कोरोना: एम्स में नर्सों की हड़ताल, पीपीई किट से हो रहे इन्फ़ेक्शन और रेशेज़
कमलेश
बीबीसी संवाददाता
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मास्क के कारण नाक और कान पर पड़ रहे रेशेज
“पीपीई किट में काम करना , एक पॉलिथीन में पैक होकर काम करने जैसा है. आप ना कुछ खा सकते हो, ना बाथरूम जा सकते हो और इंफ़ेक्शन का ख़तरा अलग बना रहता है.”
“माहवारी में पैड इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि वो बदल नहीं सकते इसलिए एडल्ट डायपर पहनना पड़ता है. यूटीआई से लेकर स्किन इंफ़ेक्शन तक से परेशान हैं.”
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में काम करने वाले महिला और पुरुष नर्स आजकल इन सभी परेशानियों से दो चार हो रहे हैं.
उन्होंने इन परेशानियों के संबंध में एम्स प्रशासन को भी जानकारी दी लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. इसके बाद एम्स नर्सेज़ यूनियन ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
एम्स नर्सेज़ यूनियन एक जून से अस्पताल में विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. यूनियन की माँग है कि पीपीई किट के साथ काम के घंटों को चार घंटे तक सीमित किया जाए. लंबे समय तक पीपीई किट पहनकर रखने से उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं.
नर्सेज़ यूनियन के अध्यक्ष हरीश काजला ने बताया कि 29 मई को एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया को चिट्ठी लिखकर नर्सों की समस्या से अवगत कराया गया था. लेकिन, विरोध प्रदर्शन के चार दिन बीत जाने के बाद भी उन्हें एम्स प्रशासन की तरफ़ से कोई जवाब नहीं मिला है.
यूनियन का कहना है कि विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है. साथ ही नर्सें अपनी शिफ़्ट पूरी करने के बाद प्रदर्शन में शामिल हो रही हैं ताकि इलाज में बाधा ना आए.
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महिला नर्सों की परेशानियां
पीपीई किट पहनने के बाद कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है. इसे पहनकर बाथरूम नहीं जा सकते. इसके कारण महिला नर्सों के लिए परेशानियां दोगुनी हो गई हैं.
एम्स में कोविड आईसीयू इंचार्ज रंजना बताती हैं, “पीपीई किट पहनने पर हमें एडल्ट डायपर का इस्तेमाल करना होता है. जो यूरिन रोक सकता है वो डाइपर नहीं पहनता. महिलाएं यूरिन भले ही रोक लें लेकिन माहवारी का रक्त तो नहीं रोक सकतीं. पर वो सैनिटरी पैड का इस्तेमाल भी नहीं कर सकतीं क्योंकि हैवी फ्लो में उसे बार-बार बदलना पड़ता है. हमें माहवारी और यूरिन दोनों के साथ उस डायपर में रहना होता है. छह से सात घंटे इस तरह गीलेपन में बिताना कई बीमारियों को न्योता देने जैसा है.”
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बात सरहद पार
समाप्त
यूनियन में शामिल नर्सें बताती हैं कि दो महीने से इसी तरह काम करते-करते उन्हें यूरिनरी ट्रैक्ट इंफ़ेक्शन (यूटीआई) , रेशेज़ और खुजली जैसी परेशानियां होने लगी हैं. कई नर्सों का वज़न भी कम हुआ है. लगातार मास्क पहनने से नाक और कान के पीछे लाल निशान पड़ गये हैं. अगर ये निशान ज़्यादा गहरे हो गए तो हमेशा के लिए रह भी सकते हैं.
वहीं, नर्सें सिर्फ़ शारीरिक समस्याओं का सामना नहीं कर रहीं बल्कि उनमें तनाव का स्तर भी बढ़ गया है.
रंजना बताती हैं कि अगर आठ बजे कि शिफ़्ट हो तो उसके लिए 7:30 बजे आना होता है. फिर शिफ़्ट ख़त्म होने के बाद एक घंटा रुकना ही पड़ जाता है. फिर जब हम घर पहुंचते हैं तो घरवालों से दूरी बनाकर रखनी होती है. थोड़ा भी खांसी ज़ुकाम हो जाए तो डर लगने लगता है. हमें ठीक होने और सहज होने का समय भी नहीं मिलता और अगले दिन शिफ़्ट शुरू हो जाती है.
