मोदी के 20 लाख करोड़ के पैकेज से मर रहे ग़रीब मज़दूरों का कितना भला होगा?- नज़रिया
आलोक जोशी
वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए
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आप चाहें तो गिलास को आधा भरा देख सकते हैं और चाहें तो आधा ख़ाली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंगलवार रात का राष्ट्र के नाम संदेश भी ऐसा ही है.
आप चाहें तो ये देख सकते हैं कि उन्होंने बीस लाख करोड़ रुपए का पैकेज लाने का एलान कर दिया. हताश, निराश और एक अभूतपूर्व संकट से जूझते देश को एक नया नारा दिया कि इस संकट को कैसे मौक़े में बदला जा सकता है.
कैसे यहाँ से एक आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत हो सकती है, जिसकी पहचान भी कुछ और होगी और जो बदली दुनिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
आप दम भर हवा से अपना सीना फुलाते हुए बोल सकते हैं कि भारत के इतिहास का सबसे बड़ा राहत पैकेज लाकर सरकार ने दिखा दिया है कि वो कितना कुछ कर सकती है.
और आप चाहें तो ये भी देख सकते हैं कि अपने पिछले भाषणों की तरह प्रधानमंत्री ने कुछ नए नारे लगाए, कुछ नए शब्द विन्यास दिखाए, अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया और उन्होंने उन सवालों के जवाब दरअसल नहीं दिए जिनके जवाब आप सुनना चाहते थे.
मसलन, घर जाने के लिए जान देने पर उतारू ग़रीबों और मज़दूरों का क्या होगा, लॉकडाउन अब ख़त्म नहीं हुआ तो कब होगा और कितना लंबा चलता रहेगा. और मोदी जी ने एलान तो कर दिया है लेकिन ख़र्च के लिए पैसा आएगा कहां से?
यही नहीं आप हिसाब का खाता खोलकर गिना भी सकते हैं कि सरकार पहले ही पौने दो लाख करोड़ रुपए अपने खाते से ख़र्च का एलान कर चुकी है. और रिज़र्व बैंक के ज़रिए भी उसने आठ लाख करोड़ रुपए बाज़ार में डालने का इंतज़ाम किया है. दोनों जोड़ लें तो लगभग दस लाख करोड़ रुपए का एलान पहले किया जा चुका है और पैकेज का आधा हिस्सा यानी सिर्फ़ दस लाख करोड़ रुपए और ख़र्च होना है.
लेकिन बात इतनी मामूली भी नहीं है. दस लाख करोड़ यानी दस ट्रिलियन आसान ज़ुबान में समझें तो दस के आगे बारह शून्य लगा लीजिए. और पहले के दस भी अभी पूरे ख़र्च तो हुए नहीं हैं. वो भी सिस्टम में आएँगे, बैंकों से निकलेंगे, बिज़नेस में जाएँगे, ख़र्च होंगे, इस जेब से उस जेब में जाएँगे तभी तो माना जाएगा न कि पैसा काम पर लगा है.
हरेक के हिस्से 15 हज़ार रुपए?
टोटल रक़म जोड़ लें तो बीस लाख करोड़ का मतलब है महीने में बीस लाख कमाने वाले एक करोड़ लोगों की तनख़्वाह. दो लाख कमाने वाले दस करोड़ लोगों की तनख़्वाह. बीस हज़ार कमाने वाले सौ करोड़ लोगों की तनख़्वाह. यानी एक सौ पैंतीस करोड़ के देश में हिस्सा बाँटें तो क़रीब क़रीब पंद्रह हज़ार रुपए हरेक के पल्ले पड़ जाएँगे.
दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.
बात सरहद पार
समाप्त
हालाँकि वॉट्सऐप के गणितज्ञ रात नौ बजे ही हिसाब लगाकर बता चुके थे कि मोदी जी ने हरेक को पंद्रह लाख देने का जो वादा किया था वो पूरा हो गया. लेकिन उन्हें भी दोष नहीं दिया जा सकता.
मगर तत्व की बात यह है कि सरकार ने अपनी तरफ़ से यह संदेश दे दिया है कि कोरोना से मुक़ाबले के लिए लॉकडाउन करना उसकी मजबूरी थी तो रही होगी. अब उसे दिखाना है कि यह देश एक बड़े संकट में से कैसे अपने लिए तरक़्क़ी की नई राह बना सकता है.
