हरियाणा: मनोहर लाल खट्टर की सरकार के ख़िलाफ़ लाया गया अविश्वास मत का प्रस्ताव गिरा

मनोहर लाल खट्टर

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किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने बुधवार को विधानसभा में ये साबित कर दिया कि उनके साथ पर्याप्त विधायक हैं.

भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार के ख़िलाफ़ विपक्षी कांग्रेस ने विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था.

खट्टर सरकार के पक्ष में 55 विधायकों ने वोट दिया जबकि अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 32 विधायक थे.

इससे पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा था कि किसान आंदोलन पर राज्य सरकार के रवैये से लोगों ने सरकार में विश्वास खो दिया है.

वहीं दूसरी ओर हरियाणा सरकार में मंत्री और मुख्य सचेतक कंवर पाल ने पार्टी विधायकों को व्हिप जारी करके बुधवार को विधानसभा की कार्यवाही के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया था.

पार्टी के सभी विधायकों से कहा गया था कि "वे नेतृत्व की अनुमति के बिना सदन से बाहर न जाएं. चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा होगी. सदस्यों से अनुरोध है कि वे मत विभाजन और मतदान के समय उपस्थित रहें."

बीजेपी के सहयोगी दल जेजेपी ने भी अपने विधायकों को व्हिप जारी किया था. दूसरी ओर किसान एकता मंच के नेताओं ने भी आम जनता से अपील की थी कि वह अपने क्षेत्र के विधायकों पर दबाव बनाएं कि वह अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट दें.

सीटों का क्या है गणित

आँकड़ों की बात करें तो बीजेपी-जेजेपी के लिए ये प्रस्ताव बड़ी मुश्किल साबित होगा ऐसा नहीं लग नहीं रहा था.

किसान आंदोलन के समर्थन में अभय सिंह चौटाला के इस्तीफ़े और कांग्रेस के विधायक प्रदीप चौधरी को एक आपराधिक मामले में हुई सज़ा के बाद 90 सीटों वाली विधानसभा में अब 88 विधायक रह गए हैं.

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अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में बीजेपी-जेजेपी को 45 वोटों की ज़रूरत थी. इस वक़्त दोनों पार्टियों के पास मिला कर 50 विधायक हैं.

इसके अलावा पाँच निर्दलीय विधायक बीजेपी के समर्थन में थे. इनमें रनिया से विधायक रंजीत सिंह चौटाला, नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंडर, पंडरी से विधायक रणधीर सिंह, बादशाहपुर से विधायक राकेश दौलताबाद और पृथला से विधायक नयन पाल रावत शामिल हैं.

केवल दो निर्दलीय विधायक, चरखी-दादरी से सोमबीर सांगवान और मेहम से विधायक बलराम कुंडु सरकार के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन पर राय रखते रहे हैं और कांग्रेस के साथ हैं.

इसके अलावा दो जेजेपी विधायक जोगीराम सिहाग और देविंदर बाबिल किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया था. अभी कांग्रेस के अविश्वास मत के पक्ष में 32 विधायक हैं, जिनमें 30 ख़ुद कांग्रेस के हैं और दो निर्दलीय विधायक हैं.

कांग्रेस ने भी व्हिप जारी करके विधायकों की उपस्थिति अनिवार्य की है.

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विधायकों की मौजूदगी के लिए पार्टियों के व्हिप

तीनों ही पार्टियों ने अपना दम-ख़म दिखाते हुए अपने-अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी किया था.

जेजेपी के कुछ विधायकों के किसानों को दिए गए समर्थन को देखते हुए दुष्यंत चौटाला ने भी 'तीन लाइन' का व्हिप जारी किया था. इसमें कहा गया है कि सरकार के समर्थन में वोट करना होगा.

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