अलेक्सी नवेलनीः रूसी विपक्षी नेता को ज़हर दिया गया - जर्मनी..

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जर्मन सरकार का कहना है कि रूस के विपक्षी राजनेता अलेक्सी नवेलनी को नोविचोक नर्व एजेंट से ज़हर दिया गया था.
उसने कहा है कि एक सैन्य लेबोरेट्री में हुए टॉक्सिकोलॉजी टेस्टों में नोविचोक ग्रुप के एक एजेंट के पाए जाने का पक्का सबूत मिला है.
पिछले महीने एक विमान यात्रा के दौरान तबीयत ख़राब होने पर नवेलनी को इलाज के लिए बर्लिन ले जाया गया था. वो वहाँ तब से कोमा में हैं.
उनके प्रतिनिधियों का आरोप है कि उन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश पर ज़हर दिया गया जिसे रूस सरकार ने ख़ारिज कर दिया है.
जर्मन सरकार ने कहा है कि वो इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा करती है. उसने रूस से फ़ौरन इस बारे में सफ़ाई देने के लिए कहा है.
जर्मन सरकार ने कहा, "ये बहुत ही परेशान करने वाली बात है कि अलेक्सी नवेलनी रूस के भीतर एक केमिकल नर्व एजेंट के शिकार हो गए. "
उसने एक बयान में कहा है कि चांसलर एंगेला मर्केल ने वरिष्ठ मंत्रियों से चर्चा की है कि आगे क्या क़दम उठाए जाएँ.
रूसी समाचार एजेंसी तास के अनुसार रूस सरकार ने कहा है कि उन्हें जर्मनी से ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है कि अलेक्सी नवेलनी को ज़हर दिया गया.
जर्मन सरकार ने कहा कि वो "यूरोपीय संघ और नेटो को टेस्ट के नतीजों की सूचना देगी और सरकार अपने सहयोगियों के साथ एक समुचित साझा जवाब देने के बारे में चर्चा करेगी".
एलेक्सी नवेल्नी कौन हैं, जिन्हें 'ज़हर' दिया गया?
कौन हैं अलेक्सी नवेलनी?
44 वर्षीय नवेलनी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कड़े आलोचक माने जाते हैं.
नवेलनी को साल 2011 में गिरफ़्तार भी किया गया था और उन्हें 15 दिनों के लिए जेल भेजा गया था.
उन्होंने पुतिन की पार्टी पर संसदीय चुनाव के दौरान वोटों में धांधली का आरोप लगाया था और विरोध प्रदर्शन भी किया था जिसके बाद उन्हें गिरफ़्तार किया गया था. पुतिन की यूनाइटेड रूस पार्टी को उन्होंने 'बदमाशों और चोरों की पार्टी' कहा था.
जुलाई 2013 में भी कुछ समय के लिए उन्हें जेल भेजा गया था. उन पर ग़बन के आरोप लगे थे. लेकिन उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई क़रार दिया था.
वर्ष 2018 में उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने की कोशिश की थी, लेकिन धोखाधड़ी के आरोपों के कारण उनपर रोक लगा दी गई. नवेलनी ने इसे भी राजनीतिक क़दम बताया था.
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जुलाई 2019 में अनाधिकृत रूप से विरोध प्रदर्शन का आह्वान करने के कारण उन्हें 30 दिन जेल की सज़ा हुई थी. जेल में ही उनकी तबीयत बिगड़ गई थी. उस समय भी ये आरोप लगे थे कि उन्हें ज़हर देने की कोशिश हुई.
वर्ष 2017 में उन पर हमला हुआ था. उस समय उन पर एंटिसेप्टिक डाई से हमला हुआ जिस वजह से उनकी दाहिनी आँख 'केमिकल बर्न' से प्रभावित हुई थी.
पिछले साल ही उनके 'एंटी करप्शन फ़ाउंडेशन' को विदेशी एजेंट घोषित किया गया था. इस कारण फ़ाउंडेशन को कड़ी जाँच प्रक्रिया से गुज़रना पड़ा.
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