क्या कश्मीरी चरमपंथियों को बिहार से मिल रहे हैं हथियार?
- टीम हिंदी
- बीबीसी दिल्ली

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जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग़ सिंह
"कश्मीर के चरमपंथी बिहार से हथियार लेकर आतंकी हमलों के लिए मिलिटेंट्स के बीच बांट रहे हैं."
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बीते रविवार जम्मू में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये जानकारी दी.
उन्होंने बताया है कि इस काम के लिए पंजाब में पढ़ रहे कुछ कश्मीरी विद्यार्थियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
उनके अनुसार, अब तक जो सात पिस्तौल बरामद किये गए हैं, वो बिहार के छपरा ज़िले से लाए गए थे. लेकिन छपरा पुलिस का कहना है कि उसे इसकी कोई जानकारी नहीं थी.
डीजीपी दिलबाग सिंह का ये बयान 6 फ़रवरी को दो कथित कश्मीरी चरमपंथी कमांडरों, हिदायतुल्लाह मलिक और ज़हूर अहमद की गिरफ़्तारी के बाद आया है.
दिलबाग सिंह ने दावा किया कि हिदायतुल्लाह मलिक ने पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कहने पर स्थानीय तौर पर लश्कर-ए-मुस्तफ़ा नाम का संगठन बनाया है जिसका काम अलग-अलग रास्तों से हथियार हासिल करना है, इसके लिए इसने पंजाब में एक नेटवर्क तैयार किया था जिसमें उनके मुताबिक़ कश्मीर से पढ़ने आये विद्यार्थी शामिल थे.
बिहार से हथियारों की तस्करी
गिरफ़्तार हुए कथित चरमंपथी हिदायतुल्लाह मलिक के ज़रिये बिहार से हथियारों की सप्लाई के बारे में बोलते हुए दिलबाग सिंह ने कहा, "पंजाब में इसके (हिदायतुल्लाह मलिक के) जो साथी हैं उनके ज़रिये से बिहार से हथियार मंगवाने का नेटवर्क खड़ा किया था और बिहार से अभी तक सात से ज़्यादा पिस्टल लाये जा चुके हैं और अलग-अलग आतंकी कार्रवाईओं के लिए उन्हें आगे बाँटा गया है."
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ये अभी साफ़ नहीं हो सका है कि कश्मीरी चरमपंथी संगठनों के लिए बिहार से हथियारों का मंगवाना एक नया रुझान है. जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने बताया कि बिहार से ये हथियार छपरा से मंगाए गए थे. तो क्या छपरा में इन हथियारों को बेचने वालों की शिनाख़्त हो सकी है? इस सिलसिले में शहर में किसी की गिरफ़्तारी अमल में आयी है? दोनों सवालों का जवाब है नहीं.
छपरा के पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि उन्हें इसकी जानकारी पत्रकारों से ही मिली है.
उन्होंने कहा, "मेरे पास आधिकारिक रूप से इस बारे में कोई सूचना नहीं है. आप जैसे ही प्रेस वाले फोन करके पूछ रहे हैं तो हमें इसकी जानकारी मिली है. उन्होंने कहा कि उनके पास कोई जानकारी नहीं है लेकिन अब वो इस बारे में पता लगाएंगे."
तो क्या जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इतनी अहम बात को छपरा पुलिस से साझा नहीं किया?
बीबीसी ने दिलबाग सिंह और जम्मू के पुलिस अधिकारी एम के सिन्हा से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया.
हालांकि, बिहार के डीजीपी एस के सिंघल की बातों से लगा कि उन्हें सारी बातें मालूम थीं लेकिन जवाब उन्होंने गोल-मोल तरीके से दिया.
बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "हमारी टीम अपने कॉउंटरपार्ट से पूरी तरह से संपर्क में है. अभी इस पर कुछ कहना समय से पहले होगा. इस पर जब पूरी जानकारी हासिल हो जाएगी तो हम ज़रूर आपके साथ साझा करेंगे"
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पहला मामला
कश्मीर में सक्रिय चरमपंथी संगठनों को हथियार कई तरीकों से हासिल होते हैं लेकिन बिहार से हथियारों की कथित तस्करी का मामला पहली बार सामने आया है
पिछले दो दशकों में बिहार के मुंगेर ज़िले में अवैध हथियारों की तस्करी के कई मामले सामने आये हैं. इनमें एक बड़ा मामला पिछले साल सामने आया था जिसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है.
बिहार के डीजीपी सिंघल ने कहा कि इस पर उन्हें कुछ कामयाबी मिली है.
वे कहते हैं, "हम लोगों ने कई छापे मारे हैं और दर्जनों अवैध हथियार बरामद किये हैं. उस पर अब भी काम चल रहा है."
कुछ समय पहले तक मुंगेर लाइसेंस हथियारों की फ़ैक्टरियों के लिए जाना जाता था. लेकिन जैसे-जैसे लाइसेंस हथियारों को हासिल करने के नियम और क़ानून सख़्त होने लगे, वैसे-वैसे इनकी कीमतें आसमान को छूने लगीं जिसके कारण इनकी मांग कम होने लगी और सस्ते दामों में हथियारों की बिक्री बढ़ने लगी. इनकी पैदावार के लिए अवैध फैक्टरियां बिहार के मुंगेर और पश्चिमी बंगाल के मालदा ज़िले में लगाई जाने लगीं. अवैध हथियारों की मांग नक्सल इलाक़ों में होने लगी जिसके बाद अधिकारियों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेना शुरू किया.
लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर बिहार में बने अवैध हथियार चरमपंथियों के हाथों बिक रहे हैं तो ये देश की सुरक्षा का एक गंभीर मुद्दा बन सकता है.
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