कोरोना लॉकडाउन: दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मज़दूरों का क्या हाल है?
- टीम बीबीसी हिन्दी
- नई दिल्ली

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लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को घर वापस लाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं. राज्यों की मांग पर केंद्र सरकार ने ट्रेन से मज़दूरों और दूसरे लोगों को वापस लाने की अनुमति दी है.
हज़ारों की संख्या में प्रवासी मज़दूर अपने राज्य वापस लौट रहे हैं. लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि दूसरे राज्यों से आने वाले इन लोगों को सरकार कहां रखेगी और उन्हें घर भेजने की प्रक्रिया क्या होगी?
जिस तादाद में मज़दूर अपने राज्यों में लौटे हैं क्या वहां उन्हें क्वारंटीन करने और उनकी खाने पीने की सुविधाएं हैं? और फिलहाल किस राज्य के कितने लोग दूसरे राज्यों में फंसे हैं?
एक नज़र राज्यों की स्थिति पर...
प्रवासियों को एक साथ नहीं बुला रही ममता सरकार
पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि देश के विभिन्न हिस्सो में फंसे तमाम छात्रों, पर्यटकों और प्रवासी मजदूरों को चरणबद्ध तरीके से वापस ले आया जाएगा.
इसी क्रम में बीते सप्ताह कोटा में फंसे राज्य के लगभग ढाई हजार छात्रों को बसों से ले आया गया है. अब अजमेर और केरल के त्रिवेंद्रम से दो ट्रेनों में लगभग ढाई हज़ार तीर्थयात्री, पर्यटक और प्रवासी मजदूर अगले दो दिनों में यहां पहुंचेंगे.
कोलकाता में बीबीसी के सहयोगी प्रभाकर मणि तिवारी ने बताया कि यह ट्रेनें सोमवार को ही रवाना हो गई हैं. बंगाल आने वाली यह पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेनें हैं. ममता बनर्जी खुद इस मामले की निगरानी कर रही हैं. उन्होंने ही ट्वीट में इसका ऐलान किया था.
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इससे पहले कोटा से पहुंचे छात्रों को उनके संबंधित जिलों में पहुंचा दिया गया है. तमाम छात्रों को स्वास्थ्य जांच के बाद घर जाकर 14 दिनों के लिए क्वारंटीन में रहने को कहा गया है. इससे पहले ममता ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरें को स्नेह परस यानी स्नेह का स्पर्श शीर्षक योजना के तहत एक-एक हज़ार की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया था. यह रकम सीधे उनके बैंक खातों में या फिर स्थानीय संपर्कों के जरिए नकद दी जा रही है. उन्होंने लॉकडाउन के चलते राज्य के बेरोज़गार मज़दूरों के लिए भी इतनी ही रकम देने का ऐलान किया है.
लेकिन सवाल है कि कोरोना मरीजों की जांच और कोरोना अस्पतालों और क्वारंटीन केंद्रों की हालत पर पहले ही तमाम विवादों से जूझ रही तृणमूल कांग्रेस सरकार क्या इतनी बड़ी तादाद में प्रवासियों के लौटने पर पैदा होने वाली संभावित समस्याओं से निपटने के लिए तैयार है?
राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा कहते हैं, "हमने इसकी पूरी तैयारी कर ली है. देश के बाकी हिस्सों में फंसे लोगों को चरणबद्ध तरीके से बुलाया जाएगा. लेकिन अगर उनमें से किसी व्यक्ति का घर कंटेनमेंट ज़ोन में हुआ तो उसे सीधे घर जाने की अनुमति देने की बजाय वैकल्पिक जगहों पर रखा जाएगा. इस आधारभूत ढांचे को तैयार करने में तोड़ समय लग सकता है.
मुख्य सचिव बताते हैं कि एक साथ लाखों प्रवासी मजदूरों को बुलाना उचित नहीं होगा. इसके लिए विस्तृत योजना जरूरी है. ऐसा नहीं किया गया तो अब तक की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.
