किसान आंदोलन स्थगित, नेताओं ने कहा - सरकार वादे से मुकरी तो फिर होगा आंदोलन

किसान आंदोलन

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संयुक्त किसान मोर्चा ने बीते वर्ष 26 नवंबर से चल रहे किसान आंदोलन को स्थगित करने का एलान कर दिया है. 11 दिसंबर से किसान धरना स्थल से हटना शुरू कर देंगे.

सरकार से बातचीत के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय कमेटी के सभी सदस्यों के साथ योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये जानकारी दी.

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किसान नेताओं ने कहा है कि वे 11 दिसंबर से अपने घर लौटना शुरू कर देंगे. नेताओं का कहना है कि 15 जनवरी को एक बार फिर वे स्थिति की समीक्षा करेंगे और अगर केंद्र सरकार वादे पूरे नहीं करती है, तो वे फिर आंदोलन करेंगे.

किसान नेताओं ने कहा कि, "15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा समीक्षा बैठक करेगा, अगर केंद्र सरकार ने बातें नहीं मानीं तो आंदोलन फिर शुरू होगा."

पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लेने का फ़ैसला किया था, जिसके बाद आंदोलन ख़त्म होने की उम्मीद बँधी थी.

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किसान नेताओं ने क्या कहा

इस दौरान योगेंद्र यादव ने कहा, "11 दिसंबर से पूरे देश में जहां कहीं भी किसान धरने पर बैठे हैं वो उठा लिया जाएगा."

उन्होंने कहा, "किसान ने अपना खोया हुआ आत्मसम्मान हासिल किया है, किसानों ने एकता बनाई है, किसानों ने राजनैतिक ताक़त का एहसास किया है."

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किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी

इस मौके पर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, "हर माह समीक्षा होगी. अगर सरकार अपने वादे से मुकरी तो फिर आंदोलन शुरू करेंगे."

किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि, "11 दिसंबर से किसान अपने घर लौटना शुरू कर देंगे."

वहीं किसान नेता बलबीर राजेवाल ने कहा कि "अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे हैं. लेकिन यह मोर्चे का अंत नहीं है. हमने इसे स्थगित किया है. 15 जनवरी को फिर संयुक्त किसान मोर्चा की फिर मीटिंग होगी जिसमें आंदोलन की समीक्षा करेंगे."

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किसान नेता शिवकुमार शर्मा 'कक्का जी'

किसान नेता शिव कुमार शर्मा ने कहा, "अभी फ़सल बीमा जैसे कई सवाल है. संयुक्त किसान मोर्चा कायम रहेगा, इसे और ज़्यादा ताक़तवर हम मिलकर बनाएंगे. 15 जनवरी को दिल्ली में इसकी बैठक आयोजित की जाएगी."

उन्होंने कहा, "किसान आंदोलन में साढ़े पांच सौ से ज़्यादा संगठन एकजुट होकर साथ आए हैं. ये एक ज़बरदस्त मिसाल है. हमारी मेहनतकश जनता में एक विश्वास आया है कि अगर हम अपनी मांगों के लिए एकजुट होकर लड़े तो हमारी जीत होगी."

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संयुक्त किसान मोर्चा को उनकी मांगों को लेकर भारत सरकार से मिला आधिकारिक पत्र

किन पांच मांगों पर किसानों की सरकार से बनी सहमति

किसान नेताओं ने बताया कि कृषि सचिव संजय अग्रवाल की तरफ से उन्हें चिट्टी आई है जिसमें उनकी कई मांगों पर सहमति बन गई है. ये पांच मांगें हैं -

एमएसपी- केंद्र सरकार इसे लेकर एक किसान कमेटी बनाएगी जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि लिए जाएंगे. जिन फललों पर अभी एमएसपी मिल रहा है वो जारी रहेगा.

किसानों से केस वापसी- हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड सरकार केस वापसी पर सहमत हो गई है. दिल्ली, अन्य प्रदेश और रेलवे भी तत्काल केस वापसी करेंगे.

मुआवज़ा- यूपी और हरियाणा में सहमति बन गई है. पंजाब की तर्ज पर यहां भी पांच लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाएगा.

बिजली बिल- किसानों पर असर डालने वाले प्रावधानों पर पहले सभी पक्षों के साथ चर्चा होगी. किसान मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा.

पराली- भारत सरकार ने जो क़ानून पारित किए हैं उसकी धारा 14 और 15 में क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसानों को मुक्त किया गया है.

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सालभर से अधिक दिल्ली के बॉर्डर पर डटे रहे किसान

बीते एक साल से भी अधिक समय से पंजाब, हरियाणा के हज़ारों किसानों ने राजधानी दिल्ली से सटी सीमाओं पर जुट कर विवादास्पद तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन किया. उन्हें देश भर के किसानों, ख़ास कर यूपी के, किसानों का भारी समर्थन मिला.

हालांकि इस वर्ष प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से माफ़ी मांगते हुए तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की घोषणा की और संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार ने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस ले लिया.

लेकिन कृषि उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को क़ानूनी रूप से लागू करने और किसानों पर दर्ज सभी मुक़दमों (धारा 302 और 307 के केस छोड़कर) को वापस लेने की मांग पर किसानों ने दिल्ली की सीमा पर डटे रहने का फ़ैसला किया.

इस दौरान सरकार के साथ सभी कृषि मुद्दों को लेकर बातचीत के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने पांच सदस्यीय समिति का एलान किया.

इस समिति में बलबीर सिंह राजेवाल, शिव कुमार शर्मा, अशोक भावले, युद्धवीर सिंह और गुरुनाम सिंह चढ़ूनी शामिल हैं.

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संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति के सदस्य

इसके बाद लगातार सरकार के साथ बातचीत चलती रही और किसान नेता एमएसपी की गारंटी, किसानों पर दर्ज मुक़दमे (धारा 302 और 307 के केस छोड़कर) की वापसी और जान गंवाने वाले किसानों के परिवार को मुआवज़ा दिए जाने की मांग के अलावा बिजली बिल 2020 को रद्द किए जाने और पराली जलाने पर होने वाली कार्रवाई को रोकने की मांग पर अड़े रहे.

आखिरकार गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि सभी बड़ी मांगों पर सरकार के साथ सहमति बन गई है.

इसके साथ ही गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को 11 दिसंबर से स्थगित करने की घोषणा की है और कहा कि इसकी समीक्षा बैठक 15 जनवरी को दिल्ली में होगी और किसानों की मांगों को लेकर सरकार के रुख के अनुसार आगे का फ़ैसला लिया जाएगा.

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