लंबी होती शिफ़्ट
एम्स में लगभग 5000 महिला और पुरुष नर्स काम करते हैं. कोविड-19 के इलाज के लिए उन्हें पीपीई किट पहनकर काम करना होता है. उनकी मुख्य समस्या पीपीई किट पहनकर काम के घंटों को लेकर है. लंबे समय तक पीपीई किट पहनने से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है.
हरीश काजला बताते हैं, “नर्सों की छह घंटे की शिफ़्ट होती है जिसे ख़त्म करते-करते सात से आठ घंटे लग जाते हैं. पीपीई किट को पहनने और उतराने में काफ़ी समय लगता है. इसे पहनना फिर भी आसान है उसमें 15 से 20 मिनट लगते हैं लेकिन उतारते वक़्त ज़्यादा ध्यान रखना होता है. उस वक़्त इंफ़ेक्शन होने का ख़तरा भी हो सकता है. पीपीई किट उतारने के लिए लाइन लगानी होती है. इसे किसी और की मदद से उतारा जाता है और उसमें आधा घंटा से लेकर 45 मिनट तक लग जाते हैं. इस तरह छह घंटे की शिफ़्ट सात से आठ घंटे की हो जाती है.”
हरीश कहते हैं कि पीपीई किट एक पॉलिथीन की तरह है जिसमें आप बंद होते हैं. वो धीरे-धीरे पसीने से भर जाती है. कुछ घंटों बाद चश्मे में धुंध भर जाने से धुंधला दिखाई देने लगता है. घुटन के कारण किसी को उल्टी भी आ जाए तो वो ख़ुद अपनी किट नहीं उतार सकता. उसे दूसरे व्यक्ति के आने तक उसी हालत में रहना पड़ता है. ऐसे में कोई आदमी कितनी देर काम कर सकता है.
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नर्सों का एम्स में विरोध प्रदर्शन
बीमार हो रहे स्वास्थ्यकर्मी
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों का इलाज करते हुए पिछले कुछ महीनों में स्वास्थ्यकर्मी ख़ुद भी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ एम्स में अब तक 47 नर्सों समेत 329 से अधिक कर्मचारी कोविड-19 से संक्रमित पाए जा चुके हैं.
हरीश काजला का कहना है कि अगर स्वास्थ्यकर्मी ही बीमार हो गए तो मरीज़ों का इलाज कौन करेगा. वो लगातार कमज़ोर हो रहे हैं जिससे उन्हें बीमारी पकड़ने का ख़तरा भी बढ़ रहा है. इसलिए स्वास्थ्यकर्मियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. कोविड-19 की समस्या अब जल्दी ख़त्म होती नज़र नहीं आती. प्रधानमंत्री मोदी भी स्वास्थ्यकर्मी को सहयोग और सम्मान की बात कहते रहे हैं, तो फिर हमारी कोई सुनवाई क्यों नहीं होती.
एम्स नर्सेस यूनियन के जनरल सेक्रेटरी कहते हैं, “पहले के सिस्टम में हम सात दिन काम करते थे और अगले सात दिन छुट्टी होती थी. काम वाले सात दिनों में पाँच दिन कोविड-19 के लिए ड्यूटी लगती थी और बाक़ी दो दिन अन्य कामों में. दूसरे कामों के लिए हमें पीपीई किट नहीं पहननी होती है. ऐसे में पीपीई किट के कारण हुई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक होने का वक़्त मिल जाता था. लेकिन, अब तो रोज़ हमें कोविड-19 के इलाज के लिए ही काम करना होता है.”
“इसलिए हम चाहते हैं कि पीपीई किट के साथ हमारी शिफ्ट चार घंटे कर दी जाए. भले ही बाक़ी के दो घंटे कुछ और काम करवा लिया जाए. हम काम के घंटे कम नहीं कराना चाहते बल्कि पीपीई किट पहनने के घंटे कम कराना चाहते हैं.”