इतिहास, अर्थशास्त्र और व्यवहार बुद्धि तीनों गवाह हैं कि बहुत बड़ी मुसीबत अक्सर बहुत बड़े मौक़े में बदली जा सकती है. मोदी जी ने अपने भाषण में Y2K समस्या का उदाहरण भी दिया. 1991 का उदाहरण हमारे सामने है. दोनों ही वक़्त ये लगता था कि अब सब कुछ ख़त्म हो गया.
लेकिन दोनों ही बार अंधकार में एक नई राह खुली और लंबे समय तक उसका फ़ायदा मिलता रहा. आईटी की दुनिया में भारत का दबदबा हो या आर्थिक सुधारों के बाद आठ परसेंट सालाना विकास दर तक पहुँचने की कहानी.
टुकड़ों-टुकड़ों में देखें तो अनेक छोटे-छोटे सूत्र बिखरे पड़े हैं. 12 मई के भाषण में ही आत्मनिर्भर भारत के पाँच खंभों (पिलर को हिंदी में यही कहते हैं) का ज़िक्र हुआ, इकोनॉमी, इन्फ़्रास्ट्रक्चर, सिस्टम, डेमोग्राफी और डिमांड.
आप और हम इन सब पर सवाल पूछ सकते हैं कि क्वांटम जंप, आधुनिक भारत की पहचान, रिफॉर्म्स, और सप्लाई चेन वग़ैरह का पूरा गणित क्या है. मगर बहुत से लोग हैं जो न सिर्फ़ सब कुछ समझ गए बल्कि बिल्कुल वैसे समझ गए जैसे परियों की कथा सुनते वक़्त आप अपने दिमाग़ में परीलोक की एक तस्वीर बना लेते हैं.
यही वजह है कि भाषण ख़त्म होते ही तय हो गया कि अगली सुबह शेयर बाज़ार में एक नया सवेरा आने वाली है. सिंगापुर के बाज़ार में भारत का जो इंडेक्स ख़रीदा बेचा जाता है वो क़रीब साढ़े तीन परसेंट का उछाल दिखा रहा था और इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि बुधवार की सुबह भारत के शेयर बाज़ार धमाकेदार तेज़ी के साथ खुलेंगे.
शेयर बाज़ार में दिखेगी तेज़ी
इसे गैप अप ओपनिंग कहा जाता है. यानी मंगलवार को बाज़ार जहां बंद हुआ, बुधवार का पहला सौदा ही उससे काफ़ी ऊपर के भाव पर होगा. वजह भी साफ़ है. ज़्यादातर जानकारों का कहना है कि बाज़ार को उम्मीद थी कि सरकार ज़्यादा से ज़्यादा जीडीपी का पाँच से सात परसेंट ख़र्च करने का एलान करेगी.
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जबकि यहाँ आ गया है दस परसेंट का पैकेज. यानी उम्मीद से कहीं ज़्यादा. शेयर बाज़ार के खिलाड़ी वैसे भी चींटी का पहाड़ बनाने के एक्सपर्ट होते हैं. अमीर को, ग़रीब को, मिडल क्लास को, उद्योग को, व्यापार को क्या मिलेगा इसका हिसाब लगता रहेगा. किसे कितना मिलेगा इससे किसे क्या फ़र्क़ पड़ेगा ये भी बाद में देख लिया जाएगा.
अभी तो सेंटिमेंट सुधर गया है, तो बाज़ार में पैसा बना लिया जाए. सेंटिमेंट एक ऐसी चीज़ है जो किसी को दिखती तो कभी नहीं है लेकिन शेयर बाज़ार को लगातार उठाती गिराती रहती है. सो बुधवार की सुबह सेंटिमेंट अच्छा रहनेवाला है इतना साफ़ है.
लेकिन ये सेंटिमेंट क्या शाम तक ऐसा ही रहेगा? यह भी कोई बता नहीं सकता, फिर लंबे समय के लिए क्या होने वाला है इस सवाल का जवाब तो जाने ही दीजिए.
हाँ, अब भी कुछ विशेषज्ञ हैं जो उत्साह की इस गंगा में डुबकी लगाने से पहले जान लेना चाहते हैं कि पानी कितना गहरा है. वो कह रहे हैं कि अभी यह देखना ज़रूरी है कि सरकार ने पहले के दस लाख करोड़ के ऊपर जो और दस लाख करोड़ रुपए ख़र्च करने का एलान किया है वो कहां-कहां ख़र्च होने जा रहा है. यानी कितनी रक़म किसे मिलेगी और वो आएगी कहां से.
