व बहुत ज्यादा है, इसलिए संक्रमण फैलने का खतरा यहां बहुत ज्यादा है.
वड़ोदरा में 20 मार्च को कोरोना संक्रमण के तीन मामले थे जो 23 अप्रैल को बढ़कर 217 हो गए. शहर के उत्तरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक , स्थानीय प्रशासन नए मामलों का पता लगाने के लिए वड़ोदरा को रेड, ऑरेंज, येलो और ग्रीन जोन में बांटकर कलस्टर सेगमेंट में सैंपलिंग कर रहा है.
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गुजरात में ठीक होने वालों की संख्या कम
गुजरात में स्थिति इसलिए भी गंभीर है क्योंकि राज्य के सभी जिलों में कोरोना संक्रमण के मामले दिख रहे हैं. जब लॉकडाउन लागू किया गया था तब राज्य के महज छह जिलों, अहमदाबाद, सूरत, वड़ोदरा, राजकोट, गांधीनगर और कच्छ जिले में संक्रमण के मामले थे जबकि अब कोरोना संक्रमण के मामले 28 जिलों तक पहुंच गए हैं.
गुजरात में कोविड-19 संक्रमण के मरीज कम ठीक हो रहे हैं?
गुजरात में इलाज से अब तक 259 मरीज ठीक हुए हैं. राज्य में इलाज से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या कुल मरीजों की 10 प्रतिशत के आसपास है.
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आकंड़ों को मुताबिक 21,700 संक्रमण के मामलों में से 4325 लोग इलाज के बाद ठीक हो गए हैं. यानी भारत में कोरोना संक्रमण के मरीजों में 19.9 प्रतिशत लोग इलाज से ठीक हुए हैं. गुजरात सरकार के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 23 अप्रैल की रात तक राज्य में कोरोना संक्रमण के कुल 2624 मामले थे, जिनमें 258 इलाज के बाद ठीक हो गए. गुजरात में 9.8 प्रतिशत लोग इलाज के बाद ठीक होने में सफल रहे हैं.
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 5652 हैं, जबकि इलाज से राज्य में अब तक 789 लोग ठीक हुए हैं. महाराष्ट्र में ठीक होने वाले लोगों की संख्या 13 प्रतिशत है. देश में कोरोना संक्रमण का पहला मामला केरल में मिला था, जहां संक्रमित लोगों में 75 प्रतिशत लोग ठीक हो गए हैं.
इस हिसाब से देखें तो गुजरात में कम लोग इलाज से ठीक हो रहे हैं. गुजरात में कोरोना संक्रमण के 80 प्रतिशत मामले अहमदाबाद, सूरत और वड़ोदरा में सामने आए हैं. गुजरात स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 23 अप्रैल तक अहमदाबाद में महज छह प्रतिशत मरीज इलाज से ठीक हुए हैं, जबकि सूरत में यह आंकड़ा 2.9 प्रतिशत और वड़ोदरा में यह 3.5 प्रतिशत है.
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