इस बीच, राज्य सरकार पर कर्नाटक में फंसे मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने के प्रस्ताव पर चुप्पी साधने के भी आरोप लग रहे हैं. लेकिन राज्य सकार के एक वरिष्ठ अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, "हमने कर्नाटक से आने वाले मजदूरों को मना नहीं किया है. बीते दो दिनों से कई राज्य सरकारों के साथ बातचीत चल रही है. हमने कर्नाटक सरकार के प्रवासियों की यात्रा कुछ दिनों के लिए टालने का अनुरोध किया है ताकि उनके लिए जरूरी आधारभूत ढांचा स्थापित किया जा सके."
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छत्तीसगढ़ के सवा लाख मज़दूर फंसे
छत्तीसगढ़ सरकार का अनुमान है कि राज्य के लगभग सवा लाख श्रमिक देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे हैं. अकेले जम्मू-कश्मीर में ही राज्य के 15 हज़ार से अधिक श्रमिक फंसे हुए हैं.
रायपुर से बीबीसी हिन्दी के सहयोगी आलोक प्रकाश पुतुल ने बताया कि राज्य सरकार का दावा है कि वह इन सभी श्रमिकों का डेटाबेस तैयार कर रही है. इसके लिए ऑनलाइन पंजीयन किया जा रहा है, कुछ हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं. अलग-अलग राज्यों के मज़दूरों के लिए नोडल अधिकारी भी बनाए गए हैं.
इन सबके बाद भी ख़ुद से पैदल छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले श्रमिकों के अलावा प्रवासी श्रमिकों की वापसी की शुरुआत अभी तक नहीं हो पाई है. हालांकि राज्य सरकार ने बसें भेज कर राजस्थान के कोटा से दो हज़ार से अधिक छात्रों को राज्य में लाने का काम ज़रूर किया है.
दूसरे राज्यों के श्रमिकों के लिए ट्रेन चलाए जाने की ख़बर के बाद राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी केंद्र सरकार से राज्य के श्रमिकों की वापसी के लिए ट्रेन चलाने का अनुरोध किया है.
इस बीच सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने रायपुर के डिवीजनल रेलवे मैनेजर को पत्र लिख कर कहा है कि छत्तीसगढ़ के मजदूरों-श्रमिकों को अन्य राज्य से छत्तीसगढ़ आने रेलवे द्वारा श्रमिक स्पेशल रेल सुविधा प्रदाय करने पर, उनके यात्रा किराए का व्यय भार राज्य शासन द्वारा वहन किया जाएगा.
राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि बाहर से आने वाले श्रमिकों के सीमा में प्रवेश के साथ ही मेडिकल जांच की जाएगी और उन्हें क्वारंटीन किया जाएगा. इसके अलावा हर पंचायत में बाहर से आने वाले सभी लोगों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है.
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प्रवासी श्रमिकों को लेकर ओडिशा सरकार चिंतित
भुवनेश्वर से बीबीसी हिन्दी के सहयोगी संदीप साहू के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में फंसे करीब पांच लाख प्रवासी श्रमिकों ने ओडिशा वापस आने के लिए सरकारी नियमों के अनुसार अपना रजिस्ट्रेशन किया है. पिछले तीन दिनों में बस और ट्रेन से इनमें से केवल नौ हज़ार के करीब श्रमिक ही वापस आए हैं. अभी से इन्हें लेकर सरकार का सिरदर्द शुरू हो गया है.
सूरत से लौटे गंजाम जिले के 100 से भी अधिक प्रवासी श्रमिकों ने जरूरी सहूलियतों के न होने और उन्हें ख़राब खाना दिए जाने का विरोध करते हुए उन्हें ठहराए गए बेगुनिआपाड़ा के दो क्वॉरन्टीन सेंटर छोड़कर पैदल अपने अपने गावं चले गए.
भद्रक जिले के तिहिड़ी के एक क्वॉरन्टीन सेंटर के छह युवकों ने सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन करते हुए बाजे, गाजे के साथ एक टिकटॉक वीडियो रिकॉर्ड कर उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. इन सभी के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है. इस तरह की घटनाएं सामने आने के बाद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लॉकडाउन और क्वारंटीन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कारवाई की चेतावनी दी.
