जनरल बिपिन रावत का गांव: 'जब भी यहां आते तो गढ़वाली में बात करते'

  • शहबाज़ अनवर
  • बीबीसी हिंदी के लिए
अपने पिता के साथ जनरल बिपिन रावत

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अपने पिता के साथ जनरल बिपिन रावत

"जनरल बिपिन रावत राष्ट्र हित के लिए ही बने थे पर वह आत्मिक रूप से अपने गांव शहर से कभी दूर नहीं हुए. वह यहां विकास चाहते थे. अब वह भले ही नहीं रहे हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि उनके पैतृक गांव मैं जनरल बिपिन रावत के नाम से सरकार सैनिक स्कूल या फिर अस्पताल बनवाए."

ये बातें ज़िला पौड़ी गढ़वाल के ब्लॉक द्वारीखाल के गांव जवाड़ निवासी प्रकाश सिंह तोमर ने कहीं.

प्रकाश सिंह पेशे से ठेकेदार हैं और जनरल बिपिन रावत के गांव से ही संबंध रखते हैं.

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सत्य प्रकाश कंडवाल

इसी गांव के एक अन्य आर्मी रिटायर्ड सत्य प्रकाश कंडवाल भी जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी की मौत पर काफ़ी दुखी हैं.

वह कहते हैं, "जनरल बिपिन हमारे गौरव थे. उनकी मौत से हम टूट गए हैं. वह काफ़ी सरल स्वभाव के व्यक्ति थे. मैं भी आर्मी से रिटायर हूं. ऐसे में मेरी निगाह में जनरल बिपिन रावत का सम्मान दोगुना था."

आर्मी से ही रिटायर उनके गांव के एक अन्य व्यक्ति संजय तोमर भी जनरल बिपिन रावत की मौत पर काफ़ी दुखी हैं.

वे कहते हैं, "मैं जनरल बिपिन रावत से कुछ समय पूर्व लैंसडाउन में मिला था. वह बिल्कुल सरल स्वभाव के थे. उनकी मौत की पूर्ति नहीं की जा सकती है. वह अमर हो गए हैं."

चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत का बुधवार (8 दिसंबर, 2021) को हेलिकॉप्टर हादसे में निधन हो गया. इस दुर्धटना में उनकी पत्नी समेत सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और जवानों की भी मौत हुई है.

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योगेन्द्र सिंह बिष्ट

घर तक पक्की सड़क चाहते थे जनरल बिपिन

उत्तराखंड के ज़िला पौड़ी गढ़वाल में द्वारीखाल ब्लॉक के अंतर्गत जनरल बिपिन रावत का गांव सैण स्थित है.

स्थानीय निवासी योगेंद्र सिंह कहते हैं, "ब्लॉक द्वारीखाल से सैण की दूरी लगभग 13 किलोमीटर है. यहां मदनपुर धुल गांव तक सड़क बनी हुई है, लेकिन यहां से क़रीब डेढ़ से दो किलोमीटर दूरी पर ही गांव सैण तक पक्का मार्ग नहीं है."

जनरल बिपिन रावत के पैतृक गांव निवासी संजय तोमर कहते हैं, "देखिए मदनपुर धुलगांव और सैण के बीच पक्का मार्ग नहीं बना हुआ है. इस मार्ग निर्माण के पक्का बनने की चाह जनरल बिपिन रावत रखते थे. लगभग एक हफ़्ते पहले जनरल बिपिन रावत के भाई सुरेंद्र रावत, जो मर्चेंट नेवी से रिटायर हैं, मुंबई से यहां पहुंचे थे. अधिकारियों से मिले थे और मार्ग निर्माण की मांग की थी. जनरल बिपिन रावत भी रिटायरमेंट के बाद यहां रहना चाहते थे."

गांव में फ़िलहाल जनरल बिपिन रावत के चाचा भरत रावत अपनी पत्नी सुशीला देवी के साथ रहते हैं. वह भी आर्मी से रिटायर हैं. जनरल बिपिन की मौत के बाद वह दिल्ली गए हैं.

गांव आते तो गढ़वाली में बात करते थे

जनरल बिपिन रावत भले ही अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनके गांव के लोग भारत के प्रथम सीडीएस को याद कर काफ़ी दुखी हैं. अधिकांश लोग जनरल बिपिन रावत के सरल स्वभाव से काफ़ी प्रभावित दिखते हैं.

ग्रामीण योगेंद्र कुमार कहते हैं, "इतने बड़े पद पर आसीन होने के बाद जनरल बी पी रावत का गांव में आना काफ़ी कम रहता था, लेकिन वह जब कभी भी गांव में आते तो गढ़वाली भाषा में ही अपने लोगों से बात किया करते थे."

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