सबसे बड़ा सवाल ये है कि सरकार क्या नए रास्ते से पैसा जुटाएगी, नए नोट छापेगी, क़र्ज़ उठाएगी, या फिर वो पहले से तय किसी ख़र्च को रोककर वो रक़म इस पैकेज पर ख़र्च करने जा रही है.
इन सवालों के जवाब यानी पैकेज का पूरा ब्यौरा सामने आने के बाद ही तय हो पाएगा कि देश को, इकोनॉमी को, उद्योग और व्यापार को, ग़रीबों और किसानों को और नौकरीपेशा या अपने कारोबार में लगे मध्य वर्ग को इतिहास के इस सबसे बड़े पैकेज से क्या मिलने जा रहा है.
वरना कहीं ये ऐसा सम्मान साबित न हो जाए जिसका हल्ला तो बहुत होता है लेकिन जिसमें एक शॉल और एक सर्टिफ़िकेट के अलावा हाथ कुछ नहीं आता.
(लेखक सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक हैं और आर्थिक सामाजिक विषयों पर टिप्पणी करते हैं.)
कोरोना वायरस क्या है?लीड्स के कैटलिन सेसबसे ज्यादा पूछे जाने वाले
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कोरोना वायरस एक संक्रामक बीमारी है जिसका पता दिसंबर 2019 में चीन में चला. इसका संक्षिप्त नाम कोविड-19 है
सैकड़ों तरह के कोरोना वायरस होते हैं. इनमें से ज्यादातर सुअरों, ऊंटों, चमगादड़ों और बिल्लियों समेत अन्य जानवरों में पाए जाते हैं. लेकिन कोविड-19 जैसे कम ही वायरस हैं जो मनुष्यों को प्रभावित करते हैं
कुछ कोरोना वायरस मामूली से हल्की बीमारियां पैदा करते हैं. इनमें सामान्य जुकाम शामिल है. कोविड-19 उन वायरसों में शामिल है जिनकी वजह से निमोनिया जैसी ज्यादा गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं.
ज्यादातर संक्रमित लोगों में बुखार, हाथों-पैरों में दर्द और कफ़ जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हैं. ये लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं.
लेकिन, कुछ उम्रदराज़ लोगों और पहले से ह्दय रोग, डायबिटीज़ या कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ रहे लोगों में इससे गंभीर रूप से बीमार होने का ख़तरा रहता है.
एक बार आप कोरोना से उबर गए तो क्या आपको फिर से यह नहीं हो सकता?बाइसेस्टर से डेनिस मिशेलसबसे ज्यादा पूछे गए सवाल
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जब लोग एक संक्रमण से उबर जाते हैं तो उनके शरीर में इस बात की समझ पैदा हो जाती है कि अगर उन्हें यह दोबारा हुआ तो इससे कैसे लड़ाई लड़नी है.
यह इम्युनिटी हमेशा नहीं रहती है या पूरी तरह से प्रभावी नहीं होती है. बाद में इसमें कमी आ सकती है.
ऐसा माना जा रहा है कि अगर आप एक बार कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं तो आपकी इम्युनिटी बढ़ जाएगी. हालांकि, यह नहीं पता कि यह इम्युनिटी कब तक चलेगी.
कोरोना वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड क्या है?जिलियन गिब्स
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वैज्ञानिकों का कहना है कि औसतन पांच दिनों में लक्षण दिखाई देने लगते हैं. लेकिन, कुछ लोगों में इससे पहले भी लक्षण दिख सकते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि इसका इनक्यूबेशन पीरियड 14 दिन तक का हो सकता है. लेकिन कुछ शोधार्थियों का कहना है कि यह 24 दिन तक जा सकता है.
इनक्यूबेशन पीरियड को जानना और समझना बेहद जरूरी है. इससे डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों को वायरस को फैलने से रोकने के लिए कारगर तरीके लाने में मदद मिलती है.
क्या कोरोना वायरस फ़्लू से ज्यादा संक्रमणकारी है?सिडनी से मेरी फिट्ज़पैट्रिक
मिशेल रॉबर्ट्सबीबीसी हेल्थ ऑनलाइन एडिटर
दोनों वायरस बेहद संक्रामक हैं.
ऐसा माना जाता है कि कोरोना वायरस से पीड़ित एक शख्स औसतन दो या तीन और लोगों को संक्रमित करता है. जबकि फ़्लू वाला व्यक्ति एक और शख्स को इससे संक्रमित करता है.