राज्य सरकार के प्रवक्ता सुब्रतो बागची ने सोमवार को बताया कि पिछले 24 घंटों में देश के अलग अलग राज्यों से 8830 प्रवासी श्रमिक ओडिशा वापस आए हैं.
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राजस्थान लौटेंगे करीब 15 लाख लोग
राजस्थान में पहली ट्रेन कोटा से रांची के लिए करीब 1000 स्टूडेंट्स को लेकर रवाना हुई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 4 मई को राज्य के सभी जिला कलेक्टर और एसपी को वीडियो कॉन्फ्रेंस से प्रवासी मजदूरों की व्यवस्थाओं को लेकर निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राजस्थान से जाने वाले मजदूरों से किराया नहीं लिया जाएगा.
राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बताया, ''हमने बसें चालू कर दी हैं. लोगों को मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश ले कर जा रहीं बसें वहां से लोगों को वापस भी ला रही हैं. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन आए हैं उनमें अन्य राज्यों से राजस्थान आने वालों के मुकाबले राजस्थान से जाने वालों की है.''
बीबीसी के सहयोगी मोहर सिंह मीणा से बातचीत में राजस्थान सरकार के श्रम विभाग के सचिव डॉ. नीरज कुमार पवन बताते हैं, राजस्थान से जाने वाले प्रवासियों को किराया नहीं देना होगा. लॉकडाउन शुरू होने के दौरान बनाए शेल्टर होम में करीब 60 हजार मज़दूर रह रहे थे, जिन्हें अब रवाना किया जा रहा है.
वह आगे कहते हैं, राजस्थान सरकार ने हर राज्य के लिए एक आईएएस और एक आईपीएस अधिकारी लगाए गए हैं, जो वहां जाने व आने वाले मजदूरों की समस्याओं का समाधान करेंगे.
सचिव डॉक्टर नीरज के अनुसार, ऑनलाइन पोर्टल पर करीब 15 लाख लोगों ने राजस्थान में आने व जाने के लिए रजिस्ट्रेशन किया है. राजस्थान में अभी तक दूसरे राज्यों से 1 लाख 47 हजार प्रवासी आए हैं, जबकि राजस्थान से 60 हजार प्रवासियों को उनके राज्यों में भेजा गया है.
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झारखंड में हुई 6000 से अधिक लोगों की वापसी
रांची में बीबीसी हिन्दी के सहयोगी रवि प्रकाश के मुताबिक, केरल के अर्नाकुलम और कालीकट से चली दो ट्रेनें सोमवार को झारखंड पहुंची. कर्नाटक के बेंगलुरु से क़रीब एक हज़ार प्रवासी झारखंडी मज़दूरों, छात्रों और प्रोफेशनल्स को लेकर रविवार की दोपहर चली ट्रेन सोमवार की रात 11 बजे हटिया स्टेशन पर पहुंचने वाली है.
यह सिलसिला मई दिवस के मौक़े पर प्रारंभ हुआ था. जब क़रीब 1200 मज़दूरों को लेकर स्पेशल ट्रेन तेलंगाना के लिंगमपल्ली स्टेशन से खुलकर उसी दिन रात 11:30 बजे झारखंड के हटिया पहुँची थी. उसके अगले दिन राजस्थान के कोटा से क़रीब 1000 बच्चों को लेकर चली ट्रेन 3 मई को हटिया पहुँची. फिर कोटा से ही 3 मई को चली ट्रेन 4 तारीख को धनबाद पहुँची.
राँची रेल मंडल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी नीरज कुमार ने बीबीसी को बताया कि अब तक चलाई गई ट्रेनों से झारखंड के क़रीब छह हज़ार लोग अपने घर वापस आए हैं.
इन ट्रेनों से झारखंड लौटे सभी लोगों की स्वास्थ्य की जाँच कराई गई और उन्हें होम क्वारंटीन कर दिया गया. कोटा से धनबाद आई एक छात्रा को अस्पताल में रखा गया है. थर्मल स्कैनर में उनका तापमान अधिक पाए जाने पर उन्हें और उनकी सहेलियों को रोका गया है. उनकी दोबारा जांच कराई जानी है.
झारखंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि कोटा से आई दोनों ट्रेनों का ख़र्च झारखंड सरकार ने वहन किया है. जबकि लिंगमपल्ली से हटिया आई ट्रेन का ख़र्च तेलंगाना और झारखंड सरकार ने मिलकर वहन किया.
इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर मज़दूरों को एयर लिफ़्ट भी कराया जा सकता है. झारखंड सरकार इस पर विचार कर रही है.
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असम के प्रवासियों का रजिस्ट्रेशन शुरू
गुवाहाटी से बीबीसी हिन्दी के सहयोगी दिलीप कुमार शर्मा ने बताया कि असम सरकार ने लॉकडाउन के चलते भारत के अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों, नौकरी करने वाले युवाओं, पर्यटकों, श्रद्धालुओं और अपने दूसरे नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने की प्रक्रिया पर काम करना शुरू कर दिया है.
राज्य सरकार ने 2 मई को एक मोबाइल नंबर (हेल्पलाइन नंबर - 7428159966) जारी कर अन्य प्रदेशों में फंसे लोगों को मिस कॉल देने का आग्रह किया था.
सरकार की जानकारी के अनुसार अब तक एक लाख 10 हजार से अधिक लोगों ने मिस्ड कॉल दिया है, जिसके बाद सरकार के साथ काम कर रहे करीब चार सौ वालंटियर्स ने उन लोगों से संपर्क कर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू की है.
असम सरकार के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "अन्य प्रदेशों में लॉकडाउन के कारण फंसे जो व्यक्ति जारी किए गए नंबर पर मिस कॉल देंगे उनके पास अगले 48 घंटे के भीतर एक लिंक भेजा जाएगा ताकि वे रजिस्ट्रेशन के लिए फार्म भर सकें. इस फॉर्म को भरने से हमें असम आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी. मसलन वे किस राज्य से आ रहे हैं. ट्रेन और बस से आना चाहते हैं या फिर खुद गाड़ी रिजर्व कर आना चाहते हैं. वे देश के किस जिले से आ रहे हैं और असम के कौन से जिले में जाएंगे."
इसके अलावा सरकार ने निजी वाहन से आने वाले लोगों के लिए एक ई-मेल भी जारी की है जिस पर मेल भेजने से असम में प्रवेश करने का पास जारी किया जाएगा. देश के दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को वापस लाने की इस पूरी प्रक्रिया को देखने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जीपी सिंह (एडीजीपी, कानून-व्यवस्था) को बतौर नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. इसके लिए कई अधिकारियों को लेकर एक टास्क फोर्स बनाई गई है. ये अधिकारी असम में प्रवेश करने वाले लोगों के स्वास्थ्य की जांच करने के अलावा उन्हें 14 दिनों के क्वारंटीन पर भेजने का भी निर्णय लेंगे.
एक अनुमान के आधार पर मंत्री सरमा ने कहा कि करीब छह लाख लोग प्रदेश में लौटना चाहते हैं. यह काफी मुश्किल और लंबी प्रक्रिया होगी, क्योंकि छह लाख लोगों को वापस लाने में 600 ट्रेन की जरूरत पड़ेगी. एक ट्रेन में एक हजार लोगों को ही लाया जाएगा. लिहाजा इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लगेगा.
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क्या है बिहार सरकार की तैयारी?
लॉकडाउन के कारण अपने घर से बाहर फंसे बिहार के लाखों प्रवासियों के वापस राज्य लौटने का सिलसिला शुरू हो चुका है. प्रवासियों में मजदूर, कामगार और छात्र मुख्य रूप से शामिल है.
बिहार सरकार की तरफ़ से जारी आंकड़ों के अनुसार बाहर रहने वाले 27 लाख से ज़्यादा प्रवासियों ने आपदा अनुदान राशि और राहत के लिए आवेदन किया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद फंसे हुए प्रवासियों विशेष ट्रेनों से लाया जा रहा है. स्क्रीनिंग के बाद उन्हें बसों के जरिए उनके घर तक पहुंचाने की तैयारी है.