एम्स नर्सेस यूनियन का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकाला जाता है तो 10 जून को यूनियन एक दिन की हड़ताल बुलाएगी. इसके बावजूद भी सुनवाई नहीं होती तो 15 जून को अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी जाएगी.
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बीबीसी न्यूज़स्वास्थ्य टीम
कोरोना वायरस एक संक्रामक बीमारी है जिसका पता दिसंबर 2019 में चीन में चला. इसका संक्षिप्त नाम कोविड-19 है
सैकड़ों तरह के कोरोना वायरस होते हैं. इनमें से ज्यादातर सुअरों, ऊंटों, चमगादड़ों और बिल्लियों समेत अन्य जानवरों में पाए जाते हैं. लेकिन कोविड-19 जैसे कम ही वायरस हैं जो मनुष्यों को प्रभावित करते हैं
कुछ कोरोना वायरस मामूली से हल्की बीमारियां पैदा करते हैं. इनमें सामान्य जुकाम शामिल है. कोविड-19 उन वायरसों में शामिल है जिनकी वजह से निमोनिया जैसी ज्यादा गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं.
ज्यादातर संक्रमित लोगों में बुखार, हाथों-पैरों में दर्द और कफ़ जैसे हल्के लक्षण दिखाई देते हैं. ये लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं.
लेकिन, कुछ उम्रदराज़ लोगों और पहले से ह्दय रोग, डायबिटीज़ या कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ रहे लोगों में इससे गंभीर रूप से बीमार होने का ख़तरा रहता है.
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जब लोग एक संक्रमण से उबर जाते हैं तो उनके शरीर में इस बात की समझ पैदा हो जाती है कि अगर उन्हें यह दोबारा हुआ तो इससे कैसे लड़ाई लड़नी है.
यह इम्युनिटी हमेशा नहीं रहती है या पूरी तरह से प्रभावी नहीं होती है. बाद में इसमें कमी आ सकती है.
ऐसा माना जा रहा है कि अगर आप एक बार कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं तो आपकी इम्युनिटी बढ़ जाएगी. हालांकि, यह नहीं पता कि यह इम्युनिटी कब तक चलेगी.
कोरोना वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड क्या है?जिलियन गिब्स
मिशेल रॉबर्ट्सबीबीसी हेल्थ ऑनलाइन एडिटर
वैज्ञानिकों का कहना है कि औसतन पांच दिनों में लक्षण दिखाई देने लगते हैं. लेकिन, कुछ लोगों में इससे पहले भी लक्षण दिख सकते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि इसका इनक्यूबेशन पीरियड 14 दिन तक का हो सकता है. लेकिन कुछ शोधार्थियों का कहना है कि यह 24 दिन तक जा सकता है.
इनक्यूबेशन पीरियड को जानना और समझना बेहद जरूरी है. इससे डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों को वायरस को फैलने से रोकने के लिए कारगर तरीके लाने में मदद मिलती है.
क्या कोरोना वायरस फ़्लू से ज्यादा संक्रमणकारी है?सिडनी से मेरी फिट्ज़पैट्रिक
मिशेल रॉबर्ट्सबीबीसी हेल्थ ऑनलाइन एडिटर
दोनों वायरस बेहद संक्रामक हैं.
ऐसा माना जाता है कि कोरोना वायरस से पीड़ित एक शख्स औसतन दो या तीन और लोगों को संक्रमित करता है. जबकि फ़्लू वाला व्यक्ति एक और शख्स को इससे संक्रमित करता है.
फ़्लू और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं.
बार-बार अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं
जब तक आपके हाथ साफ न हों अपने चेहरे को छूने से बचें
खांसते और छींकते समय टिश्यू का इस्तेमाल करें और उसे तुरंत सीधे डस्टबिन में डाल दें.
आप कितने दिनों से बीमार हैं?मेडस्टोन से नीता
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
हर पांच में से चार लोगों में कोविड-19 फ़्लू की तरह की एक मामूली बीमारी होती है.
इसके लक्षणों में बुख़ार और सूखी खांसी शामिल है. आप कुछ दिनों से बीमार होते हैं, लेकिन लक्षण दिखने के हफ्ते भर में आप ठीक हो सकते हैं.