फ़्लू और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं.
बार-बार अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं
जब तक आपके हाथ साफ न हों अपने चेहरे को छूने से बचें
खांसते और छींकते समय टिश्यू का इस्तेमाल करें और उसे तुरंत सीधे डस्टबिन में डाल दें.
आप कितने दिनों से बीमार हैं?मेडस्टोन से नीता
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
हर पांच में से चार लोगों में कोविड-19 फ़्लू की तरह की एक मामूली बीमारी होती है.
इसके लक्षणों में बुख़ार और सूखी खांसी शामिल है. आप कुछ दिनों से बीमार होते हैं, लेकिन लक्षण दिखने के हफ्ते भर में आप ठीक हो सकते हैं.
अगर वायरस फ़ेफ़ड़ों में ठीक से बैठ गया तो यह सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया पैदा कर सकता है. हर सात में से एक शख्स को अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ सकती है.
अस्थमा वाले मरीजों के लिए कोरोना वायरस कितना ख़तरनाक है?फ़ल्किर्क से लेस्ले-एन
मिशेल रॉबर्ट्सबीबीसी हेल्थ ऑनलाइन एडिटर
अस्थमा यूके की सलाह है कि आप अपना रोज़ाना का इनहेलर लेते रहें. इससे कोरोना वायरस समेत किसी भी रेस्पिरेटरी वायरस के चलते होने वाले अस्थमा अटैक से आपको बचने में मदद मिलेगी.
अगर आपको अपने अस्थमा के बढ़ने का डर है तो अपने साथ रिलीवर इनहेलर रखें. अगर आपका अस्थमा बिगड़ता है तो आपको कोरोना वायरस होने का ख़तरा है.
क्या ऐसे विकलांग लोग जिन्हें दूसरी कोई बीमारी नहीं है, उन्हें कोरोना वायरस होने का डर है?स्टॉकपोर्ट से अबीगेल आयरलैंड
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
ह्दय और फ़ेफ़ड़ों की बीमारी या डायबिटीज जैसी पहले से मौजूद बीमारियों से जूझ रहे लोग और उम्रदराज़ लोगों में कोरोना वायरस ज्यादा गंभीर हो सकता है.
ऐसे विकलांग लोग जो कि किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं और जिनको कोई रेस्पिरेटरी दिक्कत नहीं है, उनके कोरोना वायरस से कोई अतिरिक्त ख़तरा हो, इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं.
जिन्हें निमोनिया रह चुका है क्या उनमें कोरोना वायरस के हल्के लक्षण दिखाई देते हैं?कनाडा के मोंट्रियल से मार्जे
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
कम संख्या में कोविड-19 निमोनिया बन सकता है. ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जिन्हें पहले से फ़ेफ़ड़ों की बीमारी हो.
लेकिन, चूंकि यह एक नया वायरस है, किसी में भी इसकी इम्युनिटी नहीं है. चाहे उन्हें पहले निमोनिया हो या सार्स जैसा दूसरा कोरोना वायरस रह चुका हो.
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकारें इतने कड़े कदम क्यों उठा रही हैं जबकि फ़्लू इससे कहीं ज्यादा घातक जान पड़ता है?हार्लो से लोरैन स्मिथ
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
शहरों को क्वारंटीन करना और लोगों को घरों पर ही रहने के लिए बोलना सख्त कदम लग सकते हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो वायरस पूरी रफ्तार से फैल जाएगा.
फ़्लू की तरह इस नए वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है. इस वजह से उम्रदराज़ लोगों और पहले से बीमारियों के शिकार लोगों के लिए यह ज्यादा बड़ा ख़तरा हो सकता है.
क्या खुद को और दूसरों को वायरस से बचाने के लिए मुझे मास्क पहनना चाहिए?मैनचेस्टर से एन हार्डमैन
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
पूरी दुनिया में सरकारें मास्क पहनने की सलाह में लगातार संशोधन कर रही हैं. लेकिन, डब्ल्यूएचओ ऐसे लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रहा है जिन्हें कोरोना वायरस के लक्षण (लगातार तेज तापमान, कफ़ या छींकें आना) दिख रहे हैं या जो कोविड-19 के कनफ़र्म या संदिग्ध लोगों की देखभाल कर रहे हैं.
मास्क से आप खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाते हैं, लेकिन ऐसा तभी होगा जब इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और इन्हें अपने हाथ बार-बार धोने और घर के बाहर कम से कम निकलने जैसे अन्य उपायों के साथ इस्तेमाल किया जाए.