पटना से बीबीसी हिन्दी के सहयोगी नीरज प्रियदर्शी ने बताया कि मजदूरों और छात्रों को वापस लाने पर ट्रेन के किराए को लेकर छिड़े विवाद के बीच सीएम नीतीश कुमार ने सोमवार को ऐलान किया कि बिहार सरकार छात्रों व मजदूरों के किराए के ख़र्च को वहन करने के अलावा अतिरिक्त 500 रुपए की राशि देगी. इसके लिए न्यूनतम 1000 रुपए की राशि तय की गई है.
लौटकर आए प्रवासियों को 21 दिनों तक क्वारंटीन सेंटर पर रहना होगा. इसके लिए सीएम ने पंचायत स्तर पर क्वारंटीन सेंटर बनाने के निर्देश दिए हैं.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक़ राज्य में अभी केवल 354 क्वारंटीन सेंटर ही चल रहे हैं, जबकि पंचायतों की संख्या आठ हज़ार से अधिक है.
इतने कम क्वारंटीन सेंटर से बाहर से आए प्रवासियों की निगरानी के सवाल पर विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बीबीसी को बताया, "जिन 354 क्वारंटीन सेंटरों के आंकड़े विभाग द्वारा जारी किए गए हैं, वे केवल स्वास्थ्य विभाग की तरफ से चलाए जा रहे क्वारंटीन सेंटर हैं. इसके अलावा आपदा विभाग की जिम्मेदारी है कि ब्लॉक स्तर पर क्वरंटीन सेंटर का निर्माण हो."
तीन मई तक के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ऐसे 1387 क्वरंटीन सेंटर हैं जहां 13800 लोगों को रखा गया है.
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दूसरे राज्यों में मध्य प्रदेश के एक लाख लोग
मध्य प्रदेश सरकार ने दूसरे प्रदेशों में फंसे मज़दूरों को लाने के लिए कवायद तेज़ कर दी है. सरकार इन फंसे हुए मज़दूरों को 31 ट्रेनों के माध्यम से वापस लाना चाह रही है जिसका प्लान रेल मंत्रालय को भेज दिया गया है. सरकार के मुताबिक़ अभी दूसरे प्रदेशों में लगभग एक लाख मजदूर फंसे हुए है.
भोपाल से बीबीसी हिन्दी के सहयोगी शुरैह नियाज़ी बताते हैं कि सरकार जो ट्रेन चलाना चाह रही है उसमें महाराष्ट्र से 22, गुजरात से 2, दिल्ली से 1, गोवा से 2 और 4 ट्रेनें दूसरे प्रदेशों से होंगी ताकि मजदूर वापस प्रदेश आ सकें.
सरकार ने दावा किया है कि शनिवार तक प्रदेश में 50 हज़ार मजदूरों को वापस लाया गया है और 38 हज़ार ऐसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाया गया है जो प्रदेश में दूसरे स्थानों में फंस गये थे. वहीं सरकार का यह भी कहना है कि हर रोज़ तीन से चार हज़ार मजदूर पैदल प्रदेश में आ रहे हैं.
सरकार ने मजदूरों के लिये एक हेल्पलाइन भी जारी की है. टोल फ्री नंबर 0755-2411180 पर फोन करके मज़दूर प्रदेश में आने के लिये रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं और अपनी समस्या भी बता सकते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आने वाले मज़दूरों से किसी भी किस्म का कोई किराया वसूल नहीं किया जाएगा.
वहीं प्रमुख सचिव संजय दुबे ने बताया है कि हेल्पलाइन में हर मिनट लगभग 1300 कॉल आ रहे हैं.
अपर मुख्य सचिव एवं प्रभारी स्टेट कंट्रोल-रूम आईसीपी केशरी ने बताया है, "मज़दूरों को हर संभव मदद उपलब्ध कराई जा रही है. मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है और उसके बाद भोजन-पानी की व्यवस्था के बाद उन्हें उनके गृह स्थान पर भेजा जा रहा है."
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