मनोहर लाल खट्टर बोले- खुले में नमाज़ को क़तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

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दिल्ली से सटे हरियाणा राज्य के गुड़गाँव में हर शुक्रवार को खुले में नमाज़ पढ़ने के दौरान हिंदूवादी संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बीच राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि खुले में नमाज़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को कहा कि 'खुले में नमाज़ पढ़ने को कतई भी सहन नहीं किया जाएगा और इस मुद्दे का सौहार्दपूर्ण हल निकालने के लिए नए तरीक़े से प्रयास किए जा रहे हैं.'
साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि गुड़गाँव में जहाँ-जहाँ पर खुले में नमाज़ पढ़ने के लिए अनुमतियां दी गई थीं उन्हें वापस ले लिया गया है.
साल 2018 में हिंदू और मुस्लिम समुदायों में खुले में नमाज़ पढ़ने को लेकर हुए विवाद के बीच 37 चिह्नित जगहों पर नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी गई थी. बीते तक़रीबन दो महीने से हर शुक्रवार को हिंदूवादी संगठन वहाँ पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जहाँ पर खुले में नमाज़ पढ़ी जा रही है.
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इन प्रदर्शनों के बीच शुरुआत में कुछ जगहों से खुले में नमाज़ पढ़ने की अनुमति को वापस ले लिया गया था लेकिन अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की है कि हर जगह को लेकर दोबारा फ़ैसला लिया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने क्या-क्या कहा
गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डिवेलपमेंट अथॉरिटी की बैठक के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा, "हमने पुलिस और ज़िला कमिश्नर को कहा है कि इस मुद्दे का समाधान करना है. अपनी जगहों पर कोई नमाज़ पढ़ता है, कोई पाठ करता है, कोई पूजा पद्धति अपनाता है, उससे हमें कोई दिक़्क़त नहीं है, धार्मिक स्थल इसीलिए बने होते हैं कि ये सारी चीज़ें उन्हीं जगहों पर की जाएं."
"खुले में ऐसा कार्यक्रम नहीं होना चाहिए, नमाज़ पढ़ने की प्रथा जो खुले में हुई है, ये क़तई भी सहन नहीं किया जाएगा लेकिन इसमें साथ बैठकर सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जाएगा. उन्होंने (मुस्लिम संगठनों) भी कहा है कि हमारे पास बहुत सी जगहें हैं, जहाँ पर हमें अनुमति दी जाए. या कुछ ऐसी जगहें होंगी जो उनकी होंगी या वक्फ़ की होंगी जिन पर अतिक्रमण है, उन पर चर्चा होगी."
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने बयान के दौरान मुस्लिम समुदाय को सलाह भी दे दी कि 'घरों में नमाज़ पढ़ें और खुले में नमाज़ पढ़कर आपसी टकराव को बढ़ावा न दें.'
उन्होंने बताया कि 'इस मसले पर साथ बैठकर आपस में फ़ैसला भी किया था और कुछ जगहों पर नमाज़ की अनुमति दी गई थी, जिसे वापस ले लिया गया है और अब नए सिरे से बातचीत करके फ़ैसला लिया जाएगा.'
"सबको सुविधा मिलनी चाहिए और कोई किसी के अधिकारों का हस्तक्षेप न करे. किसी को भी हस्तक्षेप नहीं करने दिया जाएगा."
मुस्लिम संगठन क्या कर रहे हैं?
अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिंदू' ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 6 दिसंबर को इमामों के एक समूह ने ज़िला प्रशासन और हिंदूवादी संगठनों के साथ संयुक्त बैठक करके 20 चिह्नित जगहों पर शुक्रवार की नमाज़ न पढ़ने का फ़ैसला किया था और इनकी जगह आधा दर्जन नई जगहों पर किराए की जगह की मांग की थी.
अख़बार के मुताबिक़, इमामों का यह संगठन 'आरएसएस से प्रेरित' मुस्लिम राष्ट्रीय मंच संगठन से सहायता प्राप्त है.
इस फ़ैसले के एक दिन बाद गुड़गाँव मुस्लिम काउंसिल ने इस प्रस्ताव को ख़ारिज करते हुए इसे 'धोखाधड़ी' बताया और कहा कि मुसलमान उन चिह्नित 37 जगहों पर जुमे की नमाज़ पढ़ना जारी रखेंगे, जिन्हें 2018 में अनुमति दी गई थी.
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'हमें ज़मीन आवंटित की जाए'
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मुख्यमंत्री के बयान पर गुड़गाँव मुस्लिम काउंसिल के सदस्य अल्ताफ़ अहमद ने कहा है कि शहर के मुसलमान जुमे की नमाज़ खुले में पढ़ने के लिए इसलिए मजबूर हैं क्योंकि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) ने ज़मीन आवंटित नहीं की है और उनके सभी आवेदनों को ख़ारिज किया गया है और पैसा वापस लौटा दिया गया है. हाल ही में इस साल अक्टूबर में किए गए आवेदन को भी ख़ारिज कर दिया गया.
अल्ताफ़ अहमद ने मीडिया को दिए बयान में कहा, "वक़्फ़ बोर्ड और प्रशासन लंबे समय से क़ब्ज़ा की गई वक़्फ़ संपत्तियों को वापस पाने में असमर्थ है. अब मुख्यमंत्री ने कहा है कि 37 तयशुदा जगहों पर खुले में नमाज़ पढ़ने को लेकर प्रशासन और मुस्लिम समुदाय के बीच फिर से काम किए जाने की ज़रूरत है. हम उनसे निवेदन करेंगे कि विभिन्न सेक्टरों में बहुमंज़िला मस्जिद का निर्माण कराने के लिए वो ज़मीन आवंटित करने का निर्देश HSVP को दें. इसी के साथ ही जुमे के नमाज़ का विवाद थम जाएगा."
वहीं शुक्रवार को एक बार फिर जुमे की नमाज़ को लिए विरोध प्रदर्शन देखने को मिला. यह विरोध प्रदर्शन सेक्टर 37 में नमाज़ के लिए चिह्नित जगह पर हुआ.
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मुस्लिम काउंसिल ने सुबह को फ़ैसला किया कि सेक्टर 37 में जुमे की नमाज़ नहीं पढ़ी जाएगी क्योंकि हिंदूवादी संगठनों ने उस जगह पर धार्मिक भक्ति गीतों के एक कार्यक्रम की योजना बना रखी है.
प्रदर्शनकारियों ने सेक्टर की उस जगह पर कई ट्रक और करों को खड़ा कर रखा था और साथ ही चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और हेलिकॉफ्टर हादसे में मारे गए बाक़ी लोगों के लिए श्रद्धांजली कार्यक्रम भी रखा गया था.
काउंसिल ने मुसलमानों से निवेदन किया कि वो सेक्टर 37 की चिह्नित जगह पर तब तक न जाएं जब तक कि परिस्थितियां ठीक न हो जाएं, कुछ लोग नमाज़ पढ़ने के लिए उस जगह पर पहुँचे थे और इसके कारण दो समूहों में ज़ुबानी विवाद भी हुआ.
अल्ताफ़ अहमद ने बताया है कि शुक्रवार को शहर की 15 जगहों पर नमाज़ पढ़ी गई.
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