अगर वायरस फ़ेफ़ड़ों में ठीक से बैठ गया तो यह सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया पैदा कर सकता है. हर सात में से एक शख्स को अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ सकती है.
अस्थमा वाले मरीजों के लिए कोरोना वायरस कितना ख़तरनाक है?फ़ल्किर्क से लेस्ले-एन
मिशेल रॉबर्ट्सबीबीसी हेल्थ ऑनलाइन एडिटर
अस्थमा यूके की सलाह है कि आप अपना रोज़ाना का इनहेलर लेते रहें. इससे कोरोना वायरस समेत किसी भी रेस्पिरेटरी वायरस के चलते होने वाले अस्थमा अटैक से आपको बचने में मदद मिलेगी.
अगर आपको अपने अस्थमा के बढ़ने का डर है तो अपने साथ रिलीवर इनहेलर रखें. अगर आपका अस्थमा बिगड़ता है तो आपको कोरोना वायरस होने का ख़तरा है.
क्या ऐसे विकलांग लोग जिन्हें दूसरी कोई बीमारी नहीं है, उन्हें कोरोना वायरस होने का डर है?स्टॉकपोर्ट से अबीगेल आयरलैंड
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
ह्दय और फ़ेफ़ड़ों की बीमारी या डायबिटीज जैसी पहले से मौजूद बीमारियों से जूझ रहे लोग और उम्रदराज़ लोगों में कोरोना वायरस ज्यादा गंभीर हो सकता है.
ऐसे विकलांग लोग जो कि किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं और जिनको कोई रेस्पिरेटरी दिक्कत नहीं है, उनके कोरोना वायरस से कोई अतिरिक्त ख़तरा हो, इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं.
जिन्हें निमोनिया रह चुका है क्या उनमें कोरोना वायरस के हल्के लक्षण दिखाई देते हैं?कनाडा के मोंट्रियल से मार्जे
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
कम संख्या में कोविड-19 निमोनिया बन सकता है. ऐसा उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जिन्हें पहले से फ़ेफ़ड़ों की बीमारी हो.
लेकिन, चूंकि यह एक नया वायरस है, किसी में भी इसकी इम्युनिटी नहीं है. चाहे उन्हें पहले निमोनिया हो या सार्स जैसा दूसरा कोरोना वायरस रह चुका हो.
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकारें इतने कड़े कदम क्यों उठा रही हैं जबकि फ़्लू इससे कहीं ज्यादा घातक जान पड़ता है?हार्लो से लोरैन स्मिथ
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
शहरों को क्वारंटीन करना और लोगों को घरों पर ही रहने के लिए बोलना सख्त कदम लग सकते हैं, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो वायरस पूरी रफ्तार से फैल जाएगा.
फ़्लू की तरह इस नए वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है. इस वजह से उम्रदराज़ लोगों और पहले से बीमारियों के शिकार लोगों के लिए यह ज्यादा बड़ा ख़तरा हो सकता है.
क्या खुद को और दूसरों को वायरस से बचाने के लिए मुझे मास्क पहनना चाहिए?मैनचेस्टर से एन हार्डमैन
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
पूरी दुनिया में सरकारें मास्क पहनने की सलाह में लगातार संशोधन कर रही हैं. लेकिन, डब्ल्यूएचओ ऐसे लोगों को मास्क पहनने की सलाह दे रहा है जिन्हें कोरोना वायरस के लक्षण (लगातार तेज तापमान, कफ़ या छींकें आना) दिख रहे हैं या जो कोविड-19 के कनफ़र्म या संदिग्ध लोगों की देखभाल कर रहे हैं.
मास्क से आप खुद को और दूसरों को संक्रमण से बचाते हैं, लेकिन ऐसा तभी होगा जब इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और इन्हें अपने हाथ बार-बार धोने और घर के बाहर कम से कम निकलने जैसे अन्य उपायों के साथ इस्तेमाल किया जाए.
फ़ेस मास्क पहनने की सलाह को लेकर अलग-अलग चिंताएं हैं. कुछ देश यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके यहां स्वास्थकर्मियों के लिए इनकी कमी न पड़ जाए, जबकि दूसरे देशों की चिंता यह है कि मास्क पहने से लोगों में अपने सुरक्षित होने की झूठी तसल्ली न पैदा हो जाए. अगर आप मास्क पहन रहे हैं तो आपके अपने चेहरे को छूने के आसार भी बढ़ जाते हैं.