फ़ेस मास्क पहनने की सलाह को लेकर अलग-अलग चिंताएं हैं. कुछ देश यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके यहां स्वास्थकर्मियों के लिए इनकी कमी न पड़ जाए, जबकि दूसरे देशों की चिंता यह है कि मास्क पहने से लोगों में अपने सुरक्षित होने की झूठी तसल्ली न पैदा हो जाए. अगर आप मास्क पहन रहे हैं तो आपके अपने चेहरे को छूने के आसार भी बढ़ जाते हैं.
यह सुनिश्चित कीजिए कि आप अपने इलाके में अनिवार्य नियमों से वाकिफ़ हों. जैसे कि कुछ जगहों पर अगर आप घर से बाहर जाे रहे हैं तो आपको मास्क पहनना जरूरी है. भारत, अर्जेंटीना, चीन, इटली और मोरक्को जैसे देशों के कई हिस्सों में यह अनिवार्य है.
अगर मैं ऐसे शख्स के साथ रह रहा हूं जो सेल्फ-आइसोलेशन में है तो मुझे क्या करना चाहिए?लंदन से ग्राहम राइट
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
अगर आप किसी ऐसे शख्स के साथ रह रहे हैं जो कि सेल्फ-आइसोलेशन में है तो आपको उससे न्यूनतम संपर्क रखना चाहिए और अगर मुमकिन हो तो एक कमरे में साथ न रहें.
सेल्फ-आइसोलेशन में रह रहे शख्स को एक हवादार कमरे में रहना चाहिए जिसमें एक खिड़की हो जिसे खोला जा सके. ऐसे शख्स को घर के दूसरे लोगों से दूर रहना चाहिए.
मैं पांच महीने की गर्भवती महिला हूं. अगर मैं संक्रमित हो जाती हूं तो मेरे बच्चे पर इसका क्या असर होगा?बीबीसी वेबसाइट के एक पाठक का सवाल
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
गर्भवती महिलाओं पर कोविड-19 के असर को समझने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन अभी बारे में बेहद सीमित जानकारी मौजूद है.
यह नहीं पता कि वायरस से संक्रमित कोई गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के दौरान इसे अपने भ्रूण या बच्चे को पास कर सकती है. लेकिन अभी तक यह वायरस एमनियोटिक फ्लूइड या ब्रेस्टमिल्क में नहीं पाया गया है.
गर्भवती महिलाओंं के बारे में अभी ऐसा कोई सुबूत नहीं है कि वे आम लोगों के मुकाबले गंभीर रूप से बीमार होने के ज्यादा जोखिम में हैं. हालांकि, अपने शरीर और इम्यून सिस्टम में बदलाव होने के चलते गर्भवती महिलाएं कुछ रेस्पिरेटरी इंफेक्शंस से बुरी तरह से प्रभावित हो सकती हैं.
मैं अपने पांच महीने के बच्चे को ब्रेस्टफीड कराती हूं. अगर मैं कोरोना से संक्रमित हो जाती हूं तो मुझे क्या करना चाहिए?मीव मैकगोल्डरिक
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
अपने ब्रेस्ट मिल्क के जरिए माएं अपने बच्चों को संक्रमण से बचाव मुहैया करा सकती हैं.
अगर आपका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज़ पैदा कर रहा है तो इन्हें ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पास किया जा सकता है.
ब्रेस्टफीड कराने वाली माओं को भी जोखिम से बचने के लिए दूसरों की तरह से ही सलाह का पालन करना चाहिए. अपने चेहरे को छींकते या खांसते वक्त ढक लें. इस्तेमाल किए गए टिश्यू को फेंक दें और हाथों को बार-बार धोएं. अपनी आंखों, नाक या चेहरे को बिना धोए हाथों से न छुएं.
बच्चों के लिए क्या जोखिम है?लंदन से लुइस
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
चीन और दूसरे देशों के आंकड़ों के मुताबिक, आमतौर पर बच्चे कोरोना वायरस से अपेक्षाकृत अप्रभावित दिखे हैं.
ऐसा शायद इस वजह है क्योंकि वे संक्रमण से लड़ने की ताकत रखते हैं या उनमें कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या उनमें सर्दी जैसे मामूली लक्षण दिखते हैं.
हालांकि, पहले से अस्थमा जैसी फ़ेफ़ड़ों की बीमारी से जूझ रहे बच्चों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.