भोपाल में बलात्कार के मामले में 35 दिन बाद टूटी पुलिस की नींद, क्या है पूरा मामला

  • शुरैह नियाज़ी
  • भोपाल से, बीबीसी हिंदी के लिए
प्रतीकात्मक तस्वीर

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक लड़की के साथ बलात्कार की कोशिश और फिर उसकी हत्या के प्रयास के मामले में क़रीब एक महीने बाद पुलिस ने बाद उचित धाराओं के तहत जांच शुरू की है.

पीड़िता के पुलिस को ये बताने के बावजूद कि उसके साथ बलात्कार की कोशिश की गई है, पुलिस ने इस मामले में 17 जनवरी को जो एफ़आईआर दर्ज की उसमें इसे छेड़छाड़ और मारपीट का मामला बताया.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले पर ट्वीट कर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार से सवाल किए हैं.

उन्होंने कहा, "भोपाल रेप पीड़िता एक महीने बाद भी न्याय से कोसों दूर है, क्योंकि बीजेपी हमेशा पीड़िता को ही बलात्कार का ज़िम्मेदार ठहराती है और कार्रवाई में ढिलाई बरतती है. इसका फायदा अपराधियों को होता है. क्या यही है सरकार के 'बेटी बचाओ' का सच!"

वहीं बीजेपी का कहना है कि इस मामले में दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा. बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा, "मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा से महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देते है. यही वजह है कि उन्होंने बेटियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिये कई कदम उठाए हैं."

उनका दावा है कि "इस मामले में भी किसी को छोड़ा नहीं जाएगा. जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी, उसे कड़ी सज़ा दी जाएगी."

हालांकि सामाजिक कार्यकर्ता रोली शिवहरे का कहना है कि इस घटना से प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के दावों और हकीक़त के बीच के फर्क़ का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.

उन्होंने कहा, "एक महीने बाद मामला मीडिया की वजह से सामने आया है, तब जाकर पुलिस इसे गंभीरता से ले रही है. ये घटना तो राजधानी की है, लेकिन हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि प्रदेश के दूरदराज़ के इलाक़ों की स्थिति क्या होगी"

इमेज स्रोत, Shuriah Niazi

सवालों के घेरे में पुलिस

घटना की जानकारी सामने आते ही, पुलिस ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी है और 19 फरवरी को एफ़आईआर में बलात्कार और जानलेवा हमले की धाराओं को भी जोड़ा है.

लेकिन इस पूरे मामले में पुलिस की कारवाई पर सवाल उठाये जा रहे हैं कि आख़िर पुलिस प्रशासन की नींद टूटने में 35 दिन क्यों लग गए.

घटना सामने आने के बाद कलेक्टर और डीआईजी ने पीड़िता से मुलाक़ात की है. क्षेत्र के थाना इंचार्ज को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है, लेकिन उन्हें पद से हटाया नहीं गया है.

भोपाल के डीआईजी इरशाद वली ने बीबीसी को बताया, "इस मामले में एसआईटी का गठन कर दिया गया है जो पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करेगी."

इरशाद वली ने इस बात से इन्कार किया है कि थाना प्रभारी के ख़िलाफ कोई कारवाई की गई है.

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पीड़िता के साथ क्या हुआ?

24 साल की पीड़िता ने घटना के बारे में जो बताया, उसके मुताबिक़ 16 जनवरी की शाम को रोज़ाना की तरह ईवनिंग वॉक के लिए घर से बाहर निकली थी. वो सड़क किनारे चल रही थी, तभी क़रीब आकर एक लड़के ने उसे धक्का दे दिया. धक्का लगने से वो सड़क के किनारे एक गहरे गड्ढे में गिरी. इस कारण उसे कई जगह चोटें आई और उसकी रीढ़ की हड्‌डी भी टूट गई.

पीड़िता के मुताबिक़, इसके बाद लड़के ने उसके साथ ज़बरदस्ती बलात्कार करने की कोशिश की और इस कोशिश में उसे कई जगह दांतों से काटा. लड़की के सिर पर भी लड़के ने पत्थर से कई बार हमले किए.

इस दौरान लड़की की चीख-पुकार सुनकर सड़क से गुज़र रहे दो लोग मदद के लिए पहुंचे. तब तक पीड़िता लगभग बेहोश हो चुकी थी. उसे एम्स अस्पताल ले जाया गया.

पीड़िता के शरीर में कई जगह गंभीर चोटें हैं जिन्हें ठीक होने में शायद कई महीनों लग जाएं. रीढ़ की हड्डी टूटने की वजह से उसके शरीर में मेटल रॉड लगाई गई है और कमर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है.

अपने साथ घटी इस घटना से उबरने की कोशिश कर रही पीड़िता पुलिस के रवैये से हैरान है. घटना के अगले दिन 17 जनवरी को पुलिस ने इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की. पीड़िता का कहना है कि उसने पुलिस को पूरी घटना के बारे में स्पष्ट तौर पर बताया था, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया.

जिस क्षेत्र में ये घटना हुई वहां की एक दुकान पर लगे सीसीटीवी कैमरे से पुलिस को घटना का वीडियो मिला. वीडियो में एक लड़का, पीड़िता को धक्का देते हुए दिख रहा है. पीड़िता का कहना है कि इसके बावजूद पुलिस ने अभियुक्त को पकड़ने की कोशिश नहीं की.

पुलिस ने इस मामले में अनिल बोरकर नाम के एक व्यक्ति को पकड़ा और उसकी शिनाख़्त पीड़िता के बजाए उसकी मां से करवाई. हालांकि पीड़िता की मां का कहना है, "सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा व्यक्ति और पकड़ा गया व्यक्ति दोनों अलग हैं."

इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए है. पुलिस ने जो जांच टीम बनाई है, वो भी सवालों के घेरे में है.

एसआईटी में उसी थाने के अधिकारियों को शामिल किया गया है जहां ये मामला दर्ज है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि यही अधिकारी पहले से ही मामले की जांच कर रहे थे, तो फिर एसआईटी अलग से गठित करने का क्या फायदा है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताज़ा आकड़ों के अनुसार, बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश का स्थान देश में तीसरे नंबर पर आता है. पहले नंबर पर राजस्थान जबकि दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है.

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