यह सुनिश्चित कीजिए कि आप अपने इलाके में अनिवार्य नियमों से वाकिफ़ हों. जैसे कि कुछ जगहों पर अगर आप घर से बाहर जाे रहे हैं तो आपको मास्क पहनना जरूरी है. भारत, अर्जेंटीना, चीन, इटली और मोरक्को जैसे देशों के कई हिस्सों में यह अनिवार्य है.
अगर मैं ऐसे शख्स के साथ रह रहा हूं जो सेल्फ-आइसोलेशन में है तो मुझे क्या करना चाहिए?लंदन से ग्राहम राइट
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
अगर आप किसी ऐसे शख्स के साथ रह रहे हैं जो कि सेल्फ-आइसोलेशन में है तो आपको उससे न्यूनतम संपर्क रखना चाहिए और अगर मुमकिन हो तो एक कमरे में साथ न रहें.
सेल्फ-आइसोलेशन में रह रहे शख्स को एक हवादार कमरे में रहना चाहिए जिसमें एक खिड़की हो जिसे खोला जा सके. ऐसे शख्स को घर के दूसरे लोगों से दूर रहना चाहिए.
मैं पांच महीने की गर्भवती महिला हूं. अगर मैं संक्रमित हो जाती हूं तो मेरे बच्चे पर इसका क्या असर होगा?बीबीसी वेबसाइट के एक पाठक का सवाल
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
गर्भवती महिलाओं पर कोविड-19 के असर को समझने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन अभी बारे में बेहद सीमित जानकारी मौजूद है.
यह नहीं पता कि वायरस से संक्रमित कोई गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी या डिलीवरी के दौरान इसे अपने भ्रूण या बच्चे को पास कर सकती है. लेकिन अभी तक यह वायरस एमनियोटिक फ्लूइड या ब्रेस्टमिल्क में नहीं पाया गया है.
गर्भवती महिलाओंं के बारे में अभी ऐसा कोई सुबूत नहीं है कि वे आम लोगों के मुकाबले गंभीर रूप से बीमार होने के ज्यादा जोखिम में हैं. हालांकि, अपने शरीर और इम्यून सिस्टम में बदलाव होने के चलते गर्भवती महिलाएं कुछ रेस्पिरेटरी इंफेक्शंस से बुरी तरह से प्रभावित हो सकती हैं.
मैं अपने पांच महीने के बच्चे को ब्रेस्टफीड कराती हूं. अगर मैं कोरोना से संक्रमित हो जाती हूं तो मुझे क्या करना चाहिए?मीव मैकगोल्डरिक
जेम्स गैलेगरस्वास्थ्य संवाददाता
अपने ब्रेस्ट मिल्क के जरिए माएं अपने बच्चों को संक्रमण से बचाव मुहैया करा सकती हैं.
अगर आपका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज़ पैदा कर रहा है तो इन्हें ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पास किया जा सकता है.
ब्रेस्टफीड कराने वाली माओं को भी जोखिम से बचने के लिए दूसरों की तरह से ही सलाह का पालन करना चाहिए. अपने चेहरे को छींकते या खांसते वक्त ढक लें. इस्तेमाल किए गए टिश्यू को फेंक दें और हाथों को बार-बार धोएं. अपनी आंखों, नाक या चेहरे को बिना धोए हाथों से न छुएं.
बच्चों के लिए क्या जोखिम है?लंदन से लुइस
बीबीसी न्यूज़हेल्थ टीम
चीन और दूसरे देशों के आंकड़ों के मुताबिक, आमतौर पर बच्चे कोरोना वायरस से अपेक्षाकृत अप्रभावित दिखे हैं.
ऐसा शायद इस वजह है क्योंकि वे संक्रमण से लड़ने की ताकत रखते हैं या उनमें कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या उनमें सर्दी जैसे मामूली लक्षण दिखते हैं.
हालांकि, पहले से अस्थमा जैसी फ़ेफ़ड़ों की बीमारी से जूझ रहे बच्चों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.